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लॉकडाउन में फंसे माता-पिता, बाबुल बन मुस्लिम ने निभाया कन्यादान का फर्ज

कोरोना वायरस ने जब दस्तक दी तो देशभर में लॉकडाउन लग गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 04:00 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 04:00 AM (IST)
लॉकडाउन में फंसे माता-पिता, बाबुल बन मुस्लिम ने निभाया कन्यादान का फर्ज
लॉकडाउन में फंसे माता-पिता, बाबुल बन मुस्लिम ने निभाया कन्यादान का फर्ज

संस, श्री माछीवाड़ा साहिब: कोरोना वायरस ने जब दस्तक दी तो देशभर में लॉकडाउन लग गया। अब जो लोग जिस शहर-गांव में थे, वे वहीं फंसकर रह गए। हालांकि अभी भी काफी संख्या में ऐसे लोग हैं जो दूसरे स्थानों पर फंसे हुए हैं और घर लौटने की आस में संसाधन जुटाने की कोशिश में लगे हैं। दूसरी तरफ ऐसे मामले भी सामने आए जिसमें किसी व्यक्ति की कोरोना वायरस ने जान ले ली और परिवार के सदस्यों ने वायरस के डर से उनका अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया। कोरोना ने जहां रिश्तों में दूरी ला दी, वहीं इस मुसीबत में कई अन्य लोग मसीहा बनकर आए। सादे विवाह तो इस दो माह के लॉकडाउन में चर्चा का विषय बने रहे, मगर लुधियाना जिले के माछीवाड़ा इलाके में विवाह के दौरान एक ऐसी भाईचारक सांझ और मिसाल देखने को मिली, जहां एक मुस्लिम परिवार ने हिदू लड़की का कन्यादान कर बाबुल का फर्ज निभाया।

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दरअसल, माछीवाड़ा के पास गांव भट्टियां में रहने वाली हिदू समुदाय की लड़की पूजा की शादी मंगनी लॉकडाउन से पहले गांव साहनेवाल के रहने वाले सुदेश कुमार सोनू के साथ हुई थी। फिर विवाह की तारीख दो जून तय की गई। शादी के लिए खरीदारी आदि शुरू कर दई गई। पूजा के माता-पिता उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में किसी रिश्तेदार के गए और फिर कोरोना के कारण देश में लॉकडाउन हो गया। वे वहीं फंसकर रह गए।

अब गांव भटिट्यां में रहने वाली पूजा और मुरादाबाद में फंसे उसके पिता वरिदर शर्मा और माता अदमा चिंता में पड़ गए। फिर उसके पिता ने अपने मुस्लिम दोस्त साजिद को बेटी का ध्यान रखने के लिए कहा। फिलहाल वह उनके परिवार के साथ रहने लगी और उन्होंने बेटी की तरह उसका पूरा ख्याल रखा। अब लॉकडाउन इतना लंबा चला गया और शादी की तारीख भी नजदीक आ रही थी। इस पर पूजा के माता-पिता भी चिंता में पड़े रहे। बस फिर वरिदर शर्मा ने फैसला किया कि वह बेटी की शादी की तारीख आगे नहीं बढ़ाएंगे और उन्होंने अपने दोस्त साजिद से बात की। इस पर साजिद ने कहा कि वह फिक्र न करें, पूजा की शादी की तैयारियां खुद करेंगे। आखिर वो शादी की तारीख दो जून आ ही गई। सभी तैयारियां पूरी करते हुए साजिद व उनकी पत्नी सोनिया ने हिदू धर्म की सभी रस्में निभाई और पूजा का कन्यादान करने के बाद दोपहर बाद उसकी डोली को विदा किया। सादे ढंग से रस्में की गईं पूरी, 16 लोग हुए शामिल

गांव भट्टियां में मंगलवार को दोपहर 11.30 बजे के करीब सादे ढंग से पूजा और सुदेश के विवाह की रस्में पूरी की गई। पंडित ने मंत्रोच्चारण कर अग्नि के फेरे दिलाए। लड़के वालों की तरफ से परिवार के करीब छह लोग और लड़की वालों की तरफ से करीब दस लोग ही मौजूद रहे। इंसानियत धर्म सबसे ऊपर, यही पूरा किया: साजिद

कन्यादान कर पिता का फर्ज निभाने वाले साजिद ने कहा कि पूजा उसे अपना मामा मानती है। वह उसका कन्यादान कर गर्व महसूस कर रहे हैं। साजिद ने बताया कि बेशक पूजा से उनका खून का रिश्ता नहीं परंतु इंसानियत धर्म सबसे ऊपर है और उन्होंने अपने दोस्त की बेटी का कन्यादान कर यही फर्ज निभाया है। मामा-मामी ने पूरी की माता-पिता की कमी: पूजा

दूसरी तरफ पूजा ने कहा कि बेशक उसके विवाह समारोह के अवसर पर उनके स्वजन शामिल नहीं हो सके, परंतु उसके मामा साजिद और मामी सोनिया ने कन्यादान कर उनकी कमी नहीं आने दी। उन्होंने शादी की सभी तैयारियां कीं और कोई कमी नहीं होने दी।


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