अफसरशाही व ठेकेदारी प्रथा के खिलाफ यूनियन में रोष, कहा-रेलवे के निजीकरण से बढ़ेगी बेरोजगारी
रेल किराये की बात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में रेल किराया एक राजनीतिक मुद्दा रहा है। गरीब लोगों के लिए रेलवे परिवहन का सबसे बड़ा साधन है। ऐसे में अगर निजी कंपनियां खुद किराया तय करेंगी तो उसका क्या प्रभाव पड़ेगा यह देखने वाली बात होगी।
लुधियाना, जेएनएन। नार्दर्न रेलवे मेंस यूनियन (
। गौरव शर्मा की अगुअाई में कर्मियों ने कहा कि रेलवे के निजीकरण से बेरोजगारी बढ़ रही है। अफरशाही के कारण रेलवे का पतन हो रहा है।
यहीं नहीं, रेलवे क्वार्टर तोड़कर सारे मटीरियल को बेचा गया और उसका कोई हिसाब रेलवे को नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रेलवे को बेचने के विरोध में नारेबाजी की। वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार के खेती सुधार कानून किसान विरोधी हैं।
रेल किराये की बात इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत में रेल किराया एक राजनीतिक मुद्दा रहा है। गरीब लोगों के लिए रेलवे परिवहन का सबसे बड़ा साधन है। ऐसे में अगर निजी कंपनियां खुद किराया तय करेंगी तो उसका क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी।
इसके साथ ही पंजाब सरकार को दो टूक कहा, अगर पेंशनरों की मांगों की ओर ध्यान न दिया, तो संघर्ष को और तेज किया जाएगा। कामरेड अशोक कुमार ने कहा कि जब तक निजीकरण खत्म नहीं होता तब तक संघर्ष जारी रहेगा। मौके पर परमजीत सिंह, सत्य प्रकाश, बृजराज, राहुल व प्रदीप कुमार मौजूद रहे।
109 ट्रेनों के निजीकरण का लिया है फैसला
भारत सरकार ने 109 ट्रेनों का निजीकरण करने का फैसला लिया है। रेलवे कर्मचारी सदमे है। देश भर में रेलवे के विभिन्न विभागों में करीब दो लाख रिक्त पद है। सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से समाज के गरीब एवं मध्यम वर्ग के लोगों पर काफी असर पड़ सकता है। नई पेंशन स्कीम के अंतर्गत काम करने वाले रेलवे कर्मचारी को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ेगी। किराया भी दिनों के आधार पर निर्धारित किया जाएगा।