मन के डॉक्टर पैसे से नहीं मिलते : अरुण मुनि
एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में संघशास्ता श्री सुदर्शन लाल महाराज के सुशिष्य आगमज्ञाता गुरुदेव अरुण मुनि ठाणा-6 सुखसाता विराजमान हैं।
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में संघशास्ता श्री सुदर्शन लाल महाराज के सुशिष्य आगमज्ञाता गुरुदेव अरुण मुनि ठाणा-6 सुखसाता विराजमान हैं। मंगलवार के संदेश में गुरुदेव अरुण मुनि ने कहा कि जिनेंद्र भगवान के वचन औषधि के रूप में काम करते हैं। इसके माध्यम से तन व मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। तन के डॉक्टर पैसे खर्च करने पर मिल जाते हैं पर मन के डॉक्टर पैसे से नहीं मिलते, बल्कि भगवान के प्रति आस्था व श्रद्धा के माध्यम से मन को शांत किया जा सकता है। वर्तमान परिदृश्य में हर व्यक्ति तन व मन से दुखी है। उसके पास चितन के लिए समय ही नहीं है जबकि, चितन से हमारा मन स्वस्थ होता है। मुनि श्री ने कहा कि सज्जन से जब दूसरा दोस्त मिलता है तो ज्ञान की ही बातें करता है। दुर्जन से अगर सज्जन या कोई भी मिले तो वह वहां पर निदा, चुगली, झूठ, चोरी सहित कई प्रकार की अज्ञान की ही बातें करेगा। संसार में मानव के अंदर मानवता नहीं है। इंसान मे इंसानियत नहीं है। आपका जन्म किस काम का, इसलिए कहते हैं मनुष्य जन्म अनमोल रे, माटी में न रोल रे। अब जो मिला है फिर न मिलेगा।
इससे पहले सोमवार के संदेश में गुरुदेव अरुण मुनि ने कहा कि मनुष्य सामाजिक प्राणी है। उसे केवल अपने लिए नहीं जीना, बल्कि दूसरों का भला करना भी है। दुनिया का नियम है जो लुटाओगे, वहीं लौटकर आएगा। जो ओरों को ठगता है वह एक दिन खुद भी ठगा जाता है। जो देता है, वहीं पाता है। जरा देकर तो देखो। मांगने पर देना अच्छा है, लेकिन जरूरत समझकर बिना मांगे देना और भी बढि़या है। जरूरत पाप नहीं है, जरूरत से ज्यादा रखना पाप है। अरे सत्य और ईमान व परोपकार का रास्ता स्वर्ग में जाकर खत्म होता है।