वेतन के लिए फंड जुटाना नगर निगम के लिए मुश्किल, अभी तक नहीं मिला GST का हिस्सा
निगम की कमाई का सबसे बड़ा साधन राज्य सरकार से मिलने वाला जीएसटी का हिस्सा है। निगम के करीब 1000 करोड़ के बजट में से 480 करोड़ का हिस्सा अकेला जीएसटी का ही है।
लुधियाना, जेएनएन। नगर निगम की कमाई का सबसे बड़ा साधन राज्य सरकार से मिलने वाला जीएसटी का हिस्सा है। निगम के करीब 1000 करोड़ के बजट में 480 करोड़ का हिस्सा अकेला जीएसटी का ही है। ऐसे में अगर जीएसटी का हिस्सा समय पर न मिले तो कर्मचारियों को वेतन देने के लाले पड़ जाते हैं।
जून में नगर निगम को राज्य सरकार से 25 करोड़ रुपये की राशि जीएसटी के हिस्से के रूप में मिली है,जबकि करीब आठ करोड़ सीधे बैंक लोन की किश्त के लिए अदा कर दिए। इस माह की बात करें तो निगम को अभी तक सरकार से जीएसटी की किश्त नहीं मिली जबकि यह फंड पहले सप्ताह में मिल जाता है जिसमें वह कर्मचारियों के वेतन रिलीज करता है।
नगर निगम ने इस माह में प्रॉपर्टी टैक्स, पानी सीवरेज बिल समेत अलग अलग मदों में करीब आठ करोड़ की वसूली जून के अंत से अब तक की है। इसके अलावा जीएसटी के फंड में से कुछ राशि निगम के पास पिछले माह की बची थी। निगम ने उसमें से दर्जा चार व तीन मुलाजिमों को वेतन दे दिया है जबकि अफसरों को अभी वेतन नहीं मिला।
वेतन व पेंशन पर हर माह खर्च होते है 24 करोड़
नगर निगम हर माह वेतन व पूर्व मुलाजिमों की पेंशन पर 24 करोड़ रुपये प्रति माह खर्च करता है। पिछले माह और इस माह निगम ने अच्छी रिकवरी की है। जिसमें से कुछ राशि विकास कार्य करने वाले ठेकेदारों को दी। नगर निगम को अगर प्रति माह बजट के हिसाब से जीएसटी मिलता रहे तो वेतन देने के साथ साथ हर माह 15 से 20 करोड़ के विकास कार्य शहर में करवा सकता है। लेकिन जीएसटी की राशि पूरी न मिलने के कारण निगम आर्थिक परेशानियों से जूझ रहा है।
फंड का कर रहे हैं जुगाड़ : मेयर संधू
मेयर बलकार सिंह संधू का कहना है कि कर्मचारियों का वेतन न रूके और शहर में जरूरी काम समय पर हों, इसके लिए वह हर माह फंड का जुगाड़ कर रहे हैं। कुछ शेयर जीएसटी से आ रहा है जबकि कुछ फंड रिकवरी से मिल रहा है।