लुधियाना के प्राे. मुकेश अराेड़ा जगा रहे शिक्षा की लाै, 500 स्टूडेंट्स की पढ़ाई का खर्चा उठाकर दिलाई डिग्री
मध्यम परिवार से संबंध रखने वाले प्रो. अरोड़ा को शुरुआती समय में पढ़ाई के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। यही कारण है कि गरीबों का दुख समझते हुए वे अब जरूरतमंद विद्यार्थियों की सहायता के लिए अग्रसर रहते हैं।
राधिका कपूर, लुधियाना। कई बार ऐसा होता है कि विद्यार्थी पढ़ना चाहता है, पर घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण पढ़ाई के संसाधनों का अभाव रहता है। कुछ ऐसे ही जरूरतमंद विद्यार्थियों के लिए मसीहा बने हैं शहर के प्रोफेसर मुकेश अरोड़ा। किचलू नगर के रहने वाले प्रो. मुकेश अरोड़ा अब तक लगभग 500 विद्यार्थियों की पढ़ाई का खर्चा उठाकर उन्हें डिग्री दिला चुके हैं। पिछले 35 साल से जरूरतमंद विद्यार्थियों की पढ़ाई की सेवा के लिए प्रयासरत प्रो. अरोड़ा का एक ही लक्ष्य है कि होनहार व पढ़ने के चाहवान विद्यार्थियों के लिए गरीबी कभी रुकावट नहीं बने।
दरअसल खुद एक मध्यम परिवार से संबंध रखने वाले प्रो. अरोड़ा को शुरुआती समय में पढ़ाई के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। यही कारण है कि गरीबों का दुख समझते हुए वे अब जरूरतमंद विद्यार्थियों की सहायता के लिए अग्रसर रहते हैं। प्रो. मुकेश अरोड़ा बताते हैं कि साल 1983 में जब वे चंडीगढ़ में एमफिल कर रहे थे तो परिवार के लिए पढ़ाई का इतना खर्च उठा पाना संभव नहीं था। इसके बाद से उन्होंने चंडीगढ़ की एक अकादमी में दो पीरियड पढ़ाने का काम शुरू कर दिया। इसके लिए महीने में 100 रुपये मिला करते थे, जिससे पढ़ाई का खर्च निकलता था।
सहायता से पहले खंगालते हैं पूरी बैकग्राउंड
प्रो. अरोड़ा विद्यार्थियों को पढ़ाई का खर्च देने में हमेशा इस बात का ध्यान रखते हैं कि परिवार की बैकग्राउंड क्या है, क्या विद्यार्थी वाकई में पढ़ना चाहता है। इन्हीं चीजें पर ध्यान देते हुए विद्यार्थी को साल भर की फीस एक साथ दे देते हैं। एससीडी कालेज के ऐसे कई विद्यार्थी होंगे जिनकी पढ़ाई का खर्चा उठा डिग्री दिला चुके हैं। वहीं गवर्नमेंट कालेज गल्र्स, देवकी देवी जैन कालेज, चंडीगढ़ कालेज के कई विद्यार्थियों की पढ़ाई का खर्चा उठाने के साथ स्कूलों के कई विद्यार्थी भी इसमें शामिल हैं।
26 साल से सीनेट मेंबर
प्रो. अरोड़ा साल 2019 में एससीडी गवर्नमेंट कालेज से वाइस प्रिंसिपल रिटायर हुए हैं और वह इसी कालेज में बने पीएचडी रिसर्च सेंटर के कोआर्डीनेटर भी रहे हैं। वे साल 1996 से सीनेट मेंबर भी हैं।