भू-जल बचाने को विधायक अयाली ने पेश की मिसाल, पिछले पांच साल से अपनी 40 एकड़ जमीन पर कर रहे धान की सीधी बुआई
विधानसभा में भी विधायक अयाली ने भूजल के गिरते स्तर पर चिंता जताते हुए धान की सीधी बुआई का अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने सरकार से इसके लिए बड़े पैमाने पर प्रयास करने और योजना बनाने का आग्रह किया।
संजीव गुप्ता, जगराओं। धान की खेती ने पांच नदियों की भूमि पंजाब को रेगिस्तान बनने की कगार पर खड़ा कर दिया है। सरकारों की अपील और दलील काम नहीं आ रही हैं। वहीं, मुल्लांपुर दाखा के अकाली विधायक मनप्रीत सिंह अयाली ने भू-जल बचाने के लिए मिसाल कायम की है। वे जल संरक्षण के लिए पिछले पांच साल से अपनी 40 एकड़ जमीन पर धान की सीधी बुआई कर रहे हैं।
विधानसभा में भी विधायक अयाली ने भूजल के गिरते स्तर पर चिंता जताते हुए धान की सीधी बुआई का अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने सरकार से इसके लिए बड़े पैमाने पर प्रयास करने और योजना बनाने का आग्रह किया। उन्होंने सुझाव दिया कि अगली बार सरकार धान की बुआई के सीजन से पहले किसान संघों, सीधी बुआई करने वाले किसानों, कृषि विभाग और संबंधित वर्गों से बैठक कर बातचीत करें। चर्चा के बाद 50 प्रतिशत जमीन पर धान की सीधी बुआई अनिवार्य की जाए। फिर इसे आगे बढ़ाते हुए दो से तीन साल में 100% कर दिया जाए।
सीधी बुआई से किसान की आय कम नहीं होती है। उनका अपना पांच साल धान की सीधी बुआई करने का अनुभव शानदार रहा है। इससे फसल को भी कोई नुकसान नहीं होता है। विधायक अयाली ने सरकार से आग्रह किया है कि पूसा धान पर पाबंदी लगाई जाए। इसके लिए बुआई से कटाई तक ट्यूबवेल के पानी पर निर्भर होना पड़ता है। इस पर पाबंदी से जल संरक्षण में मदद मिलेगी।
ट्यूबवेल चलाने की जरूरत नहीं पड़ी
विधायक अयाली का कहना है कि सीधी बुआई से पानी की काफी बचत होती है। 40 एकड़ में सीधे बोए गए धान को पानी देने की जरूरत नहीं पड़ी है। बीच में हुई हल्की वर्षा से भी राहत मिली है। विधायक का कहना है कि भूजल का स्तर नीचे जा रहा है। धान की सीधी बुआई के लिए सरकार को योजना बनानी होगी। चार से पांच साल में पंजाब में 100 प्रतिशत सीधी बुआई हो सकती है। इस काम को दिलचस्पी लेकर करना होगा।
25 एकड़ में शुरू की बागवानी
भूजल बचाने के लिए विधायक अयाली कई साल से खुद प्रयास कर रहे हैं। अपनी 250 एकड़ जमीन में से 40 एकड़ में धान की सीधी बुआई कर रहे हैं। 25 एकड़ में बागवानी भी कर रहे हैं। विधायक के साथ सैकड़ों किसान भी जुड़े हैं, जो उनके सफल प्रयोग से सीख ले रहे हैं।