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पंजाब के तीन गांवों में कोरोना को नो एंट्री, देसी खान-पान के इस्तेमाल से इन गांवों के लोग बने मिसाल

पंजाब में बठिंडा के गांव मैंनुआणा और पठानकोट के गांव सदोडी व मुतफरका में कोरोना का एक भी मामला नहीं आया है। गांव के लोग अन्य लोगों के लिए मिसाल बन रहेे हैंं। गांव केे लोग देसी खान-पान का इस्तेमाल कर रहे हैैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 27 Apr 2021 02:42 PM (IST)Updated: Tue, 27 Apr 2021 02:42 PM (IST)
पंजाब के तीन गांवों में कोरोना को नो एंट्री, देसी खान-पान के इस्तेमाल से इन गांवों के लोग बने मिसाल
देसी खानपान से कोरोना की इन गांवों में नो एंट्री। सांकेतिक फोटो

जेएनएन, बठिंडा/पठानकोट। पंजाब में लगातार बढ़ रहे कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी ने जहां पंजाब सरकार की चिंता बढ़ा दी है, वहीं जिला बठिंडा और पठानकोट के तीन गांंव ऐसे भी हैं जहां अभी तक कोरोना का एक भी केस सामने नहींं आया है। बठिंडा के गांव मैंनुआणा और पठानकोट के गांव सदोडी व मुतफरका के लोगोंं की जागरूकता ने कोरोना को इन गांवों में एंट्री नहीं करने दी। अच्छे खान-पान और अपनी आदतों में कोरोना से बचाव के नियमों को शुमार करके उन्होंने कोरोना के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और अन्य लोगों के लिए एक मिसाल पेश कर रहे हैं।

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गांव मैंनुआणा के लोगों ने देसी खान-पान व गांव में पैदा होने वाले अनाज को ही अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लिया है। इसके अलावा लहसुन, हल्दी, प्याज के नियमित इस्तेमाल के साथ ही सलाद व हरी सब्जियों का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। यह सब चीजें बाहर से खरीदने के बजाय खुद ही खेतों में पैदा कर रहे हैं। गांव के सरपंच मंदर सिंह का कहना है कि गांव में कोरोना इस कारण घुसपैठ नहीं कर पाया, क्योंकि हमने गांव में पुराना कल्चर ही अपना लिया है। गांव में जरूरत की हर चीज पैदा की जा रही है। केवल तेल, नमक और मसाले आदि ही बाहर से खरीद रहे हैं। लोग इस बात से जागरूक हैं कि सेहत से ऊपर कुछ भी नहीं है।

गांव के रहने वाले गमदूर सिंह, गुरमेल सिंह और सुखपाल सिंह बताते हैं कि गांव में ज्यादा इकट्ठ भी नहीं किया जाता। ऐसी कोई जरूरत पड़ भी जाए तो लोग शारीरिक दूरी का पालन भी करते हैं और मुंह ढककर रखते हैं। लोग फास्ट फूड से भी दूर रहते हैं औक उन्ही चीजों का सेवन कर रहे हैं को सेहत के लिए लाभदायक हैं।

वहीं, पठानकोट के गांव सदोडी के सरपंच महिन्द्र सिंह ने कहा कि स्वच्छ पानी और भोजन व सफाई का गांव में पूरा ध्यान रखा जा रहा है। गांव में घर खुले-खुले हैं और बाहर के बाजारों से संपर्क कम है। बेशक माधोपुर या अन्य बाजारों से हम करियाना का सामान लाते हैं लेकिन सामान एक साथ ही मंगवा लिया जाता है। गांव में अधिकतर लोगों के पास पशुधन होने के कारण बाहर से दूध, दहीं, मक्खन या मिठाइयां मंगवाने की जरूरत नहीं पड़ती। कुछ सब्जियों की खरीद बाहर से होती है, लेकिन उसे पहले गर्म पानी में अच्छी तरह धोकर एक दिन बाद उपयोग में लाया जाता है। बाहर से आने वाले लोगों के लिए गांव में प्रवेश के लिए मास्क पहनना अनिवार्य है।

इसी तरह पठानकोट के गांव मुतफरका में भी कोरोना काल से ही बाहर से आने वाले लोगों के लिए गांव में प्रवेश के समय मास्क व सैनिटाइजर के इस्तेमाल को अनिवार्य किया गया है। गांव से बाहर जाकर मजदूरी करने वाले लोग वापस आकर अच्छी तरह अपने हाथ-पैर और मुंह साबुन से धोते हैं। एक स्थान पर लोगों को एकत्रित होने पर मनाही है। सरपंच प्रेम चंद ने कहा कि लोगों को हर दिन कसरत व योगा के लिए प्रेरित किया जा रहा है। लोग ऐसा कर भी रहे हैं और कोरोना के खिलाफ मोर्चा जारी है।


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