एक सुर में बोले वाइस चांसलर, टेक्नोलॉजी के युग में खेती के आधुनिकीकरण पर जोर
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित भारतीय खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी के संगठन की दो दिवसीय 43वीं वाइस चांसलर कनवेंशन मंगलवार को समाप्त हो गई।
जासं, लुधियाना : पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित भारतीय खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी के संगठन की दो दिवसीय 43वीं वाइस चांसलर कनवेंशन मंगलवार को समाप्त हो गई। आखिरी दिन कनवेंशन में पहुंचे ज्यादातर वाइस चांसलर ने एक सुर में कहा कि टेक्नोलॉजी के इस युग में खेती का आधुनिकीकरण करने की सख्त जरूरत है। इसमें डेटा साइंस व आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। जिस तरह से क्लाइमेट में बदलाव हो रहा है, कृषि सिमट रही है और प्राकृतिक स्त्रोत कम हो रहे हैं, ऐसे में कृषि क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस के जरिए स्मार्ट एग्रीकल्चर की तरफ चलना पड़ेगा। समाप्ति सेशन में एएयू गुजरात यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ. एनसी पटेल ने चेयरमैन के तौर पर शिरकत की।
डॉ. पटेल ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लिए हमें अपनी युवा पीढ़ी को नई तकनीकों से अवगत करवाना होगा। यह तभी संभव है, जब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को अपने सर्टिफिकेट या डिप्लोमा कोर्स में शामिल किया जाए। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का विस्तार करने की जरूरत: डॉ. नंदा वहीं गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. अमरजीत ¨सह नंदा ने कहा कि पशु पालन के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर हम पहले ही काम कर रहे हैं। वेटरनरी यूनिवर्सिटी के अत्याधुनिक अस्पताल में पशुओं की बीमारियों का पता लगाने के लिए अल्ट्रा साउंड, एंडोस्कोपी, एक्सरे, सर्जरी में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है। एडवांस ब्लड डायग्नोस्टिक सेटअप आ गए हैं। मिल¨कग मशीन भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का पार्ट है। डॉ. नंदा ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का और विस्तार करने की जरूरत है। जैसे कि मीट एक्सपोर्ट के लिए ट्रेसेबिल्टी जरूरी है जिसके तहत हर एनिमल पर चिप टैग होना चाहिए। उस चिप में एनिमल से जुड़ी पूरी जानकारी हो। इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की जरूरत है।
नई तकनीकों से उत्पादन और किसानों की आय बढ़ेगी: डॉ. ढिल्लों
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. बलदेव ढिल्लों ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए हासिल होने वाली नई तकनीकों के साथ खेतीबाड़ी में उत्पादन बढ़ेगा। इससे किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी। इसके जरिए खेती के बारे में सही आंकड़े कम समय में इकट्ठे करने में मदद मिलेगी। गौर हो कि दो दिनों की इस कनवेंशन में सेंसर बेस्ड टेक्नोलॉजी फॉर एग्रीकल्चर, डाटा मैनेजमेंट टूल्स इन एग्रीकल्चर, आर्टिफिशियल टेक्नोलॉजी एंड रोबोटिक इन एग्रीकल्चर, रिमोट सें¨सग सहित कई विषयों पर चर्चा हुई। इसमें आए गए सुझाव भारत और राज्य सरकार को भेजे जाएंगे।