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लुधियाना राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः शहर सुरक्षित है लेकिन लोगों में असुरक्षा की भावना खत्म नहीं हुई

शहर की सुरक्षा के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और सिस्टम डेवलप करने के साथ लोगों की सोच में बदलाव लाना होगा।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Sun, 12 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 16 Aug 2018 07:25 PM (IST)
लुधियाना राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः शहर सुरक्षित है लेकिन लोगों में असुरक्षा की भावना खत्म नहीं हुई

पंजाब की औद्योगिक राजधानी लुधियाना का समय के साथ लगातार विस्तार होता चला गया, लेकिन बढ़ती आबादी के साथ सुरक्षा के लिए पर्याप्त पुलिसकर्मी न होने से कानून और अपराध का ग्राफ भी बढ़ा। हालांकि इसके बावजूद जानकार इसे सेफ सिटी मानते हैं, लेकिन साथ में यह भी कहते हैं कि लोगों खासकर महिलाओं में असुरक्षा को लेकर भय समाप्त नहीं हुआ है। भले ही शहर रातभर जागता है, लेकिन महिलाएं अभी भी खुद को असुरक्षित मानती हैं।

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उक्त बातें सुरक्षा क्षेत्र से जुड़े एक्सपर्ट और हीरोज ने दैनिक जागरण की ओर से आयोजित 'माय सिटी, माय प्राइड' के राउंड टेबल कांफ्रेंस में कहीं। इस मौके पर पंजाब के पूर्व डीजीपी डीआर भट्टी, कर्नल (रिटायर्ड) एचएस काहलों, एडीसीपी सुखपाल बराड़, जाने माने सुरक्षा एक्सपर्ट प्रीतपाल सिंह, आईएनआईएफडी की एडिशनल डायरेक्टर मोना लाल, ट्रैफिक मोटिनवेटर कुमार गौरव, रमन गोयल और पंकज साहनी उपस्थित रहे।

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उन्होंने एक स्वर में कहा कि शहर की सुरक्षा के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और सिस्टम डेवलप करने के साथ लोगों की सोच में बदलाव लाना होगा। जब तक लोग अपनी सुरक्षा को लेकर जागरूक नहीं होंगे, तब तक अपराधों पर नियंत्रण पाना मुश्किल होगा। शहर में पुलिस बल की कमी को दूर करने के साथ बेवजह तथाकथित वीवीआईपी को दिए गए सुरक्षाकर्मी वापस लिए जाने चाहिए और उन्हें लोगों की सुरक्षा में उपयोग किया जाना चाहिए।

इसके अलावा सुरक्षा सिस्टम को इलेक्ट्रानिक्स उपकरणों से लैस करने के साथ इसमें लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। एक्सपर्ट के अनुसार शहर में 1460 सीसीटीवी कैमरे वर्तमान में लगे हैं और उनके जरिए अपराधों पर अंकुश लगाने में मदद मिली है, लेकिन वर्तमान में शहर को पूरी तरह से कवर करने के लिए 16 हजार कैमरे लगाने की जरूरत है। जिस पर प्रशासन काम कर रहा है। इसके अलावा उन्होंने माना कि शहर की खस्ताहाल सड़के दुर्घटनाओं और ट्रैफिक जाम के लिए जिम्मेदार हैं और इन्हें दुरुस्त करने की जरूरत है।

नफरी बढ़ाने की है जरूरत: पूर्व डीजीपी भट्टी
पंजाब के पूर्व डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी) डॉक्टर डीआर भट्टी ने कहा कि शहर अभी भी पूरी तरह से सुरक्षित है, लेकिन पिछले तीन दशकों में शहर में आबादी काफी बढ़ गई है। पुलिस की नफरी कम होने के कारण सुरक्षा करने को लेकर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि शहर के बाहरी इलाकों में अन्य राज्यों से आकर लोग रहने शुरू हो गए हैं। इनमें कई ऐसे लोग भी आकर बस गए हैं, जोकि झपटमारी और अन्य अपराध करने में जुटे हुए हैं। पुलिस को सुरक्षा के इंतजाम और कड़े करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शहर की सड़कें भी पिछले तीस साल में चौड़ी नहीं हुई, लेकिन सड़कों पर वाहनों की गिनती लाखों में बढ़ गई और ट्रैफिक पुलिस की भी नफरी काफी कम है। जिस कारण ट्रैफिक की समस्या का हल निकालने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

सोच बदलें और जागरूक हों लोग: एडीसीपी बराड़
एडीसीपी ट्रैफिक सुखपाल सिंह बराड़ ने कहा कि ट्रैफिक की समस्या का हल निकालने के लिए लोगों का जागरूक होना काफी जरूरी है। जिन चौराहों में पुलिस मुलाजिम खड़े होते हैं, वहां पर कोई भी रेड लाइट जंप नहीं करता। लेकिन जिन चौक में पुलिस मुलाजिम नहीं दिखा, उन चौक पर वाहन चालक रेड लाइट जंप कर सड़क जाम कर देते हैं।

ट्रैफिक पुलिस की तरफ से लगातार जागरुकता के अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन घरों में भी लोगों को ट्रैफिक नियमों की जानकारी अपने बच्चों को देनी चाहिए। ताकि कोई भी ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन न करे। इससे ट्रैफिक की समस्या में सुधार लाने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति किसी बाजार में सामान खरीदने आया है, तो वह सड़क पर वाहन पार्किंग करने की बजाए थोड़ी दूर बने पार्किंग स्थानों पर वाहन खड़ा कर आएं। इससे भी ट्रैफिक की समस्या को हल करने में कापी मदद मिलेगी।

शहर सेफ है, लोगों को भी जिम्मेदार होना होगा: कर्नल काहलों
कर्नल (रिटायर्ड) एचएस काहलों ने कहा कि पंजाब की आर्थिक राजधानी लुधियाना सेफ है, लेकिन लोगों को भी जागरूक होना होगा। सारी जिम्मेदारी प्रशासन या सरकार पर छोड़ना उचित नहीं है। हालांकि शहर में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस फोर्स की कमी है, लेकिन ज्यादातर पुलिस कर्मी वीआईपी की सुरक्षा में ही लगे हुए हैं। आम आदमी तो राम भरोसे ही है, इसलिए लोग खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। इस तरफ ध्यान देकर वीआईपी सुरक्षा से कर्मियों को कम करके लोगों की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।

इसके अलावा शहर को सुरक्षित बनाने के लिए लंबी अवधि की नीतियां बनानी होंगी। जिससे लुधियानवियों को इनका सही लाभ मिल सके। इसके लिए तकनीक का भी सहारा लिया जा सकता है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के रास्ते भी शहर को और सुरक्षित बनाया जा सकता है। इसके लिए सटीक नीति और योजनाबद्ध तरीके से काम करने की जरूरत है।

महिलाओं को पुलिस की मौजूदगी का होना चाहिए अहसासः मोना लाल
इंटरनेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फैशन डिजाइनिंग की एडिशनल डायरेक्टर मोना लाल ने कहा कि महिलाओं को लुधियाना सेफ होने के बावजूद भी अनसेफ लग रहा है। इसकी मुख्य वजह महिलाओं को पुलिस की मौजूदगी का अहसास न होना है। पुलिस को चाहिए कि देर शाम के समय पुलिस पेट्रोलिंग को बढ़ावा दे। ताकि हर महिला पुलिस की मौजूदगी का अहसास कर खुद को सेफ महसूस कर सके।

इसके साथ ही ऐसे इलाकों में फोकस करने की जरूरत है, जहां बीपीएल परिवार रहते हैं। क्योंकि क्राइम ग्राफ और अनसिक्योरिटी यहां की महिलाओं को सहनी पड़ती है। ऐसे में इस सेगमेंट की सिक्योरिटी के लिए कदम उठाने अहम है। पेपर स्प्रे सहित कई तरह के डिवाइस तो महिलाओं की सुरक्षा के लिए हैं, लेकिन इंसानी जिंदगी को इसका नुकसान भी हो सकता है। ऐसे में हमें डिवाइस की बजाए अवेयरनेस पर ध्यान देना चाहिए। ऐसे में एनसीसी और एनएसएस को भी क्राइम कंट्रोल के लिए अग्रसर करना चाहिए। लुधियाना के युवाओं को जागरूक करना चाहिए। इसके साथ ही हमारे कल्चर में नियमों को तोड़ने वाले गीतों और फिल्मों पर रोक लगानी चाहिए।

राजनीति हस्तक्षेप समाप्त होने से सुरक्षा होगी सुनिश्चितः कुमार गौरव
ट्रैफिक मोटिवेटर कुमार गौरव का कहना है कि शहर में ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू बनाने के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप खत्म होना अनिवार्य है। फिलहाल शहर में राजनीतिक दबाव के कारण ट्रैफिक पुलिस प्रभावशाली ढंग से व्यवस्था को सुचारू नहीं कर पा रही है। इसके साथ साथ लोगों को भी जागरूक होना अनिवार्य है।

शहर में अपराध बढ़ाने में बेरोजगारी एवं नशे का अहम रोल है। उनको सही दिशा दिखानी होगी। इसके अलावा शहर में पार्किंग बड़ी समस्या बन रही है। इससे निपटने के लिए भी ठोस उपाय करने होंगे। शहर में अपराध बढ़ रहा है। महिलाएं भी सुरक्षित नहीं हैं। छीनाझपटी समेत हर तरह की वारदातें बढ़ रही हैं। रात के वक्त अकेले घर से निकलने में डर लगता है। साथ ही सुरक्षा एवं सेफ्टी को लेकर आम लोगों को भी आगे आना होगा। लोगों में सुरक्षा को लेकर आत्मविश्वास बढ़ाना होगा। तभी लुधियाना को पूरी तरह से सेफ बनाया जा सकता है।

पुलिस कम, पर डिजिटलाइजेशन से बेहतर हो सकती सिक्योरिटीः प्रीतपाल सिंह
सीसीटीवी एवं क्राइम एक्सपर्ट प्रीतपाल सिंह ने कहा कि हमारे पास साधन कम हैं और सुरक्षा को लेकर पर्याप्त बंदोबस्त भी नहीं है। ऐसे में हमें अब डिजिटलाइजेशन की ओर फोकस करना होगा। ताकि कम मैन पावर में भी अब शहर को कवर कर सकें। इस समय लुधियाना में 1460 कैमरों से शहर की निगरानी की जा रही है। शहर में 16 हजार कैमरों की आवश्यकता है।

इसके लिए सरकार को आंध्र प्रदेश की तर्ज पर कांसैप्ट लाना चाहिए, जिसमें पचास फीट के फ्रंट वाली बिल्डिंगों के लिए सीसीटीवी को लाजिमी बनाना चाहिए और इसे सरकार फाइबर केबल के जरिए कंट्रोल रूम के साथ जोड़े। ऐसे में हम शहर की सिक्योरिटी को बेहतर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही शक्ति एप का इस्तेमाल कर समस्या वाली लोकेशन का जिक्र किया जा सकता है। ताकि यहां पर सुधार किया जा सके। उन्होंने बताया कि अब नेशनल एमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम को लागू किया जा रहा है, जिसकी मॉनिटरिंग मोहाली से होगी। इसके साथ ही शहर में 16 वायरलेस हब क्रिएट किए जा रहें हैं।

पुलिस का क्विक रिसपांस जरूरीः रमन गोयल
इंजीनियर रमन गोयल ने कहा कि किसी भी घटना के समय पुलिस का क्विक रिस्पांस बेहद जरूरी है, तभी क्रिमिनल के मन में पुलिस का डर होगा और वह क्राइम करने से डरेगा। देखने में आता है कि पुलिस घटना स्थल पर देरी से पहुंचती है और इससे पुलिस पर से लोगों का भरोसा भी उठ रहा है। यही नहीं एक घटना तो ऐसी भी हुई है कि पुलिस को स्नेचिंग करने वाले युवकों की पहचान भी करवा दी गई मगर पुलिस ने अभी तक इन लोगों को काबू नहीं किया है।

इसके अलावा पुलिस को ऐप के संबंध में भी महिलाओं को जागरूक करना जरूरी है। शक्ति ऐप जैसे कई प्रोजेक्ट हैं जिसके बारे में 1 फीसदी लड़कियां भी अवेयर नहीं हैं। इस ओर भी ध्यान देना होगा। इसके अलावा बच्चियों को गुड टच और बैड टच संबंधी भी जानकारी देनी होगी। इसके लिए स्कूलों में अवेयरनेस कैंप लगाने के साथ साथ घरों में भी बच्चों को भी इसकी जानकारी देनी होंगी।

पुलिस के पास हो आत्म रक्षक ट्रेंड महिला कर्मीः पंकज साहनी
मार्शल आर्ट स्पेशलिस्ट पंकज साहनी ने कहा कि पुलिस के पास भी आत्म रक्षा की ट्रेंड महिला पुलिस कर्मचारी होनी चाहिए। जो युवतियों को इसके गुर सिखा सकें। इससे महिलाओं से होने वाले अपराध पर अंकुश लगाया जा सकता है। घर वालों को भी बच्चों को खेल की ओर प्रेरित करना होगा।

यह सही नहीं कि बच्चे को एक घंटा डांस क्लास के लिए या फिर टीवी के लिए दे दें। मगर यह सोचकर खेल के लिए समय नहीं देते कि इसका असर पढ़ाई पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि बच्चों को खेलों से दूर नहीं रखना चाहिए। इससे एक तो फ्री रहने वाले बच्चे बिजी हों जाएंगे और दूसरा उनका मन किसी गलत तरफ नहीं जाएगा।

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