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टेंडर में प्रदेश सरकारों की कड़ी शर्ते बनी साइकिल उद्योग के लिए बाधा

केंद्र सरकार ने पीएसयू या सरकारी खरीद में 20 प्रतिशत खरीद माइक्रो स्माल एवं मीडियम इंटरप्राइजिज (एमएसएमई) से सुनिश्चित करने का कानून बनाया है, लेकिन जमीनी स्तर पर साइकिल उद्योग को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Nov 2018 05:45 AM (IST)Updated: Fri, 23 Nov 2018 05:45 AM (IST)
टेंडर में प्रदेश सरकारों की कड़ी शर्ते बनी साइकिल उद्योग के लिए बाधा
टेंडर में प्रदेश सरकारों की कड़ी शर्ते बनी साइकिल उद्योग के लिए बाधा

मुनीश शर्मा, लुधियाना

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केंद्र सरकार ने पीएसयू या सरकारी खरीद में 20 प्रतिशत खरीद माइक्रो स्माल एवं मीडियम इंटरप्राइजिज (एमएसएमई) से सुनिश्चित करने का कानून बनाया है, लेकिन जमीनी स्तर पर साइकिल उद्योग को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। ना ही इसको लेकर कोई सख्ती बरती जा रही है। हर साल प्रदेश सरकारों की ओर से योजनाओं के तहत साइकिल वितरित किए जाते हैं, लेकिन इसकी टेंड¨रग प्रक्रिया इतनी कठोर है कि इसमें एमएसएमई को लाभ नहीं मिल पाता। इसको लेकर कई कंपनियों ने केंद्र सरकार से गुहार भी लगाई गई है कि प्रदेश सरकारों को भी एमएसएमई से 20 प्रतिशत खरीद सुनिश्चित करने का नियम बनाया जाए, लेकिन फिलहाल इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा। शर्ते ऐसी जो सिर्फ कारपोरेट घराने ही कर सकते हैं पूरी

जी -13 फोरम के कन्वीनर और अर्पण साइकिल के एमडी उमेश कुमार नारंग के मुताबिक साइकिल के सरकारी टेंडरों का लाभ छोटे उद्योगों को नहीं मिल पाता। इसके लिए शर्ते ही ऐसी हैं, जिसे केवल कारपोरेट घराने ही पूरा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए अभी असम का 20 हजार साइकिलों का टेंडर आया है। कीमत 6 करोड़ रुपये है, इसके लिए 200 करोड़ रुपये की टर्नओवर की शर्त रखी गई है, जो एमएसएमई के लिए पूरी कर पाना असंभव है। ऐसे में इसमें कोई भी एमएसएमई इस टेंडर में भाग नहीं ले पाएगी। कें द्र की योजना को नहीं मानती प्रदेश सरकारें

नोवा साइकिल के सीएमडी हरमो¨हदर सिंह पाहवा के मुताबिक एक देश एक कानून की व्यवस्था होनी चाहिए। हर प्रदेश में अलग सरकार होने के चलते इसका नुक्सान एमएसएमई इंडस्ट्री को सहना पड़ता है। केंद्र की योजना हर प्रदेश की सरकारें नहीं मानतीं। ऊपर से शर्ते ऐसी हैं, जिन्हें एमएसएमई के लिए पूरा करना मुश्किल है। जैसे-टर्नओवर, अरनेस्ट मनी और सरकारी विभाग को तीन साल तक सप्लाई आदि। किस प्रदेश के कितने साइकिलों के होते हैं टेंडर

तमिलनाडु - 7 लाख साइकिल

मध्य प्रदेश - 7 लाख साइकिल

कर्नाटक - 5.50 लाख साइकिल

वेस्ट बंगाल - 20 लाख साइकिल

राजस्थान - 3 लाख साइकिल

आंध्र प्रदेश - 5.50 लाख साइकिल

गुजरात - 3 लाख साइकिल

असम - 1.25 लाख साइकिल

झारखंड - 2 लाख साइकिल

छत्तीसगढ़ - 3 लाख साइकिल

पंजाब - 1.20 लाख साइकिल


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