संकेतों से रोकी जा सकती है आत्महत्याएं
आशा मेहता, लुधियाना: परीक्षाओं का तनाव व दबाव,गरीबी, बेरोजगारी, नशे की लत,आर्थिक नुकसान के कारण आत्महत्या आजकल आम बात हो गई है।
आशा मेहता, लुधियाना: परीक्षाओं का तनाव व दबाव,गरीबी, बेरोजगारी, नशे की लत,आर्थिक नुकसान आज आत्महत्याओं का प्रमुख कारण बन चुके है। महानगर में आए दिन लोग परेशानियों से हार मान कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर 18 से 40 वर्ष आयु के होते है। आत्महत्या करने वाले ज्यादातर लोगों के परिजनों का कहना होता है कि उन्हें पूर्व में ऐसा कोई संकेत नहीं मिला,जिससे यह लगे कि व्यक्ति तनाव में आकर इतना बड़ा कदम उठा लेगा। अगर मिलता तो वह उसे समझाते। जबकि दूसरी तरफ मनोचिकित्सकों की राय अलग है। उनके अनुसार कोई भी शख्स मौत को अचानक गले लगाने की हिम्मत नहीं जुटा सकता।
कोई भी व्यक्ति एकदम से नहीं करता सुसाइड
फोर्टिस अस्पताल के साइकेट्रिस्ट डिपार्टमेंट के हैड डॉ.अजयपाल संधू के अनुसार बहुत से लोग यह समझते है कि सुसाइड अचानक होने वाली घटना है। जबकि, सुसाइड पहले से प्री-प्लान होता है। कोई भी व्यक्ति एकदम से अपनी जान नहीं ले सकता। उन्होंने कहा कि हैंगिग के जरिए आत्मदाह की असफल कोशिश करने वालों के मामलों में यह सामने आया है कि व्यक्ति पहली कोशिश में ही गले में फंदा नहीं लगता। वह रस्सी खरीदने व रस्सी प्राप्त करने के बाद करीब छह से सात बार निश्चित उंचाई पर फंदा बांध कर रस्सी को गले में डालता और निकालता है। डॉ.संधू के अनुसार जिस वक्त व्यक्ति के मन में आत्मदाह का विचार चल रहा होता है,तो उस दौरान व्यक्ति के अंदर मरने की ख्वाहिश के साथ-साथ जीने की भी इच्छा होती है, लेकिन नासमझी की वजह से उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लेते।
संकेत समझ कर बचाया जा सकता जीवन
डॉ.संधू के अनुसार अगर परिवार में कोई सामान्य व्यक्ति अचानक से असामान्य व्यवहार करने लगे,तो उसे नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। उनके अनुसार अगर कोई आशावादी,खुशमिजाज, सकारात्मक सोच और प्रतिभावान व्यक्ति अचानक से चुप रहने लगे, बात-बात पर गुस्सा करे, हताशा और निराशा भरी बातें करे,बुरे विचार व्यक्त करे, मौत के बारे में सोचे, खुद को अकेला रखे,खुद को कोसते रहे, निरंतर अनिंद्रा की शिकायत करे, जीवन बोझ लगने की बातें करे,आत्मविश्वास में कमी की बात करे,बिना कारण डर लगने की शिकायत करे, भूख में लगातार कमी आने,शोर शराबा बर्दाश्त न करने, नशीले पदार्थो का एकाएक सेवन करे अथवा बढ़ा दे और रोने का मन करने जैसे लक्षणों को जाहिर करे,तो इसे बिलकुल अनदेखा न करे। इस स्थिति में परिवार के हरेक सदस्य को प्रेम व स्नेह पूर्ण व्यवहार कर हताशा में डूबे व्यक्ति को तनाव मुक्त रखने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि,रिश्तों में जोरदार गर्माहट के साथ बड़े से बड़ा संकट झेल जा सकता है। इसके अलावा तुरंत किसी अच्छे मनोचिकित्सक से जाच करवाकर इलाज करवाएं।
सुसाइड।