राजनीति की भेंट चढ़ा इस्सेवाल गांव; सांसद ने गोद लिया, फिर भी नहीं हुआ काम
इस्सेवाल को भले ही साढ़े चार साल पहले कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने गोद लिया लेकिन हकीकत यह है कि राजनीति के कारण यह विकास कार्यों से भी वंचित रह गया।
इस्सेवाल, [भूपेंदर सिंह भाटिया]। लुधियाना शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर गांव इस्सेवाल को भले ही साढ़े चार साल पहले कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने गोद लिया, लेकिन हकीकत यह है कि राजनीति के कारण गांव संवरने की जगह विकास कार्यों से भी वंचित रह गया। गांव के लोगों की माने तो पहले अकाली सरकार के विधायक ने गांव के विकास में कुछ योजनाएं चलाईं, लेकिन सांसद द्वारा इस गांव को गोद लेने के बाद जहां तत्कालीन अकाली-भाजपा सरकार के विधायक ने अपने हाथ पीछे खींच लिए, वहीं सांसद ने भी इस गांव से कन्नी काट ली। वायुसेना के परमवीर चक्र्र विजेता शहीद निर्मल सिंह सेखों के पैतृक गांव के लोगों को उम्मीद थी कि सांसद द्वारा इस गांव को एडाप्ट किए जाने के बाद केंद्र की योजनाओं से गांव की शक्ल बदल जाएगी, लेकिन उन्हें मायूसी ही हाथ लगी। लगभग 3500 आबादी वाले इस गांव के लोगों का कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सांसद कोटे से दस लाख रुपये सीवरेज और पांच लाख रुपये गांव के प्राइमरी स्कूल के लिए आए थे। इसके अलावा गांव के लिए कुछ भी नहीं हुआ।
हेल्थ सेंटर में कभी नहीं दिखे धरती के भगवान
गांव की सड़कें पिछले कई सालों से नहीं बनी। इतना ही नहीं, गांव के एक मात्र प्राइमरी हेल्थ सेंटर में कभी डॉक्टर नहीं रहता। गांव के ही सुखिवंदर सिंह कहते हैं कि उन्हें उम्मीद थी कि सांसद गांव के हेल्थ सेंटर को अस्पताल में बदलेंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। रात को भी किसी इमरजेंसी में गांव के लोगों को लुधियाना शहर जाना पड़ता है। इंदरजीत सिंह के अनुसार गांव की सड़कें 7-8 फुट चौड़ी हैं, जबकि परमवीर चक्र पाने वाले शहीदों के गांव को संवारने के लिए केंद्र सरकार अलग मदद करती हैं।
सांसद के गोद लेने के बाद यह थीं उम्मीदें
- सड़क बनने के बाद ट्रीटमेंट प्लांट लगेगा।
- गांव से लुधियाना के लिए बस चलेगी।
- गांव में न तो कोई बैंक है और न ही कोई एटीएम।
- शहरों की तर्ज पर अपग्रेडेशन की दरकार।
- गांव को एक पशु अस्पताल की जरूरत।
उम्मीद थी बदलेगी नुहार
सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने जब गांव को गोद लिया तो उस वक्त दाखा के विधायक मनप्रीत अयाली थे। गांव में सरपंच भी अकाली दल के थे। इसके बावजूद लोगों ने शहीद निर्मल सिंह सेखों के शहीदी दिवस पर कांग्रेसी सांसद को मुख्य मेहमान के रूप में आमंत्रित किया। उन्हें उम्मीद थी कि सांसद गांव की नुहार बदलने के लिए केंद्रीय योजनाओं को लाएंगे। गांव वालों के अनुसार सिर्फ एकबार सांसद गांव में आए। उसके बाद प्रत्येक समारोह में उन्हें आमंत्रित किया गया, लेकिन वह नहीं आ सके। ग्रामीणों को इस बात का मलाल है कि सांसद ने यहां तक कह दिया कि उसने गोद तो लिया है, लेकिन उनके पास फंड नहीं है, इसलिए वह कुछ नहीं कर सकते।
अपने आप में ही सुंदर गांव है इस्सेवाल
देश के अन्य गांव के मुकाबले गांव इस्सेवाल अपने आप में सुंदर गांव है, लेकिन समय-समय पर आधारभूत सुविधाएं, मसलन सड़क, सीवरेज, अस्पताल अपग्रेड नहीं हो पाए। गांव में वर्ल्ड बैंक की स्कीम के तहत आरओ प्लांट लगा है, जहां से गांव वालों को पीने का स्वच्छ पानी मुहैया करवाया जाता है। गांव के प्रत्येक घर में अपने शौचालय हैं और उनके पास खाना बनाने के लिए गैस चूल्हे हैं, इसलिए उन्हें केंद्र की हर घर शौचालय या उज्ज्वला योजना की जरूरत ही नहीं पड़ी। गांव के रंजीत सिंह कहते हैं कि सांसद चाहते तो उनके गांव में बड़ी आसानी से ज्यादा अपग्रेड कर सकते थे, लेकिन उनके गांव की सुध नहीं ली गई। गांव में सीवरेज डालने के लिए सांसद ने दस लाख रुपये दिए, जिससे थोड़ा काम हुआ है। इसके अलावा गांव के प्राइमरी स्कूल में सांसद के पांच लाख रुपये से निर्माण हुआ।