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इधर-उधरः तीखे सवालों पर मंत्री की ढाल बन बीच में आ जाता है पीए

जैसे ही मंत्री से कुछ नकारात्मक सवाल आते हैं तो पीए मंत्री को पत्रकारों के सामने से हटाकर उन्हें उनकी गाड़ी में बैठा देता है। ऐसा एक बार नहीं बल्कि हर बार होता है।

By Vikas KumarEdited By: Published: Wed, 26 Feb 2020 03:18 PM (IST)Updated: Wed, 26 Feb 2020 03:19 PM (IST)
इधर-उधरः तीखे सवालों पर मंत्री की ढाल बन बीच में आ जाता है पीए
इधर-उधरः तीखे सवालों पर मंत्री की ढाल बन बीच में आ जाता है पीए

लुधियाना [राजेश भट्ट]। निकाय मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा जब भी लुधियाना आते हैं तो वह मीडिया से दूरी बनाकर रखते हैं। पत्रकार सवाल पूछना शुरू करते हैं तो उनका पीए ढाल बनकर आगे आ जाता है। जब तक वह देखता है कि मंत्री से आसान सवाल पूछे जा रहे हैं तब तक चुप रहता है, लेकिन जैसे ही कुछ नकारात्मक सवाल आते हैं तो वह मंत्री को पत्रकारों के सामने से हटाकर उन्हें उनकी गाड़ी में बैठा देता है। ऐसा एक बार नहीं बल्कि हर बार होता है। बचत भवन में शिकायत निवारण कमेटी की बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते वक्त भी पीए उनसे बात करने नहीं देता। कुछ दिन पहले स्थानीय निकायमंत्री को मेयर बलकार संधू ने कैंप ऑफिस में लंच पर बुलाया। कार्यक्रम से मीडिया को दूर रखा गया। पत्रकार फिर भी वहां पहुंचे और मंत्री से सवाल करने लगे तो उनकी ढाल यानी पीए फिर बीच में आ गया।

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फोन कान पर लगा खिसके अफसर

कुछ दिन पहले सर्किट हाउस में एनजीटी की मॉनिटरिंग कमेटी के चेयरमैन जस्टिस जसबीर सिंह व अन्य सदस्य पहुंचे। जिले की सभी नगर कौंसिलों, नगर निगमों, पीपीसीबी के अफसरों के साथ डीसी को भी बुलाया गया था। पहले कौंसिलों के ईओ की क्लास लगी। जैसे ही लुधियाना शहर के अलग-अलग विभागों के अफसरों की क्लास लगनी शुरू हुई तो बैठक में दूसरे अफसर मीटिंग से खिसकने का बहाना ढूंढऩे लगे। बैठक में एक-एक करके सीनियर अफसर फोन कान में लगा बाहर खिसकते नजर आए। सबसे पहले डीसी कान में फोन लगाकर बाहर निकले और फोन पर देर तक बातों में व्यस्त रहे। उसके बाद निगम के एडिशनल कमिश्नर संयम अग्रवाल भी इसी तरह बाहर आए। फिर निगम कमिश्नर कंवलप्रीत कौर बराड़ भी कान में फोन लगाकर बाहर आईं। इसी तरह बैठक में एक-एक करके अफसर बाहर आते रहे और कुछ देर बाहर रहने के बाद बैठक में लौटते रहे।

भय बिन प्रीति न होत गोपाला

बुड्ढा दरिया में प्रदूषण फैलाने और शहर में वेस्ट मैनेजमेंट सही तरीके से न होने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नगर निगम कमिश्नर कंवलप्रीत कौर बराड़ और मेयर बलकार संधू पर केस दर्ज करवाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने दोनों के खिलाफ सीधे अदालत में केस दर्ज करवाए। बड़ी मशक्कत के बाद मेयर संधू और निगम कमिश्नर बराड़ ने केस से अपनी जान छुड़वाई। इस बार भी एनजीटी की मॉनिटरिंग कमेटी ने अफसरों की जमकर क्लास लगाई, जिसके बाद निगम कमिश्नर कंवलप्रीत कौर बराड़ ने अपने मातहत अफसरों के साथ बैठक की और उन्हें दो टूक कहा, इस बार वह खुद पर पर्चा नहीं करवाएंगी बल्कि संबंधित ब्रांच के अफसरों पर कार्रवाई करेंगी। अब इसी डर के कारण अफसरों ने देखते ही देखते नेशनल हाईवे पर बने कूड़ा डंप हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसे कहते हैं भय बिन प्रीति न होत गोपाला।

मंत्री का हुक्म सर आंखों पर

कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु ने दो सप्ताह पूर्व नगर निगम के अफसरों से कहा कि एक हफ्ते में सड़कें गड्ढा मुक्त होनी चाहिएं। अफसरों ने भी हामी भरी कि हो जाएगा, लेकिन दो दिन बाद जब लुक प्लांट चला तो तापमान घट गया और एक सड़क पर ट्रायल के लिए पैचवर्क किया। 48 घंटे बाद अफसरों ने घोषणा कर दी कि पैचवर्क ठीक है और पूरे शहर में शुरू किया जाएगा। अगले दिन जोन डी यानि मंत्री के हलके में पैचवर्क तेजी से हुआ और बाकी अन्य तीन जोनों में कुछ सड़कों पर किया गया, जिसके बाद बीएंडआर ब्रांच के अफसरों ने तापमान कम होने का हवाला देकर पैचवर्क नहीं करवाया, जबकि जोन डी में उसी तापमान में पैचवर्क चलता रहा। अब सवाल यह उठता है कि मंत्री के हलके में अफसरों ने जबरदस्ती पैचवर्क किया या फिर अन्य जोनों के अफसरों ने मंत्री के टारगेट को हवा में उड़ा दिया।

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