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उद्यमियों ने चोरी छिपे डाइंग मिलें चलाई तो बिजली के मीटर खोलेंगे पोल Ludhiana News

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सख्ती के बाद पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने डाइंग मिलों पर पूरी तरह से शिकंजा कस दिया है। डाइंग उद्यमी अब चोरी छिपे अपनी मिल नहीं चला पाएंगे।

By Sat PaulEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 01:02 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 11:52 AM (IST)
उद्यमियों ने चोरी छिपे डाइंग मिलें चलाई तो बिजली के मीटर खोलेंगे पोल Ludhiana News
उद्यमियों ने चोरी छिपे डाइंग मिलें चलाई तो बिजली के मीटर खोलेंगे पोल Ludhiana News

जेएनएन, लुधियाना। बुड्ढे दरिया में गिर रहे गंदे पानी को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सख्ती के बाद पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने डाइंग मिलों पर पूरी तरह से शिकंजा कस दिया है। डाइंग उद्यमी अब चोरी छिपे अपनी मिल नहीं चला पाएंगे। उद्यमियों ने अगर चोरी छिपे मिल चलाईं तो उनके बिजली के मीटर उनकी पोल खोल देंगे। पीपीसीबी अफसरों ने मंगलवार को सभी 44 डाइंग यूनिटों के बिजली मीटरों की रीडिंग नोट कर दी। उद्यमी अगर मिल चलाएंगे तो उनके बिजली मीटर की रीडिंग बढ़ जाएगी, जिससे पीपीसीबी अफसर उद्यमियों पर शिकंजा कसेंगे।

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वहीं दूसरी तरफ उद्यमियों को डाइंग मिल बंद होने से रोजना एक करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है और पांच हजार श्रमिक बेकार हो गए हैं। रोजना हो रहे नुकसान से बचने का हल निकालने के लिए पंजाब डायर्स एसोसिएशन के बैनर तले उद्यमी बुधवार को पीपीसीबी के चेयरमैन एसएस मरवाहा को मिलने जा रहे हैं। ताजपुर रोड स्थित डाइंग कलस्टर के उद्यमियों का दावा है कि उनकी डाइंगों का पानी सीधे बुड्ढा दरिया में नहीं जा रहा है। बल्कि यह पानी पहले सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में जा रहा है और उसके बाद दरिया में जा रहा है। एसटीपी तक डाइंगों का पानी पहुंचाने के लिए अलग से एक पाइप लाइन बिछाई गई है। जिसके जरिए डाइंगों का पानी एसटीपी में जा रहा है। लेकिन कुछ दिन पहले नगर निगम के ट्रकों ने वह टैंक तोड़ दिया था जिसमें पहले डाइंगों का पानी एकत्रित होता है और फिर एसटीपी में जाता है। जिसकी वजह से पानी निकलकर दरिया में जाने लगा। डाइंग उद्यमियों ने उस टैंक को रिपेयर कर दिया और अब फिर पानी एसटीपी में ही जा रहा है। लेकिन पीपीसीबी के अफसर उनकी दलील सुनने को तैयार नहीं हैं।

पीपीसीबी अफसरों ने साफ कर दिया कि एनजीटी के आदेशों के मुताबिक डाइंगों को क्लोजर नोटिस जारी किए गए थे और उन्हें काम बंद करने को कहा गया। अफसरों का कहना है कि डाइंग उद्यमी पहले भी दो बार इस टैंक को रिपेयर करने की बात कर चुके हैं। लेकिन जब तक बोर्ड के अफसर पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो जाते तब तक यथास्थिति बनी रहेगी। बोर्ड अफसरों के सख्त रवैये ने उद्यमियों के लिए परेशानी खड़ी कर दी।

ताजपुर रोड पर डाइंग उद्योग बना रहा नया सीईटीपी

ताजपुर रोड की डाइंग इकाइयां सरकार की स्कीम के तहत पचास एमएलडी की क्षमता का कॉमन एफ्ल्यूऐंट ट्रीटमेंट प्लांट-सीईटीपी बना रही हैं। यह प्लांट 31 मार्च 2020 तक ऑपरेशनल हो जाएगा। इस प्लांट पर 65 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। अभी तक करीब तीस करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। जिन इकाईयों को बंद किया गया है, वे भी इस डाइंग कलस्टर में शामिल हैं। डाइंग इकाईयों से सीईटीपी तक गंदा पानी पहुंचाने के लिए आठ करोड़ रुपये की लागत से अलग से नई सीवरेज पाईप लाइन भी डाली गई है।

डाइंग उद्योग को अब तक 12 करोड़ रुपये का नुकसान

पंजाब डायर्स एसोसिएशन के महासचिव बॉबी जिंदल का कहना है कि डाइंग उद्योग प्रदूषण के मानक पूरे कर रहा है। इंडस्ट्री के लिए अपना अलग से सीईटीपी भी बनाया जा रहा है। अस्थाई तौर पर डाइंग का गंदा पानी एसटीपी पर पहुंचाया जा रहा है। निगम की ओर से तोड़ी हौदी को भी बना दिया गया है। अब पानी बुड्ढे दरिया में नहीं जा रहा है। इंडस्ट्री प्रदूषण के तमाम मानक पूरे कर रही है। ऐसे में उद्योगों को राहत दी जाए। इस संबंध में कल पीपीसीबी के चेयरमैन से मुलाकात की जाएगी। जिंदल ने कहा कि एक डाइंग इकाई में औसतन सौ से सवा सौ तक श्रमिक काम करते हैं। ऐसे में 12 जुलाई से करीब पांच हजार श्रमिक बेकार हैं। इसके अलावा पिछले बारह दिन में उद्योग को लगभग बारह करोड़ का नुकसान हो चुका है। बैंकों के लोन का बयाज पड़ रहा है। नए लोन लेने में दिक्कत आ सकती है। जिंदल ने कहा कि वह बुधवार को पीपीसीबी के चेयरमैन को मिलने जा रहे हैं।

एनजीटी की टीम ने पकड़ा था डायरेक्ट डिस्चार्ज

करीब दो माह पूर्व एनजीटी की टीम ने बुड्ढा दरिया का जायजा लिया था। इस दौरान टीम ने ताजपुर रोड पर डाइंगों का पानी सीधे बुड्ढा दरिया में गिरते देखा था। जिसके बाद टीम ने पीपीसीबी और निगम अफसरों को इसे रूकवाने के आदेश दिए थे। तब डाइंग उद्यमी यह मानने को तैयार नहीं थे कि यह पानी उनकी फैक्ट्रियों से आ रहा है। उस दौरान भी पीपीसीबी ने दो दिन डाइंग यूनिट बंद करवाए थे और उसके बाद यह साफ हो गया था कि पानी डाइंगों का ही है।

विधायक संजय तलवाड़ ने उठाया था मुद्दा

ताजपुर रोड के आसपास के इलाकों में सीवरेज ब्लॉक हो गया था जिसके बाद डाइंगों का पानी भी सड़कों पर जमा होने लगा। विधायक संजय तलवाड़ ने सबसे पहले यह मामला उठाया था। जिसके बाद निगम अफसर व पीपीसीबी के अफसरों ने डाइंगों की जांच की। उस दौरान भी इस बात को लेकर जमकर विवाद होता रहा।

 

हमनें सभी 44 इकाइयों को क्लोजर नोटिस भेज दिए थे और उसके बाद यूनिटों को बंद भी कर दिया। अब इकाइयों के मीटरों की रीडिंग नोट कर दी है। मीटर रीडिंग बढ़ेंगी तो आसानी से उद्यमियों को दबोचा जा सकेगा कि उन्होंने फैक्टरी चलाई है। जब तक ऊपर से कोई नए आदेश नहीं आते हैं तब तक डाइंगें बंद रहेंगी।

संदीप बहल, एसई पीपीसीबी लुधियाना 


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