लुधियाना में बड़ा साइबर फ्रॉड, बिना अकाउंट ऑपरेट किए और OTP आए फर्म के बैंक खाते से उड़े 15 लाख
वरिंदर सूद ने की हैबोवाल के जोशी नगर में अलाइंज मेडिकल शाप के नाम से दुकान है। उनका पंजाब नेशनल बैंक में अकाउंट है। 14 अप्रैल को उनके मोबाइल पर कई मैसेज आए। चेक करने पर पता चला कि उनके बैंक अकाउंट से 15 लाख रुपये निकलवा लिए गए हैं।
लुधियाना, जेएनएन। महानगर में साइबर क्राइम का बड़ा मामला सामने आया है। शहर के एक मेडिकल फर्म मालिक ने न तो अपना बैंक अकाउंट आपरेट किया और न ही उसके मोबाइल पर नेट बैंकिंग को लेकर कोई ओटीपी आया। इसके बावजूद एक गैंग ने फर्म का अकाउंट हैक करके 15 लाख रुपये उड़ा लिए।
थाना हैबोवाल पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ केस दर्ज करके उनकी तलाश शुरू की है। एसीपी वेस्ट गुरप्रीत सिंह ने बताया कि उनकी पहचान बिहार के जिला मधुबनी के गांव मधुबन वार्ड नंबर 4 निवासी राजीव कुमार शर्मा, बिहार के जिला पुर्णिया के मोहनियां चकला पुरा स्थित बेला चांद सुखिया के वार्ड नंबर 6 निवासी चंदन कुमार पासवान तथा हिमाचल प्रदेश के पालमपुर स्थित पोस्ट आफिस घार के गांव लामलेहर निवासी नील कमल के रूप में हुई है। पुलिस ने जस्सियां रोड के रहने वाले वरिंदर सूद (75) की शिकायत पर उनके खिलाफ केस दर्ज किया।
14 अप्रैल को पुलिस कमिश्नर को दी शिकायत में उन्होंने बताया था कि हैबोवाल के जोशी नगर की गली नंबर 1 में उनकी अलाइंज मेडिकल शाप के नाम से दुकान है। उनका पंजाब नेशनल बैंक में अकाउंट है। 14 अप्रैल की सुबह 7 बजे उनके मोबाइल फाेन पर एक के बाद एक करके कई मैसेज आए। चेक करने पर पता चला कि उनके बैंक में हुई 6 ट्रांजेक्शन से उनके अकाउंट में से 15 लाख रुपये निकलवा लिए गए हैं।
पता चलते ही उन्होंने अपने बेटे रिशी सूद और एडवोकेट जेएस राजन से बात की। डा अंबेडकर जयंती के चलते उस दिन बैंक बंद था। मगर उन्होंने किसी तरह से बैंक अधिकारियों को मना कर बैंक खुलवा लिया। चेक करने पर पता चला कि उनके अकाउंट में से 4 लाख दिनेश कुमार यादव, 4 लाख नील कमल, 2 लाख कशिरोड, 2 लाख प्रमोद कुमार, 2 लाख राजीव कुमार और 1 लाख भरत चौधरी के अकाउंट में ट्रांसफर हुए हैं। बाद में सारी अमाउंट राजीव कुमार और चंदन कुमार के अकाउंट में ट्रांसफर कर दी गई। हैरत की बात यह है कि उसी दिन वो सारी की सारी अमाउंट एटीएम के माध्यम से निकलवा ली गई। जबकि एटीएम एक दिन में दो से ज्यादा टांजेक्शन उठाता नहीं है। उसकी भी 10 से 15 हजार की लिमिट होती है।
एडवोकट राजन ने कहा कि उनकी पड़ताल में पाया गया है कि यह सारी ट्रांजेक्शन बैंक का साफ्टवेयर हैक करके की गई हैं। वरिंदर सूद पीएनबी एप-वन यूज करते थे। उसे आपरेट करने के लिए पहले अपना पासवर्ड डालना पड़ता है। उसे डालने के बाद वो एप रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी भेजता है। मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ और पैसे निकल गए। इससे साफ है कि इसमें बैंक अधिकारियों की मिलीभगत है। एसीपी गुरप्रीत सिंह ने कहा कि मामले में जिसकी भी संलिप्तता पाई गई, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।