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क्रूड आयल की कीमत बढ़ने से रबड़ के दाम में भी उछाल, लुधियाना के नान टायर रबड़ उत्पाद निर्माता परेशान

दुनिया भर में क्रूड आयल की बढ़ती कीमत के कारण रबड़ के दाम में भी दो से तीन महीने में भारी उछाल आया है। माइक्रो स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) सेक्टर के लिए अब चुनौती बढ़ गई है।

By Rohit KumarEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 09:56 AM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 09:56 AM (IST)
क्रूड आयल की कीमत बढ़ने से रबड़ के दाम में भी उछाल, लुधियाना के नान टायर रबड़ उत्पाद निर्माता परेशान
क्रूड आयल की बढ़ती कीमत के कारण रबड़ के दाम में भी दो से तीन महीने में उछाल आया है।

लुधियाना, राजीव शर्मा। मांग व आपूर्ति के बीच बढ़ रहे अंतर और दुनिया में क्रूड आयल की बढ़ती कीमत के कारण रबड़ के दाम में भी दो से तीन महीने में उछाल आया है। माइक्रो स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) सेक्टर के लिए अब चुनौती बढ़ गई है। उद्यमियों का तर्क है कि आटोमोबाइल सेक्टर में जबरदस्त मांग के कारण टायर व ट्यूब मैन्युफैक्चरर ने इनपुट लागत को उपभोक्ताओं पर डाल दिया है लेकिन नान टायर सेक्टर से जुड़े उद्योग पशोपेश में हैं। अगर कच्चे माल की कीमतों में उछाल इसी तरह होता रहा तो अप्रैल से तैयार उत्पादों की कीमत में इजाफा करना मजबूरी हो बन जाएगा।

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नेचुरल रबड़ का उत्पादन भारत में किया जाता है, जबकि सिंथेटिक रबड़ सहित अन्य तरह की रबड़ कार्बन ब्लैक का आयात विदेश से किया जाता है। नेचुरल रबड़ को छोड़कर अन्य उत्पाद पेट्रोलियम उत्पाद हैं। कार्बन ब्लैक का आयात चीन से, सिंथेटिक व ईपीडीएम रबड़ का आयात जापान, जर्मनी, कोरिया से किया जाता है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमत का असर अब रबड़ पर दिख रहा है। दो तीन माह में नेचुरल रबड़ की कीमत 125 रुपये प्रति किलो से 160 रुपये पहुंच गई है। सिंथेटिक रबड़ 100 रुपये से बढ़कर 150 रुपये हो गई है। ईपीडीएम रबड़ 130 से 225 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। केमिकल्स भी 25 फीसद तक महंगे हो गए हैं।

आल इंडिया रबड़ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहिंद्र गुप्ता का कहना है कि कच्चे माल की कीमत में उछाल से उत्पादन लागत करीब 25 से 30 फीसद तक बढ़ गई है। चीन व थाईलैंड से टायर व ट्यूब का आयात नहीं हो रहा है। आटोमोबाइल इंडस्ट्री इन उत्पादों के लिए घरेलू निर्माताओं पर ही निर्भर है। वहीं, नान टायर सेक्टर में सभी उद्योगों में उपयोग होने वाले रबड़ पाट्र्स बनाने वाले उद्योग आते हैं।

इसमें फुटवियर उद्योग भी शामिल हैं। नान टायर सेक्टर को कच्चे माल की किल्लत आ रही है। फिलहाल बाजार बढ़ी कीमत पर रिस्पांस नहीं कर रहा है। विदेशी खरीदार नई कीमत पर माल बुक नहीं कर रहे हैं। रबड़ पाट्र्स अमेरिका, जर्मनी, पोलैंड, दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको, इंग्लैंड और फ्रांस सहित कई यूरोपियन देशों में निर्यात किए जाते हैं।

लागत बढ़ रही है, पर तैयार माल को कीमत नहीं मिल रही

आल इंडिया रबड़ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन नार्थ रीजन के रीजनल चेयरमैन अनय गुप्ता का कहना है कि नान टायर सेक्टर की रबड़ इंडस्ट्री के अच्छे दिन नहीं चल रहे हैं। लागत बढ़ रही है लेकिन तैयार माल को बाजार में बढ़ी कीमत नहीं मिल रही है। आटोमोबाइल निर्माता कंपनियां भी बढ़ी कीमत पर पार्ट्स खरीदने में आनाकानी कर रही हैं।


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