मानसून में जल संरक्षण पर ध्यान नहीं, वर्षा का करोड़ों लीटर पानी होगा बर्बाद
मानसून जिले में दस्तक दे चुका है लेकिन अभी तक अमूल्य जल को बचाने के लिए एक भी योजना नहीं बनाई गई है। ऐसे में वर्षा के रूप में आने वाला करोड़ों लीटर शुद्ध जल सीवरेज में बहेगा और इस पानी के संरक्षण की जिम्मेदारी सीधे तौर पर नगर निगम के पास है।
वरिदर राणा, लुधियाना : मानसून जिले में दस्तक दे चुका है, लेकिन अभी तक अमूल्य जल को बचाने के लिए एक भी योजना नहीं बनाई गई है। ऐसे में वर्षा के रूप में आने वाला करोड़ों लीटर शुद्ध जल सीवरेज में बहेगा और इस पानी के संरक्षण की जिम्मेदारी सीधे तौर पर नगर निगम के पास है। हालात ये हैं कि निगम अधिकारी सिर्फ मानूसन से होने वाले जलभराव से बचने पर ही है फोकस करके बैठे हैं, जबकि किसी अधिकारी ने अभी तक जल संरक्षण की तरफ ध्यान देने की जहमत नहीं की है। दूसरी तरफ, जिस तेजी से हम जमीन से पानी का दोहन कर रहे है, जिले का भूजल स्तर हर साल तीन फुट गहरा होता जा रहा है।
नगर निगम बिल्डिंग बायलाज (नियमों) में साफ लिखा गया है कि अगर कोई व्यक्ति 120 गज से अधिक एरिया में रिहायशी घर बनाता है तो वहां रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाना अति जरूरी है। जब कोई व्यक्ति रिहायशी या फिर कामर्शियल इमारत का नक्शा पास करवाने के लिए निगम के पास आवेदन करता है तो निगम नक्शा आवेदन के साथ ही 25 हजार रुपये बतौर सिक्योरिटी लेता है। इस सिक्योरिटी राशि का मकसद होता है कि व्यक्ति अपनी इमारत में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाएगा। जैसे ही वह रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगवा लेगा तो वह निगम को सूचित करेगा। निगम अधिकारी मौका देखने के बाद 25 हजार रुपये सिक्योरिटी राशि को वापस करेंगे। इस पूरे प्रकरण में रोचक बात है कि आज तक निगम के पास एक भी व्यक्ति यह राशि लेने के नहीं पहुंचा है। इससे साफ है कि यह कानून सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया है। लोग भी 25 हजार रुपये जमा करवाने के बाद रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगवाते और अपनी सिक्योरिटी राशि नहीं लेने जाते। इस समय निगम के पास लगभग दो करोड़ रुपये सिक्योरिटी राशि जमा हो चुकी है और इस राशि का प्रयोग किसी और काम के लिए नहीं किया जा सकता है।
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प्रदेश में 150 में से 117 ब्लाक में भूजल का दोहन अधिक
अगर हम पूरे प्रदेश की बात करें तो इस समय हालात यह है कि 150 ब्लाक में 117 ब्लाक में भूजल का दोहन रिचार्ज से ज्यादा हो रहा है। जल को बचाने के लिए अगर कुछ नहीं किया गया तो आने वाले दिनों पंजाब में भूजल स्तर नीचे की तरफ चला जाएगा।
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एक्सपर्ट व्यू :
रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम न लगाने वालों के सीवरेज-पानी के कनेक्शन काटे निगम
इंजीनियर कपिल अरोड़ा बताते है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना कोई बड़ा काम नहीं है। इसके लिए जमीन में 70 से 80 फुट गहरा एक बोर करना पड़ता है। इसके साथ व्यक्ति चाहे तो एक टैंक बना सकता है, जहां बरसात का पानी स्टोर होकर धीरे धीरे बोर के माध्यम से जमीन से चला जाए। यह पूरा सिस्टम लगाने के लिए करीब 20 हजार रुपये के आसपास खर्च होते हैं। लोग 25 हजार की सिक्योरिटी राशि तो दे देते हैं, लेकिन इतने ही रुपये खर्च कर रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगवाते। हालांकि इस सिस्टम को लगाने की जिम्मेदारी निगम की भी है। 25 हजार रुपये सिक्योरिटी राशि जब्त कर हम पर्यावरण से खिलवाड़ नहीं कर सकते है। निगम को चाहिए कि वह बीते पांच साल में बने नक्शों की जांच करे। जिन भी लोगों ने रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम को नहीं लगाया है, उन्हें नोटिस जारी करें। उनके सीवरेज या पानी कनेक्शन काटने चाहिए। तभी लोग बरसात का पानी बचाने की तरफ ध्यान देंगे।
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रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाने पर यह फायदा होगा
- हमारे भूजल के स्तर में सुधार होगा।
- वर्षा से जलभराव के कारण सड़के नहीं टूटेंगी
- सड़कें नहीं टूटेंगी तो निगम को करोड़ों की बचत होगी।
- शहर के निचले एरिया में जलभराव की स्थिति नहीं बनेगी।
- हमारी आने वाली पीढि़यों को स्वच्छ जल की दिक्कत नहीं होगी महानगर में यहां लगे हैं रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम
पीएयू कालेज इमारत
पीएयू थापर हाल
सरकारी कालेज फार गर्ल्स
खालसा कालेज फार वूमेन
वर्धमान मिल चंडीगढ़ रोड
एमबीडी माल
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यह बात सही है कि लोग रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम के प्रति गंभीर नहीं हैं। इसलिए मेरी लोगों से अपील है कि वह इस सिस्टम को जरूर लगवाए। बिल्डिंग ब्रांच को निर्देश दिए जा रहे हैं कि वह बीते कुछ में बनी इमारतों को क्रास चेक करें कि उन्होंने रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाया है या नहीं। जिन भी बिल्डिंग मालिक ने इस सिस्टम को नहीं लगाया है, उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
- शेना अग्रवाल, निगम कमिश्नर