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मनचाहा वर देने वाला मंगला गौरी व्रत

सावन माह में मा गौरी की पूजा करने का भी है विशेष महत्व, पंजाब सहित यूपी, एमपी, राजस्थान में प्रचलित है यह व्रत।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Jul 2018 11:15 AM (IST)Updated: Sun, 29 Jul 2018 03:10 PM (IST)
मनचाहा वर देने वाला मंगला गौरी व्रत
मनचाहा वर देने वाला मंगला गौरी व्रत

कृष्ण गोपाल, लुधियाना

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श्रावण माह जहा शिव भक्ति कर मनवाछित फल पाने का माह माना जाता है, वहीं माता पार्वती के मा मंगला गौरी रूप से मनचाहा वरदान पाने के लिए भी उपयुक्त समझा जाता है। श्रावण माह में जहा श्रद्धालु सोमवार को भोलेनाथ की पूजा-अर्चना कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं, वहीं माता पार्वती के मंगला गौरी रूप से भी मन वाछित वर पाने के लिए श्रावण माह के प्रत्येक मंगलवार को व्रत किए जाते हैं जिन्हें मंगला गौरी व्रत के रूप में जाना जाता है। यह व्रत श्रावण माह के प्रथम मंगलवार से शुरू होकर अंतिम मंगलवार तक किए जाते हैं। कुछ लोग 16 व्रत भी करते हैं। श्रावण माह 26 अगस्त तक चलने वाला है जिसमें चार मंगला गौरी व्रत 31 जुलाई, 7 अगस्त, 14, 21 अगस्त को होंगे। सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है : गुप्ता

डॉ. गुप्ता ने बताया कि धार्मिक पुराणों के अनुसार इस व्रत को करने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत को विवाहित स्त्रिया विशेषकर नवविवाहिताएं अपने शादीशुदा जीवन को बेहतर बनाने, पति की लंबी उम्र व सेहत के लिए रखती हैं और विवाह योग्य कन्याएं मन वाछित वर की प्राप्ति के लिए मा गौरी का पूजन करती हैं। पंजाब सहित यूपी, एमपी, राजस्थान आदि में प्रचलित है मंगला गौरी व्रत

आचार्य सत्य नारायण ने कहा कि मंगला गौरी व्रत खासतौर पर राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और बिहार में प्रचलित है। हालाकि देश के अन्य हिस्सों भी इसे मनाया जाता है, लेकिन उत्तर और दक्षिण भारत की तिथियों में थोड़ा अंतर आता है, क्योंकि उत्तर भारत में चंद्र पूर्णमासी से और दक्षिण भारत में चंद्र अमावस्या से माह परिवर्तन माना जाता है। मंगला गौरी पूजन में 16 संख्या का है महत्व

पंडित वाई पी शर्मा के अनुसार माता मंगला गौरी की मूर्ति पर चंदन, सिंदूर, हल्दी, चावल, मेहंदी, काजल, पुष्प चढ़ाएं। इसके अलावा 16 मालाएं, आटे के लड्डू, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची और सुहाग सामग्री अर्पित करें। इस दौरान मंगला गौरी माता की कथा सुनें। मंगला गौरी पूजा में 16 की संख्या का बहुत महत्व है। इसलिए पूजा में दीपक 16 बत्तियों वाला जलाना चाहिए। वहीं मा को 16 वस्तुओं का भोग लगाना चाहिए। कुंवारी कन्याओं के लिए व्रत का विशेष महत्व

पंडित राज शास्त्री ने कहा कि इस व्रत को करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। जिन जातकों की कुंडली में विवाह-दोष हो या जिनकी शादी में देरी हो रही हो, उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए। सुखी वैवाहिक जीवन के लिए भी इस व्रत को बेहद अहम माना जाता है। सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। मान्यता है कि जिस कन्या पर मंगल ग्रह की छाया होती है वह मंगला गौरी का पूजन दर्शन करे तो उसकी शादी में कोई बाधा नहीं आती।


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