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एमएसएमई उद्यमियों लघु उद्योगों के लिए मांगा राहत

फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल आर्गेनाइजेशन ने केंद्रीय वित्त मंत्री कारपोरेट टैक्स में दी राहतों का हालांकि स्वागत किया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 06:00 PM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 06:00 PM (IST)
एमएसएमई उद्यमियों लघु उद्योगों के लिए मांगा राहत
एमएसएमई उद्यमियों लघु उद्योगों के लिए मांगा राहत

जागरण संवाददाता, लुधियाना :

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फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल आर्गेनाइजेशन ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से कारपोरेट टैक्स में दी राहत का स्वागत किया है। साथ ही उनका कहना है कि बजट में एमएसएमई सेक्टर के लिए कुछ नहीं किया गया। फिको ने सरकार को सुझाव दिए हैं कि छोटे उद्योगों को राहत देने के लिए भी कदम उठाए जाएं।

फिको का कहना है कि कारपोरेट टैक्स कम होने से इंडस्ट्री पर टैक्स का बोझ कम हुआ है। आर्गेनाजेशन के चेयरमैन केके सेठ का कहना है कि कारपोरेट टैक्स बिना किसी छूट और सरचार्ज एवं सेस के साथ कुल 22 फीसद होना चाहिए। अभी सरचार्ज एवं सेस जोड़ कर प्रभावी कारपोरेट टैक्स की दर 25.17 फीसद आ रही है। उन्होंने कहा कि अब अक्तूबर के बाद शुरू होने वाली कंपनियों को पंद्रह फीसद कारपोरेट टैक्स देना होगा। सरचार्ज एवं सेस जोड़ कर यह 17.01 फीसद पड़ेगी। यह अच्छा कदम है। लेकिन छोटे उद्योगों को राहत देना भी जरूरी है। ऑटो सेक्टर को दोहरी डेप्रिसिएशन का लाभ दिया गया है, लेकिन साइकिल इंडस्ट्री को पूरी तरह से इग्नोर किया गया है। साइकिल उद्योग को किसी भी तरह का पैकेज नीं दिया गया है। एमएसएमई सेक्टर को टेक्नोलाजी अपग्रेडेशन फंड के लाभ से भी वंचित रखा गया है।

फिको के कार्यवाहक प्रधान विपन मित्तल ने कहा कि कारपोरेट टैक्स में छूट केवल कंपनियों को दी गई है। जबकि व्यक्तिगत, फर्म या एचयूएफ इत्यादि को राहत नहीं दी गई है। 250 करोड़ से कम वाली कंपनियों को पहले ही 25 फीसद कारपोरेट टैक्स लग रहा है। उनको केवल तीन फीसद का लाभ मिलेगा यदि वे इंसेंटिव एवं छूट न ले रहे हो तो। देश में 97 फीसद एमएसएमई प्रोपराइटरशिप, पार्टनरशिप, एचयूएफ के तहत कारोबार कर रही हैं, उनको इस राहत का कोई लाभ नहीं होगा। उनको मौजूदा तीस फीसद एवं सरचार्ज अलग से देना पड़ेगा। इस बाबत भी सरकार को सोचना होगा। इसके अलावा एमएसएमई के लिए निवेश सीमा में कोई इजाफा नहीं किया गया है। निवेश सीमा बढ़ा कर इस क्षेत्र में नया निवेश आ सकता है। उन्होंने कहा कि एक अक्तूबर के बाद लगने वाली कंपनियों के लिए टैक्स की दर पंद्रह फीसद रखी है। लेकिन पहले से चल रही कंपनियों को यह राहत नहीं मिलेगी। इससे देश के भीतर ही आपस में प्रतिस्पर्धा पैदा होगी।


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