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राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः स्मार्ट सिटी के ट्रैक पर है शहर, लेकिन राजनीतिक चाह से ही बेहतर बनेगा लुधियाना

बात स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की करें, तो इसके लिए अलग अलग विभागों की बजाए केवल एक नोडल एजेंसी बनाकर तत्काल प्रक्रिया में काम करवाए जाएं।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 04:02 PM (IST)
राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः स्मार्ट सिटी के ट्रैक पर है शहर, लेकिन राजनीतिक चाह से ही बेहतर बनेगा लुधियाना

पिछले दो दशकों में लुधियाना शहर का विकास तो हुआ है और उसे स्मार्ट सिटी का दर्जा भी मिला है, लेकिन शहर के लोग आज भी कई आधारभूत सुविधाओं से वंचित हैं। दैनिक जागरण की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे माय सिटी, माय प्राइड इवेंट में पहुंचे शहर के हीरोज और एक्सपर्टस ने एक स्वर में कहा कि राजनीतिक चाह की कमी से शहर का वैसे विकास नहीं हो पाया, जैसी अपेक्षा थी।

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उनका कहना था कि शहर के सांसद और विधायक यदि ठान लें कि शहर की विकास योजनाओं के लिए वह कहीं से भी फंड लाएंगे तो वह कर सकते हैं। लेकिन हालत यह है कि इस कांफ्रेंस में जिन बातों पर विचार किया गया, उन पर इन राजनीतिज्ञों ने कभी गहरी दिलचस्पी तक नहीं दिखाई। इतना ही नहीं, उनका कहना था कि यदि शहर का सीएम होता तो लुधियाना शहर को स्तरीय एयरपोर्ट के लिए आज तक इंतजार न करना पड़ता।

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एक्सपर्ट का मानना था कि शहर के विकास के लिए प्रयासरत तमाम ग्रुप्स को एक प्रेशर ग्रुप तैयार करना चाहिए, जो शहर के राजनीतिज्ञों पर शहर के विकास के लिए दबाव बना सकें। राउंड टेबल कांफ्रेंस में ट्रैफिक एक्सपर्ट राहुल शर्मा, स्मार्ट सिटी डायरेक्टर संजय गोयल, लुधियाना आयकर के एडिशनल कमिश्नर रोहित मेहरा, कपिल अरोड़ा, दविंदर सिंह, डॉ. एसबी पांधी, गुरपाल सिंह उपस्थित थे, जबकि कांफ्रेंस का संचालन हरप्रीत सोइं ने किया।

इस दौरान विशेषज्ञों ने शहर के बस अड्डे को बाहरी इलाके में शिफ्ट करने, शहर में अनावश्क प्रोजेक्ट पर काम न करने, प्रोफेशनल्स और एनजीओ को एक प्लेटफार्म पर आने और प्रेशर ग्रुप बनाने, सिस्टम की कमी सुधरने का इंतजार किए बगैर खुद प्रयास शुरू करने, इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए नियमों को सख्ती से पालन करवाने, युवा पीढ़ी को जागरूक करने और राजनीतिक सिस्टम को दुरुस्त किए जाने की बातें कही। इससे शहर को लाभ होगा और लोगों की जरूरतें भी पूरी हो सकेंगी।

सिस्टम की कमी सुधरने का इंतजार न करें, खुद करें पहलः रोहित मेहरा
लुधियाना में तैनात एडिशनल कमिश्नर इनकम टैक्स रोहित मेहरा कहते हैं सिस्टम के सुधरने का इंतजार किए बिना हर व्यक्ति को अपने स्तर पर ही प्रयास शुरू कर देने चाहिए। कूड़ा प्रबंधन की बात करें तो निगम के डिस्पोजल प्लांट लगने तक का इंतजार नहीं करना चाहिए बल्कि घर, मोहल्ला स्तर पर इसे कैसे निपटाया जाए इसके तरीके ढूंढ़ने होंगे। फ्रांस में कूड़ा निपटाने की रोचक जानकारी मिली कि वहां लोग केचुएं घर में रख लेते हैं। घर का सारा कूड़ा वही हजम कर जाता है। कई महीने पहले उन्होंने भी केचुएं घर पर रख लिए। अब घर के कूड़े का निपटारा वहीं करते हैं। उनके करीब 25 जानकार भी यह तकनीक अपना चुके हैं।

उन्होंने कहा कि समाज में सुधार इसलिए नहीं होता क्योंकि हम रिएक्ट नहीं करते। जैसे रांग साइड से आ रहे वाहन चालक को कुछ लोग हार्न बजाकर भी वार्निंग दें तो शायद उसमें सुधार हो जाए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के लिए घातक प्लास्टिक बोतलों का निपटारा हमने वर्टिकल गार्डन बनाकर किया है। जिससे इसके निपटारे के साथ साथ पौधरोपण भी हो गया।

सिस्टम हो फुलप्रूफ तो इंफ्रास्ट्रक्चर होगा मजबूत: कपिल अरोड़ा
शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर पर बारीकी से नजर रखने वाले कौंसिल ऑफ इंजीनियर्स के अध्यक्ष कपिल अरोड़ा मानते हैं कि शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए नियमों का सख्ती से पालन करवाना होगा। सिस्टम को फुलप्रूफ बनाना होगा ताकि कहीं से भी लीकेज न हो। अवैध कॉलोनी न बने इसके लिए एक्ट बनाया गया था लेकिन शहर में चार हजार से ज्यादा अवैध कॉलोनियां बन गई। जिससे सीवरेज सिस्टम, सड़कों समेत तमाम सुविधाएं खस्ता हाल हो रही हैं। यह सब तब हुआ जब सिस्टम ने सही तरीके से काम नहीं किया। शहर में बड़े बड़े प्रोजेक्ट आए लेकिन उनकी मॉनेटरिंग सही तरीके से नहीं हुई और अब भी ऐसा ही हो रहा है।

नतीजा यह है कि शहर के सभी फ्लाई ओवर्स पर खतरा बना हुआ है। जब तक मॉनिटरिंग के लिए शहरवासी आगे नहीं आएंगे तब तक शहर में ऐसा होता रहेगा। शहर में कूड़ा प्रबंधन के लिए पॉलीथिन को अलग करना होगा। इससे शहर की सड़कों के निर्माण में प्रयोग किया जाए। कौंसिल ऑफ इंजीनियर्स निगम को इसमें सहयोग करेगी। शहर में वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर निगम को सख्ती करनी होगी। शहर में गलियों और सड़कों में भी रीचार्ज वेल बनाकर वाटर लॉगिंग से छुटकारा मिल जाएगा।

इससे ग्राउंड वाटर लेवल भी मेंटेन होगा। 250 गज से ज्यादा के निर्माण में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाना जरूरी है, लेकिन अफसर इसे सख्ती से लागू नहीं करते। अफसर लापरवाह हैं और लोग अपनी नैतिक जिम्मेदारी नहीं समझते।

प्रोफेशनल्स-एनजीओ के प्रेशर ग्रुप से सुधरेंगे हालात: हरप्रीत सोइं
एचएसबीसी की पूर्व नेशनल वाइस प्रेजिडेंट और लुधियाना केयर लेडीज सोसायटी की फाउंडर मेंबर हरप्रीत सोइं का मानना है कि शहर का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना है तो इसके लिए शहर के प्रोफेशनल्स और एनजीओ को एक प्लेटफॉर्म पर आना होगा। एक प्रेशर ग्रुप बनाना होगा ताकि प्रोजेक्ट निर्माण में अगर कोई धांधली होती है या उसे सही तरीके से नहीं बनाया जाता है तो शहर में एक ऐसा प्रेशर ग्रुप हो जो प्रशासन को गलत करने से रोक सके।

अभी तक ऐसा हो रहा है कि एनजीओ या एक्सपर्ट अपने अपने लेवल पर विरोध करते हैं। जिसको प्रशासन गंभीरता से नहीं लेता। अगर शहर के एक्सपर्ट और एनजीओ प्रेशर ग्रुप बनाकर प्रशासन और नेताओं के सामने फैक्ट के साथ अपनी बात रखे और प्रोजेक्ट की खामियों को दूर करे। हरप्रीत सोइं का कहना है सिस्टम बिगड़ चुका है। अफसरों और काम करने वाली एजेंसियों में कोई को-ऑर्डिनेशन नहीं है। शहर में कूड़ा उठाने वाली कंपनी को निगम समय पर फंड नहीं दे रहा। जिसकी वजह से वह निगम की हिदायतों को हल्के में ले रहे हैं। दोनों में सही तालमेल न होने का खामियाजा शहर को भुगतना पड़ रहा है।

शहर के बस अड्डे को शिफ्ट करने से सुधरेगी ट्रैफिक व्यवस्थाः राहुल वर्मा
पंजाब रोड सेफ्टी काउंसिल के सदस्य राहुल वर्मा का कहना है कि जिस तरह दिल की बीमारी होने पर बीमार नस काटकर नया रास्ता बनाया जाता है उसी तरह ट्रैफिक जाम की वजह बन चुका शहर के बीचों बीच बना बस अड्डा शिफ्ट हो जाए तो ट्रैफिक समस्या से राहत मिल सकती है। रोज आने जाने वाली 4200 बसें शहर में ट्रैफिक जाम का कारण बन रही हैं। शहर के चारों प्रमुख मार्गों पर छोटे-छोटे बस अड्डे बनाए जा सकते है।

शहर के अंदरूनी भाग में बनी दर्जनों होलसेल की मार्केट को किसी खुले इलाके में शिफ्ट कर देने से ट्रैफिक समस्या से निजात मिल सकती है। शहर में ट्रेंड लेबर की आवाजाही काफी है। इस वर्ग से संबधित अधिकतर लोग ढंडारी, ग्यासपुरा और शेरपुर इलाके में रहते हैं। अगर यूपी और बिहार को जाने वाली ट्रेन ढंडारी स्टेशन पर शिफ्ट कर दी जाएं तो इनको राहत मिलेगी और लुधियाना रेलवे स्टेशन पर भी आवाजाही में कमी आ जाएगी।

1970 में बनी बद्दोवाल में बनाए गए रेलवे माल गोदाम को तुरंत प्रभाव से वहां शिफ्ट कर देना चाहिए। वहीं बरसाती जलभराव को रोकने के लिए शहर के बीचों बीच से गुजर रहा बुड्डा नाला को केवल बरसाती पानी की निकासी के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए। इंडस्ट्री का दूषित पानी इसमें नहीं गिराया जाना चाहिए। वहीं चंडीगढ़ में सभी सड़के एक दूसरे से कनेक्टेड है। यहीं वजह है कि वहां जाम की स्थिति नहीं बनती जबकि लुधियाना में सभी सड़के फिरोजपुर रोड से मिलती हैं।

जिसका कोई लाभ नहीं, लुधियाना को न दिया जाए ऐसा तोहफाः संजय गोयल
स्मार्ट सिटी के डायरेक्टर और आर्किटेक्ट संजय गोयल का कहना है कि सरकार को बेसिक जरूरतों पर ध्यान देने चाहिए। न कि केवल दिखाने के लिए प्रोजैक्ट में पैसा खराब करना चाहिए। लुधियाना का खूबसूरत फिरोजपुर रोड इसका एक उदाहरण है, जहां फ्लाईओवर बनाने की आवश्यकता नहीं थी, बावजूद इसके इस पर सात सौ करोड़ रुपए बर्बादी की जा रही है। इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के लिए लगातार प्रयास चलते रहेंगे। यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करना है तो इसके लिए हमें काम करने से पहले इसके होने वाले प्रभाव और लाभ पर ध्यान केन्द्रीत करना होगा।

विभागों का आपसी तालमेल न होना और राजनीतिक इच्छाशक्ति का कमजोर होना सबसे बड़ी अड़चन है। विकास प्रोजेक्ट किसी सरकार या किसी राजनीतिक दल का एजेंडा न होकर देशहित और समाज हित में होना चाहिए। किसी भी प्रोजेक्ट को आरंभ कर इसे अंतिम जामे तक पहुंचाने के लिए कठोर वचनबद्धता होनी चाहिए।

बात स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की करें, तो इसके लिए अलग अलग विभागों की बजाए केवल एक नोडल एजेंसी बनाकर तत्काल प्रक्रिया में काम करवाए जाएं। कोई भी प्रोजेक्ट आरंभ करते समय इससे संबंधित एक्सपर्ट और पब्लिक पार्टिसिपेशन को अग्रसर करना चाहिए। लुधियाना में पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम को बेहतर किए जाने की अहम आवश्यकता है।

राजनीतिक सिस्टम ने बिगाड़ा इंफ्रास्ट्रक्चरः दविंदर सिंह
कारोबारी दविंदर सिंह कहते हैं कि शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के लिए सबसे पहले हमारे राजनीतिक सिस्टम को दुरुस्त किए जाने की आवश्यकता है। शहर में प्लानिंग के साथ साथ इसकी इंप्लीमेंटेशन और इसकी समय सीमा को तय किए जाना बेहद जरूरी है। प्रोजेक्ट आरंभ कर वाहवाही लूटने के लिए राजनीतिज्ञ काम करते हैं, लेकिन किसी भी प्रोजेक्ट को अंतिम अंजाम तक पहुंचाने के लिए फोकस नहीं करते। ऐसे में काम केवल बातें और भाषणों तक सीमित रह जाता है।

इसी के चलते फंड तो आते हैं, लेकिन नाम कमाने के लिए प्रोजेक्ट अधूरे छोड़ दिए जाते हैं। इसके साथ ही हर सिटीजन को अपने अधिकारों के साथ साथ अपनी जिम्मेदारियों को लेकर सजग होने की अहम आवश्यकता है। हम सरकार से उम्मीदें करते हैं, लेकिन अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को भी नजरंदाज कर देते हैं। इसके चलते सिस्टम वर्किंग नहीं कर पाता। हमें सरकारी तंत्र को जागरूक करने के साथ साथ नियमों का पालन करने के लिए खुद को भी सजग करना होगा।

इंफ्रास्ट्रक्चर से संबंधित कई ऐसे काम हैं, जिन्हें हम अपने स्तर पर बेहतर कर सकते हैं। इसमें पार्कों का रख रखाव, मोहल्ले में सफाई व्यवस्था और कूड़ा न बिखरे इसके लिए सिविक सेंस को लेकर जागरूकता फैला सकते हैं। ऐसे में हमें अच्छे वातावरण के लिए अच्छे सिटीजन बनने का प्रयास करना होगा।

स्माल आइडिया को ग्रेट आइडिया में बदलें: डॉ. एसबी पांधी
स्मॉल आइडिया ग्रेट आइडिया पर हम वर्क करके सफलता हासिल कर सकते है। डॉ. एसबी पांधी का कहना है कि पावरकॉम की कार्यप्रणाली सुस्त है, जिससे कट बहुत ज्यादा लग रहा है। विभाग को इस ओर ध्यान देना चाहिए और बिजली चोरी पर नकेल कसनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि पावरकॉम द्वारा आम कंज्यूमर बिजली बिल देने में लेट कर दे तो तुरंत कार्रवाई होती है, जबकि बिजली चोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने से कतराते हैं। पावरकॉम के पास अपनी पुलिस बल होने के बावजूद बिजली चोरी पर सख्ती नहीं हो रहा है, जो सही नहीं है।

उन्होंने कहा कि पावरकॉम को चाहिए कि बिजली चोरी करने वालों को काबू कर केस दर्ज करें और आम आदमी को नियमित बिजली सप्लाई दें। इससे सिस्टम में सुधार होगा और जरूरी कार्य भी समय पर पूरे होंगे।

बच्चों को सही गाइडलाइन देने की जरूरतः गुरपाल सिंह
स्पोर्ट्स कोच गुरपाल सिंह कहते हैं कि परिवार हो या स्कूल, बच्चों को सही गाइड लाइन देकर उनकी सोच को सही दिशा में संचालित कर सकते हैं। बच्चे कभी कभी गलत बोलचाल कर जाते हैं, लेकिन हम उन्हें अच्छी शिक्षा देकर सुधार सकते है। वहीं हमें जरूरत है कि हम अपने इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाने के लिए एकजुट होकर अपने जनप्रतिनिधियों पर दबाव बना कर महानगर की बुनियादी ढांचे को मजबूत कराए। महानगर का इंफ्रास्ट्रक्चर जर्जर हो चुका है।

जरूरत है कि हम अपने पार्षद विधायक को बताएं कि पब्लिक ने उन्हें किसलिए चुना है और पब्लिक का काम किस तरह करें। बच्चों की शिक्षा का मसला हो, स्वास्थ्य की समस्या हो, सड़क बनाने की योजना हो सभी कार्यों के लिए हमें जागरूक होना होगा। अगर हम जागृति लाकर इन कार्यों में हाथ बटाएंगे तो हमारा समाज विकसित होगा। गुरपाल ने बताया कि वे स्पोर्ट्स कोच थे लेकिन समाजिक बुराईयों को देख-देखकर तंग आ गए जिससे वे अब इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर करने के लिए लोगों को जागरूक करने में जुट गए हैं और सुधार की गुंजाइश तक जुटे रहेंगे।

विशेषज्ञों ने दिए ये सुझाव-
- शहर के लिए बनने वाले कोई भी प्रोजेक्ट पर शहर के एक्सपर्ट्स और उससे जुड़े लोगों की राय ली जाए
- वेस्ट मैनेजमेंट के सुचारू निस्तारण के लिए कचरे से पालिथिन को अलग कर उससे सड़क निर्माण में प्रयोग किया जाए
- बरसाती पानी के हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए रीचार्ज वेल का निर्माण किया जाए
- फिरोजपुर रोड पर बने रहे एलिवेटेड रोड के निर्माण पर पुनर्विचार किया जाए, क्योंकि शहर को इसकी जरूरत नहीं
- प्रोजेक्ट क्वालिटी चेक के लिए स्वतंत्र कमेटी बनाई जाए, इसमें शहर के एक्सपर्ट्स शामिल हों

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