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लुधियाना: हेल्मेट के लिए छेड़ा अभियान, तो सख्त हुई पुलिस

फर्क ये दिखा कि रोज हेल्मेट का चालान होने लगे और हेल्मेट न पहनने वाले 20 फीसदी रह गए। इसके साथ डेथ रेट में भी गिरावट आई।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Mon, 13 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 13 Aug 2018 06:00 AM (IST)
लुधियाना: हेल्मेट के लिए छेड़ा अभियान, तो सख्त हुई पुलिस

लुधियाना के एक साधारण से परिवार में पैदा हुए नट-बोल्ट का बिजनेस करने वाले कुमार गौरव का बचपन से शौक था कि वो अपने समाज के लिए कुछ करें। सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ स्टेज शो तो 17 साल की उम्र में ही शुरू कर दिए थे, लेकिन लोगों की सुरक्षा के लिए काम करने का जोश तब आया जब उनके सामने ही बिना हेल्मेट के एक शख्स की सड़क हादसे में मौत हो गई।

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गौरव की शादी हुए दो दिन ही हुए थे। साथ वाली सीट पर पत्नी मीनाक्षी और मां प्रमोद बैठी थी। उस शख्स का शव सड़क के बीच पड़ा था, जिसे देखकर लोग गुजरते जा रहे थे, लेकिन उसे साइड करने और पुलिस को फोन पर सूचना देने की किसी ने जहमत नहीं उठाई। वो कार से उतरे और वहां जाकर उक्त शव को साइड पर किया। जिसे पुलिस और एंबुलेंस की मदद से अस्पताल पहुंचाया। इस हादसे ने उनकी आत्मा को झकझोर दिया।

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एनजीओ युवा द...स्ट्रेंथ ने भरा 'जोश'
वो हादसा जेहन में घूमता जा रहा था। जब फैक्ट्री में जाते तो यही सोचते रहते है कि कैसे लोगों को सुरक्षित करूं। साल 2009 में उन्होंने एक एनजीओ युवा द...स्ट्रेंथ बनाई। बस ये उनकी मंजिल का पहला पड़ाव था। परिवार वाले काम पर फोकस करने के लिए कहते थे और लोग तरह-तरह की बातें बनाते थे। लेकिन कुमार गौरव के मन में सिर्फ और सिर्फ लोगों के लिए काम करने का जज्बा था। लोगों को जागरूक करने के लिए सड़कों पर नुक्कड़ नाटक शुरू किए। लेकिन कोई असर होता नहीं दिखा। मगर हिम्मत नहीं हारी और हेल्मेट के प्रति अभियान जारी रखा।

सन् 2013 में लुधियाना मे एसीपी ट्रैफिक के तौर पर डॉ. रीचा अग्निहोत्री तैनात हुई। जिनके साथ उन्होंने मीटिंग की और हेल्मेट को अनिवार्य करवाने की मांग की। जिसका समर्थक पुलिस ने किया और लोगों को हेल्मेट पहनने के लिए जागरूक किया। इसका फर्क ये दिखा कि रोज हेल्मेट का चालान होने लगे और हेल्मेट न पहनने वाले 20 फीसदी रह गए। इसके साथ डेथ रेट में भी गिरावट आई। क्योंकि लोगों ने हेल्मेट पहनना शुरू कर दिया था।

यूथ को जागरूक करने को किए सैकड़ों सेमीनार
बात सिर्फ हेल्मेट के लिए जागरूक करने की नहीं थी, लड़कियों की सुरक्षा और छेड़छाड़ के मामले बढ़ने लगे तो स्कूल-कॉलेज और पुलिस प्रशासन का ध्यान उनकी तरफ लाने के लिए अभियान शुरू किया, जिसमें 50 से ज्यादा स्कूलों और कालेजों में यूथ को जागरूक करने के लिए 100 से ज्यादा सेमीनार किए। जिसमें ट्रैफिक अवेयरनेस के साथ-साथ लड़कियों और महिलाओं को सुरक्षित रहने के टिप्स दिए। जिसे समाज ने सराहा।

बंद करवा दिया खूनी कट
हेल्मेट का अभियान चल ही रहा था कि डीएमसी के नजदीक एक रोड पर बने कट की वजह से रोज एक्सीडेंट होने लगे। आए दिन लोगों की मौतें होने लगी। नगर निगम और पुलिस से उक्त कट को बंद करने की मांग की, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। एक दिन अपनी टीम के सदस्यों को लिया और उक्त कट पर हादसों में मारे गए लोगों को परिवारों को लेकर धरने पर बैठ गए। वहां एक नाटक किया गया। जब बात प्रशासन के कानों तक पहुंची तो अधिकारी भी पहुंच गए। उसका नतीजा ये निकला कि पुलिस ने नगर निगम की मदद से खूनी कट को बंद कर दिया। जिससे कई जानें जाने से बच गईं।

ठुकराया राजनीति का आफर, जुटे रहे अपने काम में
अपने काम की वजह से गौरव अब शहर के हर शख्स के जानकार बन चुके थे, क्योंकि वो लोगों के साथ उनके घरों मे जाकर जुड़ गए थे। इस दौरान उन्हें एक राजनीतिक पार्टी ने इलेक्शन लड़ने के लिए टिकट ऑफर की, लेकिन उनका जवाब था कि मैं राजनीति के दलदल में धंसना नहीं चाहता, लोगों की नि:शुल्क सेवा कर रहा हूं, वहीं करते रहना चाहता हूं।

चाइना डोर का किया बहिष्कार
फिर आया चाइना डोर का दौर, तो उसके खिलाफ सख्ती से गौरव अपनी टीम लेकर खड़े हो गए, क्योंकि उससे आए दिन पक्षी और लोग घायल हो रहे थे। उसके विरोध में स्कूल और कॉलेज के छात्रों को लेकर उन्होंने कई रैलियां निकाली और धरने दिए। नतीजा ये हुए कि प्रशासन ने उसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया और पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी। चाइना डोर बेचने वालों के खिलाफ पुलिस ने पर्चे दर्ज किए, जिससे चाइना डोर की खरीदारी में भी कमी आई।

कुमार गौरव कहते है कि नियम हमारे लिए बने हैं, इन्हें फॉलो करें ताकि सुरक्षित रह सकें और अपने परिवार को बेहतर कल दे सकें। अगर हम नहीं होंगे तो उनका क्या होगा? इसलिए नियमों का पालन करें। मेरी जिंदगी का यही उद्देश्य है कि सिस्टम को दुरूस्त कर लोगों को जागरूक किया जाए।

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