लुधियाना को मर्सिडीज वाला शहर क्यों कहा गया, जानिए वजह ....
लुधियाना में 120 साल से ज्यादा पुराना हौजरी उद्योग पंजाब की अर्थव्यवस्था में अहम रोल अदा करता है।
भारत के मैनचेस्टर के रूप में विख्यात लुधियाना शहर को लगभग डेढ़ दशक पहले जब मर्सिडीज कार का शहर घोषित किया गया तो लोगों को आश्चर्य हुआ था। आंकड़े बताते है कि यहां के लोगों ने आजादी के बाद अपनी मेहनत से इस शहर को न सिर्फ बिजनेस के क्षेत्र में ऊंचाईयों तक पहुंचाया, बल्कि वर्ष 2007 में शहर में 750 मर्सिडीज कारें बिकीं, जो इस शहर की मजबूत इकोनॉमी को दर्शाती हैं।
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पिछले 50 सालों में इस शहर ने उद्योग और कारोबार के क्षेत्र मे जितनी तरक्की की, वह देश के अन्य शहरों में बहुत कम देखने को मिलती है। शहर को विश्व बैंक ने 2009 और 2013 में देश के सर्वश्रेष्ठ बिजनेस माहौल वाला शहर घोषित किया। साइकिल, इंजीनियरिंग, हौजरी, मशीन टूल्स, सिलाई मशीन जैसे उद्योगों के कारण इसे उत्तर भारत का प्रमुख औद्योगिक शहर माना जाता है, जो इसकी बढ़ती इकनॉमी का कारण है।
विमानों के पुर्जे भी बनते हैं यहां
लुधियाना की इकोनॉमी का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि यहां के छोटे उद्योग जर्मनी की मर्सिडीज और बीएमडब्ल्यू जैसी कंपनियों के पार्ट बनाकर उन्हें भेजते है। यहां लड़ाकू मिग विमानों के पुर्जे तक बनते है। खासबात यह है कि शहर के इंजीनियरिंग उद्योग को दिशा देने वाली रामगढिय़ा बिरादरी का पूरे विश्व में डंका बजता है। इनकी खासियत यह है कि वे किसी भी मशीन का मुआयना कर वैसी ही मशीन तैयार कर देने की क्षमता रखते है।
प्रताप सिंह कैरों ने तैयार की थी औद्योगिककरण की जमीन
1950-60 के दशक में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों ने लुधियाना में औद्योगिककरण की जमीन तैयार की थी, जिससे यहां के लोगों का रहन-सहन ऊंचा हुआ। आजादी से पहले यहां हौजरी, सिलाई मशीन और फाउंड्री थी। यहां साइकिल इंडस्ट्रीज नहीं थी। बाहर से ब्रिटिश साइकिल लेकर आते थे और यहां जुगाड़ से उनके पार्टस बनाते थे। 1954-55 भाखड़ा डैम बना और सस्ती हाइड्रो बिजली ने शहर को औद्योगिक शहर बनाने में अहम भूमिका अदा की। तत्कालीन मुख्यमंत्री कैरों ने इंडस्ट्रियल एरिया और इस्टेट बनवाई। उद्योगों के लिए 50 पैसे गज जगह दी। आजादी के बाद हीरो, एवन जैसी बड़ी साइकिल कंपनियां बनीं। इससे छोटी-छोटी इकाईयां बनी, जो इन्हें पूर्जे सप्लाई करती थी। स्माल स्केल इंडस्ट्री का गढ़ बन गया और यहां की इकनॉमी मजबूत होती चली गई।
प्रतिभा का बजाया डंका
शहर के उद्यमियों ने देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी प्रतिभा का डंका बजाया। हीरो साइकिल, एयरटेल, ओसवाल ग्रुप इसके प्रमुख उदाहरण हैं। यहां के उद्योगपतियों पद्म सम्मान भी हासिल किए हैं। साइकिलों के शहर में हर साल डेढ़ करोड़ से अधिक साइकिल का उत्पादन किया जा रहा है, जो कि देश के कुल उत्पादन के 90 फीसदी के आसपास है।
इंजीनियरिंग उद्योग ने अर्थव्यवस्था मजबूत की
आजादी के बाद यहां स्थापित इंजीनियरिंग उद्योगों ने शहर की अर्थव्यवस्था मजबूत करने में योगदान किया। आरंभ में फ्रेट इक्यूलाइजेशन स्कीम के कारण स्टील पूरे देश में एक ही रेट पर मिलता था। रामगढिय़ा बिरादरी इस उद्योग में माहिर होने के कारण लुधियाना इंजीनियरिंग का गढ़ बन गया। 1991 में मनमोहन सिंह ने विश्व व्यापार संगठन के साथ समझौता किया। फरवरी 1992 में फ्रेट इक्यूलाइजेशन स्कीम बंद हो गई। इससे स्टील और बिजली महंगी होने से शहर को झटका लगा।
हौजरी उद्योगों ने बरकरार रखी अर्थव्यवस्था
लगभग 120 साल से ज्यादा पुराना हौजरी उद्योग पंजाब की अर्थव्यवस्था में अहम रोल अदा करता है। खासकर वूलेन गारमेंट्स ने विदेशों तक अपनी पहचान कायम की है और लगभग 12 हजार से ज्यादा इकाइयों में लाखों की संख्या में श्रमिक काम करते है। यह श्रमिक पंजाब के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडि़सा, बंगाल जैसे राज्यों से आकर यहां बसे हैैं।
लुधियाना की अर्थव्यवस्था में ये चीजें बन रहीं अड़चन
लुधियाना के उद्योगों की बादशाहत बरकरार रखनी है तो कुछ खामियों को दूर करना होगा। इनमें सबसे बड़ी महंगी जमीन और अधिकृत औद्योगिक क्षेत्रों की कमी है। इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि 1992 के बाद अब तक कोई नया फोकल प्वाइंट लुधियाना में नहीं बना है। हजारों की संख्या में औद्योगिक इकाइयां रिहाइशी इलाकों में स्थापित हैं। मास्टर प्लान के तहत अगले कुछ सालों में इन्हें अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में शिफ्ट किया जाना है।
इसके अलावा महंगी बिजली छोटे उद्योगों के सामने बड़ी समस्या बनकर उभरी है। सरकार ने पांच रुपये प्रति यूनिट बिजली मुहैया करवाने का वादा तो किया है, लेकिन टू पार्ट टैरिफ के कारण यह पांच रुपये में उपलब्ध नहीं है। उद्योगों को नई दिशा के लिए कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत और आधुनिक बनाने के लिए प्रयास करने होंगे।