वॉलंटियर्स का किसानों को संदेश, पराली को खेत में मिलाकर ही उपजाऊ शक्ति बढ़ाएं
धान के रूप में कुदरत ने किसानों को एक नियामत दी।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : धान के रूप में कुदरत ने किसानों को एक नियामत दी। अगर पराली का सदुपयोग हो, तो इससे किसानों को काफी फायदा हो सकता है। इसे मशीनों के जरिए मिट्टी में मिलाने से जहां खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है, वहीं इससे पशुओं के लिए चारा भी बनाया जा सकता है। ऐसे में किसानों से अपील है कि वह पराली को आग लगाकर पर्यावरण को प्रदूषित न करें। यह संदेश दिया गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी के एनएसएस वॉलंटियर्स ने।
वेटरनरी यूनिवर्सिटी की ओर से जागरूकता अभियान के तहत दैनिक जागरण के साथ मिलकर किसानों को जागरूक किया गया। यूनिवर्सिटी के सौ से अधिक एनएसएस वॉलंटियर्स ने गांव पमाल, पमाली, बदोवाल में जाकर रैली निकाली। इससे पहले रैली को वेटरनरी यूनिवर्सिटी कैंपस से यूनिवर्सिटी के निर्देशक विद्यार्थी भलाई डॉ. सत्यावान रामपाल, डायरेक्टर एक्सटेंशन एजूकेशन डॉ. हरीश वर्मा, डॉ. वीके गंडोत्रा व अन्य अधिकारियों ने रवाना किया। एनएसएस वॉलंटियर्स ने रैली में बैनर, पोस्टरों के जरिए किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में बताया। उन्होंने किसानों से कहा कि पराली न जलाकर इसका खेतों में ही उचित प्रबंधन करें। किसानों को अपील करते हुए कहा कि वातावरण को शुद्ध रखने व जमीनी की उपजाऊ शक्ति बरकरार रखने के लिए धान की पराली आग न लगाएं, क्योंकि खेतों में पराली जलाने से मिट्टी की उपरी सतह जल जाती है, जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। इसके अलावा अगली फसल के लिए ज्यादा पानी, खाद कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल करना पड़ता है। अगर किसान खेतों में पराली दबा देते हैं तो भूमि की उपजाऊ शक्ति कम नहीं होगी, यही पराली खाद का काम करती है। इस मौके पर डायरेक्टर रिसर्च डा. जेपीएस गिल ने कहा कि एनएसएस वालंटियर्स ने स्टूडेंट को बहुत ही सरल तरीके से पराली प्रबंधन के बारे में समझाया। वहीं एनएसएस प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर निधि शर्मा ने कहा कि मौजूदा हालातों में किसानों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करना चाहिए। इस दौरान एनएसएस प्रोग्राम आफिसर डॉ. सीएस मुखोपाध्य भी मौजूद रहे।