शहर की महिला मास्टर्स पर मान, नेशनल गेम्स में मनवाया लोहा
आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं।
कृष्ण गोपाल, लुधियाना : आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। कारोबार हो या खेल हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर अपनी हिम्मत का लोहा मनवा रही हैं और सफलता की सीढि़यां चढ़ रही हैं।
ऐसी ही एक मिसाल पैदा की है महानगर की मास्टर्स महिला नेशनल एथलीट दिलप्रीत कंग, हरजीत कौर व सुनीता ढांडा ने। बेंगलुरू में हुई पहली पैन इंडिया नेशनल मास्टर्स 2022 में तीनों महिलाओं ने शानदार प्रदर्शन कर 13 मेडल पंजाब की झोली में डाले। हालांकि इससे पहले भी इन्होंने कई शानदार उपलब्धियां हासिल कर पंजाब का नाम रोशन किया है।
दिलप्रीत कंग ने 40 वर्ष से अधिक आयुवर्ग की श्रेणी में डिस्कस थ्रो, हैमर थ्रो और मिक्स्ड रिले में गोल्ड, जेवलिन थ्रो और 200 मीटर दौड़ में सिल्वर मेडल जीता। 30 वर्ष से अधिक के आयुवर्ग श्रेणी में जवद्दी की हरजीत कौर ने हैमर थ्रो, लांग जंप में गोल्ड और डिस्कस थ्रो में सिल्वर व 200 मीटर दौड़ में सिल्वर मेडल प्राप्त किया। यही नहीं अंतरराष्ट्रीय मेडलिस्ट सुनीता ढांडा ने भी 40 से अधिक आयुवर्ग श्रेणी में हैमर थ्रो में गोल्ड मेडल व लांग जंप में सिल्वर मेडल जीता है। यह तीनों महिला खिलाड़ी इसी साल नवंबर में आस्ट्रेलिया में होने वाली पैन गेम्स 2022 में देश का प्रतिनिधित्व करेंगी।
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महिलाओं को जागरूक करना मेरा लक्ष्य है। शादी के बाद महिलाएं घर तक सीमित होकर रह जाती हैं। आज का समय पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का है। यह सब अपने आत्मसम्मान के लिए है। अपना लक्ष्य चुनने के बाद परिवार भी साथ देता है और प्रेरित करता है। फील्ड कोई भी हमें भी साथ चलना चाहिए। शादी के बाद भी हमने खेल को नहीं छोड़ा।
- दिलप्रीत कौर कंग, नेशनल व अंतरराष्ट्रीय स्तर पदक विजेता।
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फिटनेस के लिए कोई उम्र मायने नहीं रखती है। पहले ताइक्वांडो में कोच, फिर जिम का कार्य, उसके बाद सोचा कि कुछ अलग किया जाए, जिससे अलग पहचान बने। दिलप्रीत दीदी के साथ जुड़ने के बाद एथलेटिक्स को चुना। कड़ी मेहनत से पंजाब को मास्टर्स चैंपियनशिप में गोल्ड दिलाया। अब आस्ट्रेलिया में पैन मास्टर्स की तैयारी चल रही है।
-हरजीत कौर, राष्ट्रीय पदक विजेता
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सफलता के लिए कड़ी मेहनत का बहुत बड़ा हाथ होता है। जिम से लेकर सुबह व शाम लगातार प्रेक्टिस की जाती है। इसकी बदौलत मास्टर्स खेलों में मेडल हासिल करने में कामयाबी हासिल की जा सकी है। इस आयु में भी खुद को फिट रखना व मेडल जीतना हमेशा से लक्ष्य रहा है। हमारे लिए भी आल इंडिया एथलेटिक्स एसोसिएशन को सोचना चाहिए। तभी हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन कर पाएंगे।
सुनीता ढांडा, अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय पदक विजेता