कर्मयोगियों के जज्बे को सलाम, सूरज उगने से पहले आपके द्वार पहुंचा रहे अखबार
अभिनंदन के हकदार समाचार पत्र वितरक भी हैं जो किसी भी बाधा की परवाह किए बगैर सूरज उगने से पहले आपके दरवाजे पर समाचार पत्र पहुंचाते हैं। आइएअब इनके लिए ताली बजाते हैं।
लुधियाना, जेएनएन। पीएम नरेंद्र मोदी ने कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच अपना कर्त्तव्य निभाने के लिए चिकित्साकर्मियों, पुलिसकर्मियों और मीडियाकर्मियों की सराहना की। उनकी अपील पर 22 मार्च शाम 5 बजे सभी देशवासियों ने अपने घर की बालकनी पर आकर तालियां-थालियां, घंटे-घडिय़ाल और शंख-ढोल बजाकर इन कर्मयोगियों के प्रति सम्मान और आभार जताया। ऐसे ही अभिनंदन के हकदार समाचार पत्र वितरक भी हैं जो किसी भी बाधा की परवाह किए बगैर हर ऋतु में सूरज उगने से पहले आपके दरवाजे पर समाचार पत्र पहुंचाते हैं। आइए,अब इनके लिए ताली बजाते हैं।
सुबह आंख खुलते ही चाय की प्याली के साथ अखबार की तलब किसे नहीं लगती। आपके पड़ोस, मोहल्ले, शहर, सूबा और देश में जो कुछ घटित हुआ, उसके विस्तृत एवं विश्वसनीय विवरण के लिए अखबार एकमात्र माध्यम है। आपको जो जानकारियां किसी अन्य माध्यम से प्राप्त हो चुकी होती हैं, उनकी प्रामाणिकता और पवित्रता आप अखबार से ही जांचते हैं।
संभव है, किसी दिन किसी वजह से आपको चाय मिलने में भले ही 10-15 मिनट विलंब हो जाए, पर ऐसा कभी नहीं होता कि आप आंखें मलते घर का मुख्य द्वार खोलें तो वहां आपको अखबार न मिले। यह आसान नहीं होता। हम खुद को कसौटी पर परखें तो पाएंगे कि प्राकृतिक, पारिवारिक या व्यक्तिगत कारणों से हम कितनी बार छुट्टी मना लेते हैं, पर हमारे समाचार पत्र वितरक कभी ऐसा नहीं करते। अपरिहार्य परिस्थिति में वह अपने किसी सहयोगी को आपके घर समय पर अखबार पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंप जाते हैं। क्या ऐसे कर्मयोगियों के लिए ताली नहीं बजनी चाहिए? बेशक बजनी चाहिए।
आपके लिए यह तय करना आसान नहीं है कि लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के आग्रह के बावजूद आप अपने समाचार पत्र वितरक की सराहना कैसे करें। आशय यह है कि आपके मन का भाव किसी तरह उस कर्मयोगी तक जरूर पहुंच जाए ताकि वह विपरीत परिस्थिति में कर्तव्य निर्वहन का हौसला बरकरार रख सके। जब आप लॉकडाउन में हैं और कोरोना को लेकर तमाम संदेश, सवाल और जिज्ञासाएं आपके दिमाग में कुलबुला रही हैं तो इनके प्रामाणिक समाधान के लिए अखबार पढऩा बेहद जरूरी है। तो जैसे भी हो, इन हालात में भी आपके पास अखबार पहुंचा रहे कर्मयोगियों के प्रति कृतज्ञता जरूर जताइए। इसका एक तरीका यह भी है कि आप उनका बिल जिस किसी माध्यम से ससंभव हो, अविलंब चुका दीजिए ताकि कर्तव्य पालन की चुनौती के बीच वे अपने परिवार के भरण-पोषण की चिंता से मुक्त रहें। विश्वास है कि आप इन कर्मयोगियों के लिए न सिर्फ ताली बजाएंगे बल्कि उनके कर्तव्य पालन के आर्थिक पक्ष के प्रति भी संवेदनशीलता दिखाएंगे।
समाचार पत्र की सप्लाई निर्विघ्न करवाएंगे: सीपी
पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल का कहना है कि कर्फ्यू के बीच बेहद सजग नागरिक होने का प्रमाण दें। किसी भी नेटवार्किंग साइट पर आने वाली जानकारियों को शेयर नहीं करें। समाचार पत्र आपके
भरोसे के लायक है। हम समाचार पत्र का वितरण करवाने के लिए प्रयासरत हैं। इसके लिए कर्मयोगियों की पूरी सहायता की जाएगी।
समाचार पत्र हैं विश्वसनीय, इसका वितरण जरूरी: डीसीपी
डीसीपी ट्रैफिक सुखपाल सिंह बराड़ का कहना है कि अखबार किसी भी जानकारी लेने का अच्छा स्रोत हैं। हमें इन पर ही विश्वास करना चाहिए। आप घर पर रहकर सही जानकारी लेकर इसे आगे भेजकर भी प्रशासन का सहयोग कर सकते हैं। इसकी सप्लाई करने वाले कर्मयोगियों को भी प्रशासन की ओर से भी पूरा सहयोग किया जाएगा।
प्रशासन के निर्देश अखबार से लोगों तक पहुंच रहे: एडीसी
एडीसी जनरल इकबाल सिंह संधू का कहना है कि शहर की जरूरतों, समस्याओं व उसके निवारण के लिए किए जा रहे प्रयास व विभिन्न विभागों को दिए जाने वाले दिशानिर्देश की जानकारी अखबार व अन्य मीडिया के जरिये लोगों तक पहुंचाई जा रही है। ऐसे में आज के समय में समाचार पत्र लोगों के जीवन की अभिन्न हिस्सा बन गए हैं।
अखबार है जिंदगी का हिस्सा: जुनेजा
लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन एवं एकेसी ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के चेयरमैन अशोक जुनेजा ने कहा कि वे 40 साल से लगातार अखबार पढ़ रहे हैं। यह जीवन का हिस्सा बन चुका है। इसका निर्विघ्न वितरण बेहद जरूरी है।
अखबार है जरूरी: जैन
वल्लभ फैब्रिक्स के चेयरमैन एवं जीतो के प्रधान भूषण जैन ने कहा कि सुबह अखबार न मिले तो लगता है कि दिन की शुरुआत फीकी रही। अखबार का वितरण बहुती ही जरूरी है।
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