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शादियों के बाद अब सिकुड़े चुनाव, कारोबारी हो रहे परेशान

कोविड के चलते शादियों का सीजन पिटने के बाद अब कारोबारियों के लिए चुनावी वर्चुअल रैलियां घाटे का सौदा साबित हो रही है। इसका सबसे ज्यादा असर टेट डीजे लाइट साउंड हलवाइयों पर पड़ा है। इस साल कोविड नियमों को देखते हुए ज्यादा लोग जुटाने की अनुमति न मिलने से जहां जनवरी और फरवरी के शुभ मुहुर्त में रिस्पांस देखने को नहीं मिला वहीं अब चुनावी सीजन में भी कारोबार फीका हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 01:15 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 01:15 AM (IST)
शादियों के बाद अब सिकुड़े चुनाव, कारोबारी हो रहे परेशान
शादियों के बाद अब सिकुड़े चुनाव, कारोबारी हो रहे परेशान

मुनीश शर्मा, लुधियाना : कोविड के चलते शादियों का सीजन पिटने के बाद अब कारोबारियों के लिए चुनावी वर्चुअल रैलियां घाटे का सौदा साबित हो रही है। इसका सबसे ज्यादा असर टेट, डीजे, लाइट, साउंड, हलवाइयों पर पड़ा है। इस साल कोविड नियमों को देखते हुए ज्यादा लोग जुटाने की अनुमति न मिलने से जहां जनवरी और फरवरी के शुभ मुहुर्त में रिस्पांस देखने को नहीं मिला, वहीं अब चुनावी सीजन में भी कारोबार फीका हो गया है। इसका मुख्य कारण चुनाव आयोग की ओर से भीड़ जमा न करने के आदेश दिए जाना और वर्चुअल रैलियों का ट्रेंड है। ऐसे में संपर्क अभियान में भी केवल डोर टू डोर प्रचार किया जा रहा है। इस कारोबार के लिए सबसे अधिक बुकिग लाने वाले चुनाव इस बार फीके है। कारोबारियों का कहना है कि चुनावों के दौरान पंजाब में अधिक रैलियां और जनसंपर्क बैठकों के चलते आर्डर भुगताने की कठिनाई होती थी, लेकिन इस बार इससे उलट काम हो रहा है।

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इस चुनाव में टेंट गायब

आल इंडिया टैंट एवं डेकोरेटर एसोसिएशन युवा विग के महासचिव डिपी मक्कड़ ने कहा कि हर चुनाव में सबसे ज्यादा भूमिका टेंट की रहती है, क्योंकि नुक्कड़ बैठकों से लेकर बड़ी रैलियों में इसकी आवश्यकता रहती है। हालांकि इस चुनाव टैंट चुनाव से गायब हैं। आज तक किसी चुनाव में ऐसे मंदे हालात नहीं देखे हैं। चुनाव और शादियों के साथ साथ घरेलू समारोह और धार्मिक आयोजन बंद है। इससे जनवरी और फरवरी के लिए 50 प्रतिशत कैंसलेशन हो रही है। अब चुनावी सीजन में भी कोविड गाइडलाइन के चलते काम ठप है।

लाइट एवं साउंड कई महीनों से बंद

लुधियाना साउंड डीजे लाइट एसोसिएशन के चेयरमैन गुरमीत किट्टू कोहली ने कहा कि हमारे लिए यह समय सबसे बेहतर रहना था। जनवरी और फरवरी में शादियों के भी अच्छे शुभ मुहुर्त थे। इसके साथ ही चुनावी सीजन में भी डिमांड तेज रहती है। लेकिन पिछले दस सालों में यह सबसे कम रिस्पांस वाला साल है। चुनाव होने के बावजूद केवल दस प्रतिशत ही बुकिग आ रही हैं, जोकि चिता का विषय है।

हलवाइयों की मांग कम, पैकड़ का ट्रेंड

पंजाब हलवाई एसोसिएशन के प्रधान नरिदर पाल सिंह ने कहा कि हलवाईयों की मांग बेहद कम हो गई है। इस समय न तो कैटरिग को लेकर क्रेज है और न ही हलवाईयों के पास से सामान बिक रहा है। इसका मुख्य कारण भीड़ कम जुटाने की गाइडलाइन है। इसके साथ ही शादियों का सीजन भी रूक गया है। चुनावों ने भी इस बार रिस्पांस फीका कर दिया है। हर चुनाव में होने वाले व्यापार की उम्मीदें टूट गई हैं।


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