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पंजाब में दलित लड़के की पिटाई का मामला भड़का, एनसीएससी चेयरमैन विजय साांपला ने अधिकारियों से मांगा जवाब

मलोट में 12 वर्षीय दलित लड़के को निर्वस्त्र करने और उसको बेरहमी से पीटने का मामला सामने आया है। इस घटना पर कड़ा संज्ञान लेते हुए एनसीएससी ने चेयरमैन विजय सांपला के आदेश पर अधिकारियों को नोटिस जारी कर कार्रवाई की रिपोर्ट देने को कहा है।

By DeepikaEdited By: Published: Fri, 20 May 2022 03:57 PM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 03:57 PM (IST)
पंजाब में दलित लड़के की पिटाई का मामला भड़का, एनसीएससी चेयरमैन विजय साांपला ने अधिकारियों से मांगा जवाब
एनसीएससी अध्यक्ष विजय सांपला के आदेश पर पंजाब सरकार के अधिकारियों को नोटिस जारी। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़: पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब जिले के मलोट में 12 वर्षीय दलित लड़के को निर्वस्त्र करने और उसको बेरहमी से पीटने का मामला सामने आया है। इस घटना पर कड़ा संज्ञान लेते हुए, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) ने चेयरमैन विजय सांपला के आदेश पर पंजाब सरकार के अधिकारियों को नोटिस जारी कर 26 मई तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट देने को कहा है।

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इंटरनेट मीडिया पर अपलोड की वीडियो

18-19 मई, 2022 को वायरल वीडियो और समाचारों के माध्यम से एनसीएससी द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, श्री मुक्तसर साहिब जिले के मलोट शहर के हरजिंदर नगर की एक दलित महिला ने आरोप लगाया कि एक गैर-दलित व्यक्ति ने उसके बेटे की पिटाई की और बाद में वीडियो को इंटरनेट मीडिया पर अपलोड कर दिया। शिकायत में महिला ने बताया कि “मेरे पति ने मुझे और हमारे बेटे को 7 साल पहले छोड़ दिया था। उसके बाद गांव सरवां बोड़ला निवासी अर्शदीप सिंह के साथ मेरा संबंध बन गया।

बेटे को बेरहमी से पीटा

जल्द ही, उसने किसी से शादी कर ली लेकिन वह मेरे घर आया करता था। जब मैंने रिश्ता खत्म करने की कोशिश की तो वह मुझे और मेरे बेटे को प्रताड़ित करने लगा। एक दिन वह घर आया। उसने मेरे 12 साल के बेटे को नंगा किया और उसकी बेरहमी से पिटाई की। उसने घटना का वीडियो भी शूट किया, जिसे बाद में इंटरनेट पर अपलोड कर वायरल कर दिया। उसने कहा कि शहर के मलोट पुलिस स्टेशन के पुलिस अधिकारियों ने उसकी मदद नहीं की, तब भी जब आरोपी ने उसे थाने के अंदर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी।

सांपला ने अधिकारियों को किया आगाह

सांपला ने अधिकारियों को आगाह किया कि यदि निर्धारित समय के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट प्राप्त नहीं होती है, तो आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत दीवानी अदालत की शक्तियों का प्रयोग कर सकता है और दिल्ली में आयोग के समक्ष व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए एक समन जारी कर सकता है।


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