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आर्थिक राजधानी में नफरी व संसाधनों की कमी ने बढ़ाया क्राइम ग्राफ

हत्या, लूटपाट और मारपीट आम बात हो गई है। यही वजह है कि 28 थाने होने के बावजूद एक और बढ़ाना पड़ा, फिर भी नफरी नहीं बढ़ी।

By Krishan KumarEdited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 06:00 AM (IST)
आर्थिक राजधानी में नफरी व संसाधनों की कमी ने बढ़ाया क्राइम ग्राफ

शहर में जनसंख्या बढ़ती गई और 25 लाख तक पहुंच गई। लेकिन लोगों की सुरक्षा के लिए लगाए गए पुलिस मुलाजिमों की गिनती आज भी 4500 ही है। हालात ये है कि जहां 100 लोगों के पीछे एक मुलाजिम होना चाहिए, वहीं अब ये अनुपात 555 लोगों पर एक मुलाजिम तक पहुंच चुका है। ऐसे में क्राइम ग्राफ बढऩा संभावित है और ऐसा हो भी रहा है। हत्या, लूटपाट, छीना-झपटी और मारपीट तो आम बात हो गई है। यही कारण रहा है कि 28 थाने होने के बावजूद एक और थाना बढ़ाना पड़ा, लेकिन जरूरत के अनुसार नफरी नहीं बढ़ी।

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अधूरा रह गया सीसीटीवी प्रोजेक्ट
सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में 16 हजार सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रोजेक्ट था, लेकिन लगे सिर्फ 1400। जो लगे वो उन इलाकों में लगे, जहां क्राइम है तो सही, लेकिन इतना नहीं। जहां क्राइम ज्यादा है, वो इलाके कैमरों की राह ताक रहे हैं। वारदात होने के बाद पुलिस को घटनास्थल की फुटेज ही नहीं मिलती। वहीं कुछ इलाके ऐसे भी हैं, जहां लगे ये कैमरे चलते ही नहीं, इनकी मेनटेनेंस की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा। इसका बड़ा कारण है कि सरकार द्वारा फंड जारी नहीं हो रहे। हालांकि शहर में जरूरी जगहों पर कैमरे लगाने की मांग लंबे समय से जारी है लेकिन सरकार की उदासीनता ने इस प्रोजैक्ट पर ग्रहण लगा दिया है।

थानों में नहीं हैं पर्याप्त मुलाजिम
लुधियाना में साढ़े चार हजार पुलिस मुलाजिम हैं। लेकिन ये लोगों की सुरक्षा के लिए नाकाफी है। थानों से ज्यादा मुलाजिम पुलिस अधिकारियों व नेताओं की सुरक्षा के लिए लगाए गए हैं। इनकी सख्या एक हजार से भी ज्यादा है। ऐसे में जो बचते हैं, उसमें से कुछ थाने में है और ज्यादातर पुलिस लाइन में ड्यूटी कर रहे हैं। ऐसे में लोगों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने स्वाभाविक हैं।

संसाधनों की कमी ने बढ़ाया क्राइम
दिन और रात के समय हर इलाके में पुलिस की गश्त बहुत जरूरी है। लेकिन पुलिस की गश्त कहीं नजर नहीं आती। मुलाजिम नजर आते हैं तो चौक-चौराहों पर किसी एक जगह खड़े हुए। इसका भी एक बड़ा कारण यह है कि उनके वाहनों की हालात भी ठीक नहीं है। पीसीआर बाइक व अर्टिगा गाड़ियों की हालत दयनीय है। किसी का जीपीएस सिस्टम काम नहीं कर रहा तो किसी किसी का सायरन। अगर इलाके में गश्त करनी हो तो उनके पास वाहन मे पर्याप्त तेल भी नहीं होता। क्योंकि विभाग से रोज के लिए 2 लीटर पेट्रोल मिलता है, जो कि इलाके में गश्त करने के लिए नाकाफी है। कई बार तो मुलाजिम अपनी जेब से तेल डलवाते हैं।

ट्रैफिक नियमों के प्रति नहीं है जागरूकता
ट्रैफिक पुलिस द्वारा शहर मे सिर्फ नाके लगाकर चालान काटे जा रहे हैं। लेकिन जागरूकता के नाम पर बात करें तो पुलिस द्वारा कोई भी काम नहीं किया जा रहा। जिसकी वजह से सड़क हादसों में बढ़ोतरी हो रही है। दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या घायलों से ज्यादा है।

वेरीफिकेशन सिस्टम फेल, बाहर से आकर बसे संदिग्ध लोग
देखते ही देखते कुछ ही सालों में शहर ने काफी विस्तार लिया। किस मकान मालिक के किराये पर कौन शख्स रह रहा है, इसके बारे में पुलिस को कुछ नहीं पता। उनका पता तब चलता है, जब वो कोई बड़ी वारदात को अंजाम देकर निकल जाते हैं। इस समय लुधियाना में सैंकड़ों संदिग्ध लोग बसे हैं, जो कि दूसरे शहरों में आपराधिक वारदातें कर यहां आकर बस गए, लेकिन पुलिस उनके बारे में कोई जानकारी नहीं रखती। पुलिस वेरीफिकेशन सिस्टम को फॉलो न किया जाना और पुलिस की ओर से इस सिस्टम को फॉलो ना करवाया जाना इसकी सबसे बड़ी वजह है। पुलिस की वेरीफिकेशन योजना स्कीम कागजों तक सिमट कर रह गई है।

ये है पुलिस नफरी की मौजूदा स्थिति

  • पुलिस कमिश्नर
  • डीसीपी - 2
  • एडीसीपी - 9
  • एसीपी - 17
  • कुल पुलिस मुलाजिम - 4500
  • पीसीआर वाहन (बाइक व गाडिय़ां) - 110
  • कुल थाने - 29
  • पुलिस चौकियां - 31

गगनदीप रत्न

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