एमएसएमई पेमेंट डिले कमेटी ने 224 करोड़ रुपये के मामले किए सेटल
तीन माह पूर्व बनाई गई एमएसएमई पेमेंट डिले कमेटी के गठन का फायदा होने लगा है।
लुधियाना, मुनीष शर्मा। तीन माह पूर्व बनाई गई एमएसएमई पेमेंट डिले कमेटी के गठन का फायदा होने लगा है। इसके तहत अब हर शहर में ही पेमेंट न देने वाली कंपनियों के खिलाफ कमेटी की ओर से एक्शन लेकर पेमेंट दिलाई जा रही है। इससे पहले यह कार्य चंडीगढ़ में होता था। अब इसके लिए जिला स्तरीय कमेटियां बना दी गई हैं। इसकी अध्यक्षता शहर के डिप्टी कमिश्नर कर रहे हैं। इसको लेकर लुधियाना में बनाई गई कमेटी ने 250 में से 51 केस सेटल कर 224 करोड़ रुपये काउंसलिंग के जरिए दिलवाए हैं। कमेटी की ओर से इस प्रक्रिया में 32146 उद्योगों को उद्योग आधार के तहत लाभ दिया जा रहा है।
काउंसिल के फंक्शनल मैनेजर एसएस रेखी के मुताबिक कमेटी की ओर से पिछले तीन महीनों में दस बैठकें की गई हैं। लुधियाना में काउंसिल के आरंभ होने के बाद 250 केस अभी तक आए हैं। 232 करोड़ के इन केसों में से 224 करोड़ के 51 केस सेटल कर लिए गए हैं। इनमें सारे केस काउंसलिंग के जरिए हल किए गए। अब 13 करोड़ रुपये के केस 181 केस लंबित हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में एमएसएमई इंडस्ट्री को अधिक से अधिक लाभ देने का काम किया जा रहा है। डिप्टी कमिश्नर प्रदीप अग्रवाल खुद इसकी निगरानी कर रहे हैं और ज्यादातर केसों में आम सहमति से निपटारे पर फोकस किया जाता है।
क्या है एमएसएमई डिले कमेटी
एमएसएमई डवलपमेंट एक्ट-2006 सेक्शन 15 से 25 के तहत जिन उद्योगों ने उद्योग आधार नंबर लिया है, वे अगर 45 दिन या फिर डील के दौरान उनके द्वारा सेटल की गई तय तिथि तक पेमेंट नहीं देता, तो पेमेंट लेने वाली कंपनी कमेटी में अपना केस रख सकती है। इसमें अगर अप्लाई करने वाले ने उद्योग आधार नंबर लिया है और दूसरी पार्टी ने नंबर नहीं भी लिया, तो भी इसका लाभ लिया जा सकता है। इस प्रक्रिया के तहत भारत में कहीं भी व्यापार के दौरान पेमेंट न मिलने पर लाभ लिया जा सकता है।
हर मंगलवार को होती है काउंसिल की बैठक
इस कमेटी में जिले के डीसी सहित जीएम डीआइसी, फंक्शनल मैनेजर और दो इंडस्ट्री के प्रतिनिधि शामिल किए गए हैं। कमेटी में केस लगाने पर किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना होगा। इसको लेकर लुधियाना में हर मंगलवार को बैठक की जाती है। कोर्ट में अपील करने से पहले देनी होगी 75 प्रतिशत रकम काउंसिल की ओर से दो तरीके से पेमेंट सेटल के लिए काम किया जाता है। इसमें प्रथम चरण में दोनों पार्टियों में सहमति से बैठक करवाकर पेमेंट दिलाने का काम किया जाता है। इसके पश्चात आरबीटेशन में काउंसिल की ओर से बैठक कर आर्डर किए जाते हैं। इसके साथ ही काउंसिल के फैसले पर भी अगर अपील करनी है, तो नियमों के मुताबिक पहले 75 प्रतिशत रकम देना अनिवार्य होता है।