भर्ती नहीं करने से एक और मरीज की डीएमसी के गेट पर मौत
डीएमसी अस्पताल द्वारा गंभीर मरीजों को भर्ती नहीं करने के मामले एक सप्ताह से लगातार आ रहे हैं।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : डीएमसी अस्पताल द्वारा गंभीर मरीजों को भर्ती नहीं करने के मामले एक सप्ताह से लगातार आ रहे हैं। अब एक और ऐसा मामला सामने आया है जिसमें किडनी मरीज को भर्ती नहीं किया और उसने गेट पर ही दम तोड़ दिया। गांधी नगर की गली नौ के कपिल कुमार ने बताया कि पड़ोसी राजिदर कुमार (56) किडनी रोगी थे। उनका डायलिसिस चल रहा था। सोमवार सुबह छाती में दर्द होने पर डीएमसी अस्पताल से दवा लेकर आए थे। रात को खाना खाने के बाद बेहोश हो गए। उन्हें कार में बिठाकर डीएमसी ले गए, लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने गेट के अंदर नहीं जाने दिया। उनका कहना था कि इमरजेंसी में बात हुई है, वहां जगह नहीं है। वह मरीज को कहीं ओर ले जाएं। कपिल के मुताबिक खुद एमरजेंसी में गए, लेकिन स्टाफ ने मरीज को दूसरे अस्पताल में ले जाने के लिए कहा। इस पर स्टाफ को कहा कि वह एक बार मरीज को थोड़ी देर के लिए रखकर स्टेबल कर दें, फिर ले जाएंगे, लेकिन वह नहीं माने। आखिरकार दोबारा गेट पर पहुंचे, और राजिदर कुमार को एम्स बस्सी अस्पताल ले गए, लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही मौत हो चुकी थी। इंचार्ज बोले, 65 बेड की कैपेसिटी, 70 मरीज थे भर्ती
उधर, डीएमसी के इमरजेंसी इंचार्ज डॉ. राजेश महाजन ने कहा कि इमरजेंसी की कैपेसिटी 65 बेड की है, लेकिन सोमवार रात को 70 मरीज भर्ती थे। इमरजेंसी में और मरीज भर्ती करने की जगह नहीं थी। इस बारे में सेहत विभाग को सूचित कर दिया था। ऐसे में यह हो सकता है कि मरीज के परिजनों को दूसरे अस्पताल में ले जाने के लिए कहा गया होगा, हालांकि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है।
क्या यूं ही मरते रहेंगे मरीज..
हिदू सिख जागृति सेना के प्रधान प्रवीण डंग ने वीडियो जारी कर अस्पताल के साथ-साथ सेहत विभाग व प्रशासन पर सवाल खड़े किए। डंग ने कहा कि मरीज को दाखिल कराने के लिए अस्पताल से संपर्क किया, लेकिन भर्ती नहीं किया। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में आम बीमारियों से पीड़ित मरीजों को भी बेड नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में क्या मरीज यूं ही मरते रहेंगे। क्या इस तरह सरकार मिशन फतेह को सफल करेगी। आम लोगों को अस्पतालों के बेड की उपलब्धता के संबंध में रेगुलर अपडेट किया जाए, ताकि कीमती समय खराब न हो।