लुधियानाः आत्मरक्षा के लिए कर रहे प्रशिक्षित ताकि बहादुर बनें बेटियां
बेटियों को आत्मरक्षा के लिए मजबूत बनाना उनका लक्ष्य है और इसके लिए वे लगातार प्रयासरत हैं।
इंटरनेशनल मार्शल आर्ट में शिहान उपाधि से सम्मानित पंकज साहनी कहते हैं कि अगर बच्चियां खुद शरारती तत्वों का सामना करने में सक्षम होंगी तो छेड़छाड़, रेप और झपटमारी की घटनाओं में कमी आ जाएगी। इसलिए इन्हें अपनी सुरक्षा के लिए मार्शल आर्ट के गुर सिखाना जरूरी है।
भाई से प्रेरित होकर आए मार्शल आर्ट में
पंकज साहनी के बड़े भाई आर्मी में थे और फौज के लिए स्वीमिंग करते थे। उन्हीं से प्रेरित होकर उनकी दिलचस्पी खेलों की तरफ बढ़ी और अब उन्हें इंटरनेशनल स्तर पर शिहान की उपाधि मिली हुई है। अब सरकारी और प्राईमरी स्कूलों में मार्शल आर्ट की कोचिंग देने के साथ साथ आईपीएस अधिकारियों और एनसीसी के लिए कैंप के अलावा महिलाओं के कैंप लगाकर उन्हें मार्शल आर्ट सिखाते हैं।
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मार्शल आर्ट शिहान 1990 से कर रहे काम
वह बताते हैं कि साल 1990 से वह इस फील्ड में हैं। पहले स्कूलों में खेल के प्रति ज्यादा रुचि नहीं थी। मगर अब हर स्कूल में इसे जरूरी कर दिया गया है। मार्शल आर्ट के कोच कम होने के कारण वह अलग-अलग स्कूलों में पार्ट टाइम काम करके बच्चों को इसकी ट्रेनिंग देते हैं। खिलाड़ी पैदा करने के साथ साथ युवतियों को इसकी ट्रेनिंग देना उनका मुख्य मकसद रहता है। इसके लिए वह एक्स्ट्रा टाइम देते हैं।
बच्चियों से रेप और स्नेचिंग की वारदातें बढ़ने पर उठाया कदम
उनका कहना है कि पहले उनका टारगेट खिलाड़ी पैदा करने तक ही सीमित था। हाल ही में निर्भया मामले और बच्चियों से रेप और झपटमारी की बड़ी वारदातों के बाद उनके मन में आया कि खिलाड़ी पैदा करने का का लक्ष्य सही नहीं है, लड़कियों को आत्म रक्षा के गुर सिखाना भी जरूरी है। इसलिए बेलन बिग्रेड और अन्य समाज सेवी संस्थाओं के साथ मिलकर वह काम कर रहे हैं।
बेटियों को आत्मरक्षा के लिए मजबूत बनाना उनका लक्ष्य है और इसके लिए वे लगातार प्रयासरत हैं। वे कहते हैं कि जरूरी नहीं किसी मर्द का सामना करने के लिए युवतियों को मार्शल आर्ट में निपुण होना होगा। अगर वह बेसिक ही सीख जाएं तो भी बहुत है। वह बेसिक में विरोधी से खुद को छुड़वाना, विरोधी को नीचे पटकने और अपनी कलाई छुड़वाने जैसी तकनीक सिखाते हैं। अगर एक किक भी ढंग से विरोधी के पेट में लग जाए तो हो ही नहीं सकता कि वह दोबारा किसी युवती से पंगा भी लेने लायक रहे।
कैंसर को मात देकर प्रियंका को बनाया नेशनल चैंपियन
न्यू शक्ति नगर की प्रियंका कुछ समय पहले ब्लड कैंसर से पीड़ित थी। वह खेल में काफी अग्रणी रहती थी, मगर घर में पैसे नहीं होने के कारण अपना इलाज नहीं करवा पा रही थी। कोच पंकज साहनी ने खुद प्रयास करके उसके लिए मुख्यमंत्री राहत कोश से पैसे दिलवाने के साथ साथ एक जंग कैंसर के संग एनजीओ को साथ लेकर उसका इलाज करवाकर उसे दोबारा कराटे की ट्रेनिंग दी। अब वह नेशनल स्तर पर खेल रही है। मकसद सिर्फ युवतियों में आत्म सम्मान और भरोसा बढ़ाना ही था।
पुलिस को भी सहायता देने को हमेशा तैयार
पंकज साहनी कहते हैं कि पंजाब पुलिस की महिला कर्मियों को भी कराटे की ट्रेनिंग देना जरूरी है। उनका कहना है कि इस तरह से महिला कर्मी अपना बचाव करने में सक्षम तो होंगी ही साथ में एक टीम ऐसी तैयार हो जाएगी जो युवतियों को आगे अपना बचाव करने के लिए तैयार कर सकेगी।
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