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लुधियानाः स्कूलों के इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने के लिए शहर के बिजनेसमैन आएं आगे

समीरा बैक्टर क्रिमिका ग्रुप की डायरेक्टर हैं। वह लंबे समय से सोशल एक्शन ग्रुप एनजीओ के तहत एक प्रयास स्कूल चला रही हैं, जिसमें मंदबुद्धि बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Thu, 26 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 26 Jul 2018 11:29 AM (IST)
लुधियानाः स्कूलों के इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने के लिए शहर के बिजनेसमैन आएं आगे

क्रिमिका ग्रुप की डायरेक्टर समीरा बैक्टर का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए शिक्षण संस्थानों को विशेष कदम उठाने चाहिए। स्कूल सरकारी हो या फिर निजी बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। शहर के निजी स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर की कोई कमी नहीं है, जबकि सरकारी स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर में भी बदलाव आ रहा है। सरकार को चाहिए कि निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों में बच्चों को सुविधाएं प्रदान की जाएं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर कड़े इंतजाम किए जाएं।

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उनका कहना है कि सभी को सिर्फ सरकार की तरफ नहीं देखना चाहिए। शहर के उद्यमी सीएसआर फंड लगाकर शहर के स्कूलों को बेहतर बना सकते हैं। समीरा बैक्टर का मानना है कि स्कूलों में विद्यार्थियों को मॉरल एजुकेशन जरूर दी जानी चाहिए। अगर टीचर और माता पिता अपने बच्चों में अच्छे संस्कार पैदा कर देते हैं तो वह सभ्य नागरिक बनेंगे और अपना भविष्य सुरक्षित कर लेंगे।

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मानसिक तौर पर कमजोर बच्चों को दे रही हैं नई राह
समीरा बैक्टर क्रिमिका ग्रुप की डायरेक्टर हैं। वह लंबे समय से सोशल एक्शन ग्रुप एनजीओ के तहत एक प्रयास स्कूल चला रही हैं, जिसमें मंदबुद्धि बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। करीब 20 साल से समीरा बैक्टर खुद भी और अपनी एनजीओ के अन्य सदस्यों के साथ जुड़कर एक प्रयास के जरिए उन बच्चों को नई राह दिखा रही हैं जो कि खुद के बारे में भी नहीं जानते हैं। इन 20 सालों में एक प्रयास के जरिए 400 से अधिक मंदबुद्धि बच्चों को जीवन जीने का सार बता रहे हैं। इस स्कूल में बच्चों को वोकेशनल ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि वह खुद के पैरों पर खड़े हो सकें। 

समीरा बैक्टर ने बताया कि 1996 में कुछ लोगों ने मिलकर मानसिक तौर पर कमजोर बच्चों को पढ़ाने के लिए वॉलंटियर करने का मन बनाया। मानसिक तौर पर कमजोर बच्चों को वह देख भी नहीं पाती थी। तब दो दिन उनको पढ़ाने के लिए गईं। फिर उनसे लगाव होने लगाया और 1998 में सोशल एक्शन ग्रुप एनजीओ बनाई और एक प्रयास स्कूल शुरू किया। तब से लेकर अब तक एक प्रयास स्कूल चल रहा है, जिसमें मंदबुद्धि बच्चों को अब वोकेशनल ट्रेनिंग भी दी जा रही है। कई बच्चे ट्रेनिंग लेकर अपना रोजगार शुरू कर चुके हैं।

सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं के लिए फंड जरूरी
समीरा बैक्टर का मानना है कि सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी जरूर है, लेकिन वहां पर स्टाफ वेल क्वालिफाइड है। उनका कहना है कि सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाने के‍ लिए फंड मुहैया करवाने होंगे। इसके अलावा सरकारी तंत्र में फंडों का फ्लो बहुत धीमा होता है, जिसकी वजह से हर काम में देरी होती है। सरकारों को फंड का फ्लो तेज करना होगा।

सिलेबस को समय की जरूरत के साथ जोड़ना होगा
उन्होंने बताया कि सिलेबस समय पर रिव्यू होना चाहिए। बच्चों के सिलेबस को समय के हिसाब से अपडेट करना चाहिए। इस समय बच्चों को खुद की सुरक्षा के लिए जागरूक करना बेहद जरूरी है। ऐसे में सेल्फ डिफेंस को उनके सिलेबस में शामिल किया जाना चाहिए। स्कूल प्रिंसिपल को चाहिए कि वह ऐसे इनिशिएटिव लें ताकि बच्चे प्रेरित हो सकें। स्कूलों में रोजाना मॉरल एजुकेशन के क्लास लगाए जाने चाहिए।

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