लुधियाना में बढ़ा योग का क्रेज, अब शिविरों की संख्या 160 तक पहुंची
बदलते समय के साथ योग के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ता गया और कोरोना काल में भारतीय योग संस्थान की योग शिविरों की संख्या 160 तक पहुंच गई। अभी भी काफी कुछ करने की जरूरत है। उक्त विचार भारतीय योग संस्थान पंजाब के जनरल सेक्रेटरी वीरभान गुप्ता के हैं।
जागरण संवाददाता, लुधियाना। लगभग 42-43 साल पहले की बात है। उस समय शहर में योग के प्रति लोगों का क्रेज न के बराबर था। रोज गार्डन, रख बाग और कुछ अन्य स्थानों पर 6-7 शिविर लगते थे, जिसमें साधकों की संख्या बहुत कम होती थी। लोगों को योग शिविर में आने के लिए प्रेरित करना पड़ता था। हालांकि बदलते समय के साथ योग के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ता गया और कोरोना काल में शहर में भारतीय योग संस्थान की योग शिविरों की संख्या 160 तक पहुंच गई। अभी भी काफी कुछ करने की जरूरत है। उक्त विचार भारतीय योग संस्थान पंजाब के जनरल सेक्रेटरी वीरभान गुप्ता के हैं।
हरिद्वार में योग की तीन माह ली ट्रेनिंग
उन्होंने कहा कि जब मैं किशोर अवस्था में था तो दादा कुंदन लाल के साथ जंगलों में जाता था। दादा आयुर्वेद में बीएमएस थे और मैं जंगलों में उनके साथ जड़ी बूटियों की पहचान करता था। तब से ही इस ओर झुकाव बढ़ता चला गया। वर्ष 1979 से पहले हरिद्वार में योग की तीन माह ट्रेनिंग ली। उसके बाद वर्ष 1979 में योग की ट्रेनिंग देने लगा। रखबाग में नया शिविर स्थापित किया था। बाबा रामदेव के योग ग्राम में भी काफी दिन रहा, लेकिन कुछ उसूलों के कारण वहां से वापस लौट आया। लुधियाना में बाबा रामदेव के दुगरी में हुए पहले योग शिविर में उन्होंने उनके संस्थान से मदद मांगी थी और उन्होंने उनका पूरा सहयोग किया।
उसके बाद वह पंजाब में लगने वाले शिविरों में उनकी मदद लेते रहे। फिर बाबा रामदेव हरिद्वार के पास योग ग्राम ले गए। योग के प्रचार प्रसार के लिए भारतीय योग संस्थान अन्य योजनाओं पर काम कर रही है। अब तो लोग शिविर लगाने के लिए इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि हम उन्हें योग देने की ट्रेनिंग देकर उनके द्वारा शिविर संचालित करवाते हैं। समय-समय पर हमारी टीम उन शिविरों में जाकर जायजा भी लेती है।
फ्री में मरीजों को देते हैं आयुर्वेद की दवाएं
यह काम पूरी तरह से बिना शुल्क के करवाया जाता है। मकसद सिर्फ एक है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को योग से तंदरुस्त बनाया जा सके। पेशे से रेडीमेड शोरूम का संचालक होने के बावजूद दादा से मिले आयुर्वेद के अनुभव का लाभ आज भी लेते हैं और फ्री में आयुर्वेद की दवाएं मरीजों को देते हैं।