लुधियाना में पोर्ट से दूरी बन रही समस्या, उद्योगों को चाहिए ये महत्वपूर्ण बदलाव
लुधियाना में 59,432 रजिस्टर्ड इकायां हैं। इनमें 615853 लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
देश के फूड बाउल के तौर पर प्रख्यात पंजाब ने कृषि में महारत पाने के साथ औद्योगिकरण का सपना भी देखा और लुधियाना लघु उद्योगों का गढ़ बन गया। इसी के दम पर लुधियाना ने विश्व में अपनी पहचान कायम की। शहर के कॉरपोरेट घरानों हीरो, एवन, क्रीमिका, वर्धमान, ओसवाल, नाहर, ट्राईडेंट, मालवा, भारती एंटरप्राइजेज का इसमें अहम योगदान है।
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बदलते परिवेश में लुधियाना अपनी औद्योगिक चमक बरकरार नहीं रख पा रहा है। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि हाल ही में जारी ईज ऑफ डुईंग बिजनेस की रैंकिंग में पंजाब बीसवें स्थान पर आया है।
1954 में भाखड़ा डैम शुरू हुआ और सस्ती बिजली उद्योगों की के लिए सहायक बनीं। शुरूआत में आठ सौ से ज्यादा उत्पादों को लघु उद्योगों के लिए रिजर्व करके इस सेक्टर को एक अभेद सुरक्षा चक्र प्रदान दिया। लेकिन ग्लोबलाइजेशन के दौर में यह सुरक्षा चक्र भी टूट गया और छोटे उद्योगों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों से चुनौतियां मिलने लगीं और वे उनका मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं।
बिजली लगातार हो रही महंगी
यहां अब भी बिजली लगातार महंगी हो रही है। हालांकि सरकार पांच रुपये में बिजली देने का दम भर रही है, लेकिन छोटे एवं मध्यम उद्योगों को यह महंगी पड़ रही है। इससे उनकी लागत बढ़ रही है और वे प्रतिस्पर्धा से बाहर हो रहे हैं।
संसाधनों की कमी, कमजोर मार्केटिंग के कारण लघु उद्योग दिक्कत में हैं। जम्मू कश्मीर, हिमाचल एवं उत्तराखंड को मिले आर्थिक पैकेज ने भी यहां के उद्योगों के लिए नया चैलेंज पेश किया है। पैकेज में मिली सहुलियतों के कारण यहां पर बना माल महंगा साबित होने लगा।
पोर्ट से दूरी का खामियाजा भी लुधियाना को उठाना पड़ रहा है। शुरूआत में सरकार ने फ्रेट इक्वलाइजेशन स्कीम दी, लेकिन वह भी बाद में वापस ले ली गई। सरकार की ओर से लुधियाना के उद्यमियों को कोई सहुलियत नहीं है। हालत यह है कि अब तक एयरपोर्ट की बेहतर सुविधा तक नहीं मिल पाई है। फोकल प्वाइंट खस्ता हाल में हैं।
महंगी जमीन, कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर, फ्रेट सब्सिडी न होना इत्यादि उद्योग के विकास में बाधा साबित हो रहे हैं। सरकारी स्पोर्ट के अभाव में उद्योगों का यहां से पलायन हो रहा है। इसकी शुरूआत 1983 में हीरो ग्रुप से हुई। इसके बाद तमाम बड़े कारपोरेट घरानों ने विस्तार के लिए देश के अन्य राज्यों को चुना और एक अनुमान के अनुसार यहां के उद्यमी अब तक करीब एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश सूबे से बाहर कर चुके हैं। यहां पर सरकार का सिंगल विंडो सिस्टम आज तक भी प्रभावी नहीं हो पाया है।
उद्यमियों को नई इकाई लगाने के लिए सरकारी औपचारिकताएं पूरी करने में औसतन छह माह का वक्त लग जाता है। दूसरे बड़े उद्योग न आने के कारण भी यहां का औद्योगिक विकास प्रभावित हुआ। जानकारों की मानें तो लुधियाना की औद्योगिक पहचान को बरकरार रखने के लिए सरकार को नई सहूलियतें देनी होंगी, यहां के औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना होगा और उद्योगों को अन्य राज्यों के मुकाबले लेवल प्लेइंग फील्ड मुहैया कराना होगा।
एक नजर लुधियाना के उद्योग पर...
- पंजाब की आर्थिक राजधानी लुधियाना जिले में कुल 59,432 रजिस्टर्ड इकायां हैं। इनमें 615853 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। यहां पर 918,675 लाख रुपये का निवेश हुआ है और इनमें 7008716 लाख रुपये सालाना का उत्पादन हो रहा है।
- मार्च 2017 तक के आंकड़ों के अनुसार टेक्सटाइल, डाईंग, प्रोसेसिंग, होजरी, गार्मेंट एवं एंब्राइडरी के 13664 यूनिट हैं। इनमें 198407 लोगों को रोजगार मिला हुआ है और 294940 लाख रुपये का निवेश एवं 2173404 लाख रुपये का उत्पादन हो रहा है।
- साइकिल एवं पार्टस के 4046 यूनिट हैं। इनमें 78733 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। जबकि 89566 लाख का निवेश और 1847640 लाख रुपये का उत्पादन हो रहा है।
- फूड उत्पाद एवं बेवरेजेज के 1368 यूनिट हैं और इनमें 14654 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इनमें 33802 लाख का निवेश और 153845 लाख का उत्पादन हो रहा है।
- फेब्रिकेटेड मेटल उत्पादों के 4978 यूनिट हैं। इनमें 47460 लोगों को रोजगार मिला है और 80463 लाख का निवेश एवं 242635 लाख का उत्पादन हो रहा है।
- मशीनरी एवं उपकरण बनाने के 4371 यूनिट हैं। इनमें 44532 लोगों को रोजगार मिला है। इनमें 88683 लाख का निवेश और 412717 लाख रुपये का उत्पादन हो रहा है।
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