कैप्टन अतुल और लेफ्टिनेंट पायल बोले, लहरों में चुनौतियों से भरे रहे वो 254 दिन
तारिनी सेल्स मिशन के दौरान समुद्र की लहरों में बिताए वो 254 दिन आज भी याद हैं जो चुनौतियों के साथ-साथ रोमांचक और नया अनुभव देने वाले रहे।
जेएनएन, लुधियाना। तारिनी सेल्स मिशन के दौरान समुद्र की लहरों में बिताए वो 254 दिन आज भी याद हैं, जो चुनौतियों के साथ-साथ रोमांचक और नया अनुभव देने वाले रहे। गोवा से यात्रा शुरू कर पांच देशों ऑस्ट्रेलिया, फॉकलैंड आयरलैंड (यूके), केपटाउन और मॉरीशस तक 40 हजार किमी की दूरी तय करना किसी चुनौती से कम नहीं थी। तरह-तरह का मौसम, कभी आंधी, कभी तूफान तो कभी जोरदार बारिश। गोवा से जैसे ही यात्रा शुरू हुई तो 45 डिग्री सेल्सियस तक तापमान रहा। भारत से जैसे ही निकलते गए तो तापमान माइनस पांच से सात डिग्री तक चलता गया। इसी तरह मॉरिशस से गोवा तक वापसी में माइनस से 45 डिग्री तक तापमान मिली। कुछ ऐसे ही अनुभव साझा किए तारिनी सेल्स के कैप्टन अतुल सिन्हा और लेफ्टिनेंट पायल गुप्ता ने। वे बुधवार को फिक्की फ्लो की तरफ से होटल पार्क प्लाजा में आयोजित टॉक शो में पहुंचे थे। इससे पहले चेयरपर्सन नंदिता भास्कर ने दोनों का स्वागत किया। तारिनी सेल्स मिशन 10 मई, 2017 से शुरू होकर 21 मई, 2018 तक चला था।
न कोई कैप्टन, न ही कोई लेफ्टिनेंट
कैप्टन अतुल सिन्हा ने बताया कि जब तारिनी सेल्स मिशन की शुरुआत हुई तो हर कोई एक परिवार की तरह था। बोट में कोई खुद को जूनियर नहीं मानता था और न ही सीनियर। इस दौरान न ही कोई कैप्टन रहा और न ही कोई लेफ्टिनेंट। एक टीम में रह सभी ने अपने मिशन को पूरा किया। समय-समय पर दी हुई ड्यूटी को निभाया। हर जगह पहुंचकर लोगों से मिलते दिन-रात बोट चलने के कारण हम जहां भी रुकते, वहां लोगों से जरूर मिलते और अपने इस अनुभव को जरूर साझा करते। गोवा से ऑस्ट्रेलिया समुद्री सफर करते 43 दिन लगे। दस दिन रूककर वहां लोगों से मिल अपने अनुभव बताए।
जब मिशन के दौरान आया प्रधानमंत्री का फोन
पायल ने बताया कि तारिनी मिशन के दौरान दीवाली का दिन भी आया। कुछ दिनों बाद उनका जन्मदिन था। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कॉल आई और जन्मदिन की तो बधाई दी ही, साथ ही पूरी टीम को इस मिशन के लिए हौसला बढ़ाया। यह दिन मुझे जीवन में कभी भूलने वाला नहीं। कैप्टन अतुल सिन्हा ने समुद्री जीवन के बारे बताते कहा कि यह अद्भुत अनुभव तो है ही जब आप समुद्र में उतरते हैं पर तरह-तरह के ख्याल भी इस दौरान चलते जाते हैं, कभी डर तो कभी आप आध्यात्मिक बनते हैं।