आर्थिक अपराध को दीवानी मामले करने के प्रस्ताव का विरोध, केंद्रीय वित्त मंत्री से मुलाकात करेंगे व्यापारी
केंद्र सरकार चुनिंदा आर्थिक अपराध की सूरत में आपराधिक केस दर्ज करने की बजाय दीवानी मामले बनाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
लुधियाना, जेएनएन। केंद्र सरकार चुनिंदा आर्थिक अपराध की सूरत में आपराधिक केस दर्ज करने की बजाय दीवानी मामले बनाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इसमें नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत चेक बाउंस के केस भी शामिल हैं। इसका पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल ने विरोध किया।
व्यापार मंडल का तर्क है कि अभी चेक बाउंस पर आपराधिक मामला दर्ज होता है और लाखों की संख्या में अदालतों में यह मामले लंबित हैं। यदि ऐसे मामले दीवानी कैटेगरी में आएंगे तो न्याय पाने में कई साल लग जाएंगे। इससे व्यापारियों का सारा गणित ही बिगड़ जाएगा। इस संबंध में व्यापार मंडल के पदाधिकारी शीघ्र ही केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात करके पूरे तर्क के साथ पक्ष रखेंगे।
वित्त मंत्रालय ने पक्षों से 23 जून तक सुझाव मांगे
व्यापार मंडल के प्रधान प्यारा लाल सेठ, महासचिव सुनील मेहरा व सचिव महेंद्र अग्रवाल ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने इस प्रस्ताव पर सभी पक्षों से 23 जून तक सुझाव मांगे हैं। महेंद्र अग्रवाल का मानना है कि यदि यह प्रस्ताव अमल में आता है तो इसका कारोबार पर विपरीत असर होगा। व्यापारी अगली तारीखों का चेक लेने में हिचकिचाएगा।
अदालतों में दीवानी केसों की भरमार
यदि चेक बाउंस के केस दीवानी कैटेगरी में आते हैं तो दस दस साल न्याय नहीं मिल सकेगा, क्योंकि अदालतों में दीवानी केसों की भरमार है। अभी व्यापारी चेक पर पेमेंट लेता है और उसे भरोसा रहता है कि यदि यहबाउंस हुआ तो आपराधिक मामला दर्ज होने पर न्याय व रकम हासिल हो सकती है। व्यापार मंडल ने सरकार से आग्रह किया है कि इस प्रस्ताव को अमल में न लाया जाए। पहले ही कोविड के कारण उद्योग जगत के पेमेंट सर्किल पर विपरीत असर हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने चेक बाउंस कानून को नरम किया तो व्यापारी चेक से पेमेंट लेने में परहेज करेंगे।