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पराली के तोड़ के लिए बनेंगे मशीनरी बैंक

जगराओं : प्रदेश में साढ़े तीस लाख हेक्टेयर पर धान की बिजाई हुई है और इस फसल की कटाई का समय भी नजदीक आ गया है। ऐसे में सरकार किसानों को पराली न जलाकर जमीन में ही मिलाने पर जागरुकता अभियान चला रही है ताकि किसानों को पराली जलाने से रोका जाए और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जाए। इसी के तहत केंद्र सरकार ने इस बार मशीनरी बैंक प्रोजेक्ट शुरू किया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 06:00 AM (IST)
पराली के तोड़ के लिए बनेंगे मशीनरी बैंक
पराली के तोड़ के लिए बनेंगे मशीनरी बैंक

बिंदु उप्पल, जगराओं

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प्रदेश में साढ़े तीस लाख हेक्टेयर पर धान की बिजाई हुई है और इस फसल की कटाई का समय भी नजदीक आ गया है। ऐसे में सरकार किसानों को पराली न जलाकर जमीन में ही मिलाने पर जागरुकता अभियान चला रही है ताकि किसानों को पराली जलाने से रोका जाए और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जाए। इसी के तहत केंद्र सरकार ने इस बार मशीनरी बैंक प्रोजेक्ट शुरू किया है। यह कहना है गदरी बाबा दुल्ला सिंह ज्ञानी निहाल सिंह फाउंडेशन व वचन ग्रुप के प्रधान डॉ. हरमिंदर सिंह संधू का। दैनिक जागरण से बातचीत में कृषि जागरुकता विशेषज्ञ डॉ. संधू ने बताया कि उनके वचन ग्रुप ने आठ मशीनरी बैंक की जिम्मेदारी ली है जिसमें प्रदेश के किसानों को साथ जोड़कर पराली नहीं जलाने के लिए जागरूक किया जाएगा। वर्ष 2015 से एनजीटी ने की सख्ती, लागू किया कानून

कृषि माहिरों का कहना है कि वर्ष 2015 से पंजाब में धान की कटाई के बाद खेतों को अगली फसल के लिए जल्दी तैयार करने से पहले सारी पराली को आग लगा दी जाती थी। इससे न सिर्फ पर्यावरण प्रदूषित होता था, बल्कि वातावरण में ऑक्सीजन की कमी होने से लोगों को सास लेने में दिक्कत आती थी और भूमि की उपजाऊ शक्ति कम होती थी। ऐसे में वर्ष 2015 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्ती करते हुए कानून लागू किया। इसके बाद से पराली को जलाने पर अपराध माना गया। तब से किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए भारत सरकार भी गंभीर हो गई है। केंद्र सरकार ने 395 करोड़ रुपये दिए

कृषि अधिकारी डॉ. बलदेव सिंह ने बताया कि भारत सरकार ने इन एसआइटीयू मैनेजमेंट ऑफ क्रॉप रेसीडयू स्कीम के तहत पंजाब सरकार को 665 करोड़ रुपये दिए हैं। इसमें से वर्ष 2018-19 के लिए 395 करोड़ रुपये आ गए हैं। यह पैसा कृषि विभाग, पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी व को-ऑपरेटिव सोसायटियों को दिया गया है। इसमें एक मशीनरी बैंक बनाया गया है जिसमें 8 प्रकार की मशीनें शामिल हैं। मशीनरी बैंक में हैं आठ प्रकार की मशीनें

मशीनरी बैंक में हैप्पी सीडर, सुपरस्ट्रा, मैनेजमेंट सिस्टम, जीरे ट्रिल-ड्रिल, रीवरसीबल, मोल्डफोल्ड, पैडी स्ट्रा चोपर, मल्चर, शरब कटर, रोटरी शनैचर ये 8 मशीनें शामिल हैं। जो भी ग्रुप में इस बैंक को खरीदता है, उसको 80 प्रतिशत की सब्सिडी मिलती है और जो किसान व्यक्तिगत तौर पर मशीनरी बैंक खरीदता है, उसको 50 प्रतिशत की सब्सिडी मिलती है। 3 प्रकार के हैं मशीनरी बैंक

-10 लाख वाले मशीनरी बैंक में 8 मशीनें

-20 से 30 लाख में इन 8 मशीनों के साथ एक ट्रैक्टर

-30 से 75 लाख रुपये के मशीनरी बैंक में यही मशीनरी व दो ट्रैक्टर भी मिलेंगे एक मशीनरी बैंक 500 एकड़ में पराली जलाने पर लगाएगा रोक

जिला कृषि अफसर डॉ. परमजीत सिंह बराड़ व ब्लॉक कृषि अधिकारी डॉ. बलविंदर सिंह ने बताया कि हर बैंक को 500 एकड़ में पराली न जलाने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में जो भी मशीनरी बैक का फायदा उठाएगा, उसे पराली नहीं जलानी होगी। इसके अलावा वो किसान या ग्रुप आगे अन्य किसानों को मशीनरी किराए पर देकर अपनी आमदन में भी बढ़ोतरी कर सकता है। दूसरा वह अन्य किसानों को भी पराली न जलाने के बारे में जागरूक करेगा। पराली जलाने से जमीन की घटती है उपजाऊ शक्ति : डॉ. धालीवाल

पंजाब एग्रीकल्चरल मैनेजमेंट एंड एक्सटेंशन ट्रेनिंग इंस्टीटयूट (पामेटी) पीएयू के डायरेक्टर डॉ. एचएस धालीवाल ने कहा कि पराली जलाने से जमीन की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। इसके अलावा मित्र कीड़े भी खत्म हो जाते हैं जो अगली फसल के लिए बहुत जरूरी होते हैं। वहीं पर्यावरण भी प्रदूषित होता है जिससे सांस की बीमारियां पैदा होती हैं। इस बार लक्ष्य, कहीं ना जले पराली : डॉ. जसबीर

कृषि डायरेक्टर पंजाब डॉ. जसबीर सिंह बैंस का कहना है कि सूबे में 'पराली न जलाओ' अभियान के तहत कई कदम उठाए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में पराली मुख्य समस्या है। ऐसे में मशीनरी बैंक की सुविधा देकर किसानों को खुद व अन्यों को पराली नहीं जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष का लक्ष्य है कि सूबे में कहीं भी पराली को आग न लगे।


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