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पंजाब के सबसे बड़े नगर निगम का खजाना खाली, कर्मचारियों को अभी तक नहीं मिला वेतन; जानिए कारण

लुधियाना नगर निगम का खजाना फिर खाली हो गया है। पैसा न होने के कारण लगातार दूसरे माह कर्मचारियों को वेतन के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। जुलाई के भी छह दिन बीत गए हैं लेकिन जून का वेतन अब तक नहीं मिला है।

By Vinay KumarEdited By: Published: Thu, 07 Jul 2022 09:27 AM (IST)Updated: Thu, 07 Jul 2022 11:11 AM (IST)
पंजाब के सबसे बड़े नगर निगम का खजाना खाली, कर्मचारियों को अभी तक नहीं मिला वेतन; जानिए कारण
लुधियाना नगर निगम का खजाना फिर खाली हो गया है। (फाइल फाेटाे)

जागरण संवाददाता, लुधियाना। पंजाब के सबसे बड़े नगर निगम का खजाना फिर खाली हो गया है। निगम के खजाने में पैसा न होने के कारण लगातार दूसरे माह कर्मचारियों को वेतन के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। जून में भी करीब आधे कर्मचारियों को आधा माह बीत जाने के बाद मई का वेतन मिल पाया था। अब जुलाई के भी छह दिन बीत गए हैं लेकिन जून का वेतन अब तक नहीं मिला है। नगर निगम के अधिकारी एक बार फिर जीएसटी के तहत मिलने वाली रकम की राह देख रहे हैं।

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निगम में 4300 कर्मचारी नियमित और करीब 3700 कर्मचारी आउटसोर्सिंग और डीसी रेट पर काम करते हैं। रेगुलर कर्मचारियों के वेतन पर हर माह करीब 27 करोड़ रुपये खर्च होते हैं जबकि आउटसोर्सिंग व डीसी रेट पर रखे कर्मचारियों का वेतन करीब आठ करोड़ रुपये बनता है। हालांकि पहले सभी कर्मचारियों का प्रति माह वेतन करीब 27 करोड़ रुपये बनता था लेकिन वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद यह राशि बढ़कर 35 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। कर्मचारियों के वेतन के लिए निगम जीएसटी की मिलने वाली किस्त पर निर्भर हो गया है।

आय का सबसे बड़ा साधन जीएसटी

निगम का 968.13 करोड़ रुपये का बजट पास हुआ है। इसमें आय का सबसे बड़ा साधन जीएसटी के तहत मिलने वाली रकम है। करीब 610 करोड़ रुपये निगम को जीएसटी के तहत साल में मिलने हैं। वित्तीय वर्ष के पहले तीन माह में निगम को करीब 153 करोड़ रुपये मिलने चाहिए थे लेकिन अब तक महज 51 करोड़ रुपये ही मिले हैं।

तीन माह में केवल 11 प्रतिशत

निगम की वित्तीय हालत खराब होने का सबसे बड़ा कारण रिकवरी न होना है। प्रापर्टी टैक्स सहित अन्य शाखाएं रिकवरी के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रही हैं।

अब तक जीएसटी की किस्त नहीं मिली है। बिल सबमिट हो चुके हैं। उम्मीद है कि एक या दो दिन में जीएसटी की किस्त आ जाएगी। इसके बाद कर्मचारियों को वेतन जारी कर दिया जाएगा। रिकवरी से निगम के रूटीन के खर्च चल रहे हैं। -पंकज गर्ग, डीसीएफए नगर निगम।

इसलिए रिकवरी में पिछड़ रहे..

  • नगर निगम में कर्मचारियों की कमी
  • कार्रवाई के दौरान राजनीतिक दबाव
  • शाखाओं का डाटा कंप्यूटराइज नहीं
  • 4.25 लाख प्रापर्टी की यूआईडी योजना अधूरी
  • नगर निगम की शाखाओं के बीच समन्वय की कमी


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