निदा करने से बड़ा पाप है सुनना : मुनि मुकेश
एसएस जैन सभा सिविल लाइंस के तत्वावधान व संघशास्ता गुरुदेव सुदर्शन लाल महाराज के सुशिष्य प्रवचन प्रभावक गुरुदेव मुकेश मुनि महाराज ठाणा-4 के सानिध्य में जैन स्थानक मे संक्रांति पर्व पर विशेष सभा का आयोजन हुआ।
संस, लुधियाना : एसएस जैन सभा सिविल लाइंस के तत्वावधान व संघशास्ता गुरुदेव सुदर्शन लाल महाराज के सुशिष्य प्रवचन प्रभावक गुरुदेव मुकेश मुनि महाराज ठाणा-4 के सानिध्य में जैन स्थानक मे संक्रांति पर्व पर विशेष सभा का आयोजन हुआ। इस अवसर पर मुनि मुकेश महाराज ने फरमाया पैशुन्य भी अठारह पापों में एक पाप है। पैशुन्य का अर्थ है निदा। निदा करना तो पाप है ही। निदा सुनना भी बड़ा पाप है। अगर कोई व्यक्ति अपने घर का कचरा तुम्हारे घर डाल दे। तो क्या तुम उसे खुश होकर उसे चाय पिलाओगे। नहीं ना। तो फिर जब कोई व्यक्ति तुम्हारे सामने किसी की निदा करता है तो तुम खुश होकर उसे क्यों सुनते हो। वह तुम्हारे कान में कचरा डाल रहा है। तुम खुश हो रहे हो। तुम्हारो जैसा बेवकूफ नहीं देखा और हां अगर फिर भी निदा सुनने का शौक है तो एक काम करिए। अपने कान के ऊपर के हिस्से में डस्टबिन और नीचे प्लीज यूज मी भी लिखवा लीजिए। निदा करने वाला जीव सदा छोटी जाति अर्थात नरक गति का तिर्यव गति का बंध करता है।
सरलमना श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा संसार एक चौराहा है। उस चौराहे पर इंसान खड़ा हुआ है। कि उसे किधर जाना है। यह चार गतियों का चौराहा है। नरक गति, निर्यच्चगति, देवगति, मनुष्य गति। जो जीव जैसे कर्म करता है, उसी के अनुरुप वो उसी गति में चला जाता है। उन्होंने कहा कि कैसे जीवात्मा को नरकों में दुख झेलने पड़ते है। नरकों में कौन कौन जाता है। आगम में चार कारण बताएं है। महाहिसा करने वाला, जैसे कसाईखाने आदि, महापरिग्रह- संग्रह वृति की अत्यंत लालसा, अत्याधिक धन की तृष्णा। पशुओं को मारना, शिकरादि करना। कसाई प्रतिदिन 500 भैंसे मारा करता अत: को नरकगति में गया। ऐसे कर्म करो, जिससे हमें नरक में जाना न पडे। सदा सदकार्य करो ताकि सदगति मिले।