लुधियाना में इन्होंंने युवाओं को सिखाया स्वरोजगार का ककहरा
राजिंदर सिंह सरहाली ने अपनी शिक्षा के दौरान ही जनसेवा का अभियान शुरू कर दिया।
लुधियाना के कारोबारी परिवार में जन्मे राजिंदर सिंह सरहाली ने बचपन में शिक्षा के अलावा पिता से कारोबारी बारीकियां समझी, जरूरमंदों की मदद करना ही उनकी प्राथमिकता बन गया। आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों के बच्चों की फीस जमा करा उनकी शिक्षा को आगे बढ़ाने में सहयोग किया। समाज सेवा में कभी कोई अड़चन नहीं आई। सच्चाई के साथ खड़े रहे और काम कराने के लिए किसी की भी सिफारिश नहीं लगवाई। समाज सेवा का सारा काम जातिवाद से उपर उठ कर बिना किसी भेदभाव के किया।
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कीरत फाउंडेशन से बना कारवां
सरहाली ने अपने उद्यमी साथी मनजीत सिंह खालसा के साथ मिल कर कीरत फाउंडेशन बनाई और युवाओं को स्वरोजगार का पाठ पढ़ाया। इतना ही नहीं कीरत फाउंडेशन के तहत उन्होंने कारोबार शुरू करने वाले युवाओं की आर्थिक मदद कर उनको अपने पैरों पर खड़ा करने योग्य बनाया। आज कीरत फाउंडेशन का कारवां तेजी से बढ़ रहा है।
हरमन एंटरप्राइजेज कंपनी के एमडी राजिंदर सिंह सरहाली साइकिल पार्टस में नट बोल्ट का उत्पादन करते हैं। मेट्रिक तक शिक्षा हासिल करने के बाद वे 1994 से पिता के साथ कारोबार में जुड़ गए। देश के कई शहरों में उनकी कंपनी पार्टस की सप्लाई कर रही है। सरहाली लुधियाना एफ्लूऐंट ट्रीटमेंट सोसाइटी में डायरेक्टर हैं। इसके अलावा वे एशिया के सबसे बड़े औद्योगिक संगठन यूनाइटेड साइकिल एंड पाट्र्स मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन में प्रोपोगंडा सेक्रेटरी की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रहे हैं।वे कीरत फाउंडेशन में वित्त सचिव की महत्वपूर्ण भूमिका में हैं।
सरकारी दफ्तर में काम के लिए धक्के खा रहे लोगों की मदद
सरहाली ने अपनी शिक्षा के दौरान ही जनसेवा का अभियान शुरू कर दिया। सरकारी दफ्तरों में काम करवाने के लिए धक्के खा रहे जरूरतमंद लोगों का साथ दिया और उनकी सहायता की। खास कर नगर निगम में लोगों के लिए जन्म मृत्युं का सर्टिफिकेट, करों की अदायगी समेत हर तरह के काम में अपना निस्वार्थ सहयोग दिया। समाज सेवा करके उनको आत्मिक शांति मिलती है। उनका मानना है कि लोग मंदिरों एवं गुरुद्वारों में जाकर सेवा करते हैं, लेकिन असली संतुष्टि तो जनसेवा में है।
मदद के लिए दसवंत जमा करवाते हैं सदस्य
कीरत फाउंडेशन के सदस्य अपनी कमाई का दसवां हिस्सा सेवा के मकसद से जमा करते हैं और उससे आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों की सहायता करते हैं। स्वरोजगार शुरू कराने, कारोबार शुरू करने में लोन लेने के लिए शुरूआती रकम का सहयोग करने में कीरत फाउंडेशन मदद करती है। यदि मदद पाने वाला रकम वापस करता है तो उसे आगे किसी अन्य की सहायता में खर्च किया जाता है। फाउंडेशन में 21 सदस्यीय कमेटी है और अब दस हजार सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है। ताकि एक मंच पर फंड जमा करके जरूरतमंदों की सहायता की जाए।
पांच सदस्यीय कमेटी करती है जांच
आर्थिक सहायता लेने के लिए आवेदक संस्था में आवेदन करता है। पांच सदस्यीय कमेटी यह जांच करती है कि वह वाकई में ही जरूरमंद है। वह जो काम करना चाहता है, उसे उसका तजुर्बा है या नहीं। उसे किस तरह की जरूरत है। क्या मशीनरी चाहिए। कमेटी यह तय करती है कि उसे कितनी ग्रांट देनी है। ग्रांट में नकदी की बजाए प्रोजेक्ट की जरूरत का सामान लेकर दिया जाता है। फाउंडेशन पचास हजार रुपये तक के छोटे प्रोजेक्ट में ही सहयोग करता है। सिर्फ एक युवा को चार लाख की मदद से सोया पनीर का यूनिट लगवा कर दिया है। इस यूनिट में अब उत्पादन शुरू हो गया है और अब यह यूनिट सही चल रहा है।
कीरत फाउंडेशन ने दिखाई नई राह
लकड़ी का काम करने वाले मिस्त्री कंवलजीत सिंह का कारोबार खत्म हो गया। वह काफी परेशान था, रोजी रोटी कमाने के लिए ड्राईवरी शुरू कर दी, लेकिन गुजारा नहीं हो रहा था। कीरत फाउंडेशन ने मार्जेन मनी जमा करा उसे ऑटो खरीद कर दिया और ढुलाई के लिए कई इकाइयों से काम दिलवा दिया। आज कंवलजीत अपने परिवार का अच्छा पालन पोषण कर रहा है। इसी तरह के कई युवाओं का भविष्य सुधारने के लिए फाउंडेशन ने सहयोग किया है।
राजिंदर सिंह सरहाली
- https://www.facebook.com/rajindersingh.sarhali
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