मिठाई की दुकानें बंद, लाखों लीटर दूध रोज हो रहा बर्बाद
कर्फ्यू के कारण डेयरी उद्योग पर खतरा मंडराने लगा है।
राजेश भट्ट, लुधियाना
कर्फ्यू के कारण डेयरी उद्योग पर खतरा मंडराने लगा है। एक तरफ डेयरी उद्योग को नियमित तौर पर चारा नहीं मिल रहा, दूसरी तरफ घरों तक लोगों को दूध पहुंचाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
शहर में मिठाई की दुकानें भी बंद हैं और हलवाइयों ने ऑर्डर रद करवा दिए हैं। इससे डेयरी वालों का लाखों लीटर दूध बर्बाद हो रहा है। लुधियाना शहर में दो हजार के करीब डेयरियां हैं जिनसे घरों और हलवाई की दुकानों पर दूध की सप्लाई होती है। घरों में दूध की सप्लाई लगभग 85 से 90 फीसद तक होने लगी है, लेकिन कामर्शियल सप्लाई अभी बंद है। जिन डेयरी वालों की घरों में दूध की सप्लाई होती है, उनका कारोबार तो पटरी पर आने लगा है लेकिन जो डेयरी वाले हलवाइयों व दुकानों पर दूध व अन्य डेयरी उत्पाद बेचते हैं, उनके लिए परेशानी बनी हुई है।
हैबोवाल डेयरी कांप्लेक्स एसोसिएशन के चेयरमैन बॉबी का कहना है कि उनके कांप्लेक्स में 700 के करीब डेयरियां हैं। यहां पर रोजाना 2.5 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है। इसमें से 50 फीसद की सप्लाई दुकानों व हलवाइयों के पास होती है। मिठाइयों की दुकानें बंद हैं। बॉबी ने बताया कि डेयरी वालों के पास इतने संसाधन नहीं हैं कि वह दूध को प्रोसेस कर सकें या फिर उसे स्टोर करके रख सकें। उन्होंने बताया कि कुछ दूध तो अब उन्होंने एनजीओ के सदस्यों को देना शुरू कर दिया ताकि दूध बर्बाद न हो।
ताजपुर रोड डेयरी कांप्लेक्स के प्रधान डीएस ओबराय का कहना है कि उनके डेयरी कांप्लेक्स से भी पचास फीसद सप्लाई दुकानों व हलवाइयों को की जा रही है। छह दिन से यह सप्लाई ठप है। इसकी वजह से बड़ी मात्र में दूध खराब हो रहा है। इससे डेयरी संचालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सरकार करे दूध को प्रोसेस करने की व्यवस्था: बॉबी
हैबोवाल डेयरी कांप्लेक्स एसोसिएशन के चेयरमैन बॉबी ने कहा कि लुधियाना में सरकार ने वेरका मिल्क प्लांट लगाया है। सरकार उनका बचा दूध भी वहां प्रोसेस करवाने की व्यवस्था करे ताकि डेयरी संचालकों को नुकसान से बचाया जा सके। उन्होंने बताया कि दूध से मिल्क पाउडर बनाकर उसे बचाया जा सकता है। पशुओं की दवाइयां और चारा नहीं मिल रहा
ताजपुर डेयरी कांप्लेक्स एसोसिएशन के प्रधान डीएस ओबराय का कहना है कि एक तरफ पर्याप्त मात्र में चारा नहीं आ रहा है, दूसरी तरफ पशु बीमार होने लगे हैं। पशुओं की दवाइयां नहीं मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि पशुओं की दवा बेचने वाले केमिस्टों को भी दुकानें खोलने की अनुमति दी जाए ताकि वे दवा खरीद सकें।