अरिहंताणं वह, जिसमें राग व द्वेष न हो : महासाध्वी मीना
महासाध्वी जी ने नवकार महामंत्र का उच्चारण करते हुए कहा कि णमो अरिहंताणं अरिहंत म. को नमस्कार अरिहंत कौन जिसमें न राग न द्वेष।
संस, लुधियाना : कोकिल कंठी जैन भारती संयम साधिका शासन प्रभाविका दृढ़ संयमी उप-प्रवर्तिनी महासाध्वी गुरुणी मीना महाराज, परम सेवाभावी कर्मठ महासाध्वी मुक्ता महाराज, प्रवचन प्रभाविका मधुर गायिका महासाध्वी समृद्धि महाराज, नवदीक्षित साध्वी उत्कर्ष महाराज ठाणा-4 घुमार मंडी नजदीक माल एंक्लेव में सुखसाता विराजमान है। सभा में महासाध्वी जी ने नवकार महामंत्र का उच्चारण करते हुए कहा कि णमो अरिहंताणं, अरिहंत म. को नमस्कार, अरिहंत कौन, जिसमें न राग न द्वेष। धन्य हो वो दिन जब मेरे अंदर से राग व द्वेष समाप्त हो जाएगा। णमो सिद्धाणं अर्थात, जिन्होंने आठों ही कर्मों पर विजय पाई। धन्य होगा, वो दिन जन में आठों कर्मों से मुक्त हो सिद्धालय पहुंचेगी। यही सर्वोच्च पद है। इसी के लिए साधुवृति व श्रावक वृति का पालन किया जाता है। यही परम पद है। इसी को हम लक्ष्य को प्राप्त करते है।
उन्होंने कहा कि भगवान महावीर स्वामी जैन धर्म की भव्य इमारत के भव्य कलश हैं तो ऋषभ देव नींव है। हम कलश को पूजे, कितु नीव को न भूलें। महावीर की पहचान अहिसा से है और विश्व का भविष्य अहिसा है। आज हिसा और आतंकवाद से घिरी दुनिया में अमन-चैन लाने के लिए अहिसक शक्तियों को आगे आना होगा।
इस दौरान कुमार संजीव ने गुरुणी महाराज के आगे नतमस्तक होते हुए हमको दे दो अपने चरणों में स्थान, असीं रहना है खुशहाल गुरु जी के आपके चरणों में, प्रभु तार दो-प्रभु तार दो आदि भजनों से आए श्रावक-श्राविकाओं को मंत्रमुंग्ध कर दिया। इस अवसर पर कीमती लाल जैन, चौधरी यशपाल, कुमार संजीव, राज कुमार जैन, राजेश जैन बाबी, उज्ज्वल जैन, सचिन जैन, लवीश जैन आदि शामिल थे।