Sangrur Bypoll Result: नहीं चला 'जुगनू' का जादू, गढ़ में हार आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका
दो बार संगरूर संसदीय क्षेत्र से शानदार जीत दर्ज करने वाली आम आदमी पार्टी अपनी राजधानी सीट नहीं बचा पाई। उसके प्रत्याशी गुरमेल सिंह को शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान के हाथों शिकस्त मिली।
सचिन धनजस, संगरूर। वर्ष 2014 और 2019 में लगातार दो संसदीय चुनावों में बड़ी जीत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी सूबे की सत्ता में आने के तीन माह बाद अपने ही गढ़ में हार गई। गांव सतौज से मुख्यमंत्री तक का सफर तय करने वाले भगवंत मान के गढ़ में आम आदमी पार्टी की 'राजधानी' कही जाने वाली संगरूर सीट पर आप की हार पार्टी के लिए बड़ा झटका है।
प्रचार दौरान भगवंत मान ने कई बार विरोधियों पर अपने जुगनू वाले अंदाज में कटाक्ष भी करने की कोशिश की थी, हालांकि जनता ने इस बार मुख्यमंत्री मान की बातों को सिरे से नकार दिया।
उपचुनाव में मतगणना की शुरुआत में शिरोमणि अकाली दल अमृतसर के उम्मीदवार सिमरनजीत सिंह मान और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी गुरमेल सिंह के बीच कांटे की टक्कर रही। गुरमेल सिंह दो बार आगे जरूर दिखे, लेकिन सिमरनजीत सिंह मान ने पहले से लेकर अंत तक बढ़त बनाए रखी।
दो बार संगरूर हलके से शानदार जीत दर्ज करने वाली आम आदमी पार्टी को आज अपनी 'राजधानी' सीट पाने के लिए कड़ी जद्दोजहद करनी पड़ी और आखिरकार शिकस्त का सामना किया।
तीन महीने में ही खोया लोगों का भरोसा
आम आदमी पार्टी की सरकार जहां लोगों के भरोसे को ही अपना गरूर मानती थी, उसी सरकार ने आज 3 महीने के कार्यकाल दौरान ही लोगों का भरोसा खो दिया। सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान करीब 3 महीने तक अपने विधानसभा हलका धूरी से लगातार गैरहाजिर रहे, जिस कारण केवल विधानसभा हलका धूरी ही नहीं, बल्कि जिले भर के लोगों में भारी निराशा का माहौल रहा। यहां तक की धूरी में विधायक के गुमशुदगी के पोस्टर तक लगा दिए गए थे, जिसके बाद लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए भगवंत मान ने केवल धूरी में रोड शो ही निकाला।
सत्ता संभालते ही बदला मंत्री व विधायकों का रवैया
सत्ता में आते ही संगरूर की विधायक नरेंद्र कौर भराज ने इंटरनेट मीडिया पर लाइव होकर साफ कह दिया था कि अब समय बदल गया है, लोगों को छोटे-छोटे कामों के लिए मेरे पास आने की जरूरत नहीं है। भराज के उक्त ब्यान ने संगरूर में जनता का रूख ही बदल दिया। जनता आप नेताओं के ऐसे रवैये से नाराज दिखाई देने लगी। इसका जवाब उन्होंने संसदीय चुनाव में दिया है।