दोगली है दुनिया, बहुत ज्यादा भरोसा नहीं करें: रमेश मुनि
जीवन एक रेलवे स्टेशन की तरह है जहां हजारों लोग हैं लेकिन हर कोई अंजान है।
संस, लुधियाना : जीवन एक रेलवे स्टेशन की तरह है, जहां हजारों लोग हैं, लेकिन हर कोई अंजान है। संसार का सम्मान झूठा है। समाज की निगाहें बदलने का वक्त नहीं लगता। लोग जिस मुख से प्रशंसा करते हैं, उसी मुख से निदा करते हैं। यह पंक्तियां एसएस जैन स्थानक 39 सेक्टर की प्रार्थना सभा में रमेश मुनि ठाणा-3 ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि दुनिया पर बहुत ज्यादा भरोसा नहीं करना। दुनिया दोगली है। वह कब, किसी ओर लुढ़क जाएं, पता नहीं। गुरु जो रास्ता दिखा दे, बस उसी पर चलना। वह सुई कभी नहीं खोती, जिसमें धागा होता है। वह शिष्य भी कभी नहीं भटकता, जिसके जीवन में गुरु होते हैं।
इसलिए मोक्ष का द्वार दूर जरूर है मगर गुरु ही आपको वहां तक पहुंचा सकता है। इसलिए गुरु की सेवा करें और उनके प्रवचन पर अमल जरूर करें। मोक्ष में जाने के लिए संयम एक्सप्रेस रूपी ट्रेन में बैठना होगा। इस ट्रेन को चलाने वाले अरिहंत भगवान हैं। ट्रेन में बैठकर अपनी इंद्रियों को संयम में रखना होगा, क्योंकि ये इंद्रियां ही हमें भटकाती हैं। आंख बड़ी नालायक है। अनर्थों की जड़ मनुष्य की आंख ही है। आंख बिगड़ती है तो मन बिगड़ता है। मन बिगड़ता है तो वाणी बिगड़ती है। तो व्यवहार बिगड़ता है।
मुकेश मुनि ने कहा कि व्यक्ति के पास, ऊर्जा का भंडार है। जब वो ऊर्जा नीचे की तरफ होती है तो काम की ओर है जब ऊपर तो राम की ओर होती है। अपनी ऊर्जा की सेवा में लगाना ही राम में लगाना है। मन का काम का केंद्र नहीं सेवा का केंद्र बनाओ।