कर्म मुक्त आत्मा ही परमात्मा है : डा. राजेंद्र मुनि
एसएस जैन सभा अग्र नगर के तत्वाधान में श्रमण संघीय प्रवर्तक डा. राजेंद्र मुनि ठाणा-2 के सानिध्य में धर्म सभा का आयोजन किया गया।
संस, लुधियाना : एसएस जैन सभा अग्र नगर के तत्वाधान में श्रमण संघीय प्रवर्तक डा. राजेंद्र मुनि ठाणा-2 के सानिध्य में धर्म सभा का आयोजन किया गया।
डा. राजेंद्र मुनि ने आत्मा परमात्मा बनने की व्याख्या करते हुए कहा जो कर्मो के बंधन में बंधे होते हैं, वो ही संसारी प्रतिक्षण राग-द्वेष का बंधन होता है। इन्हीं राग-द्वेष के कारण संसार का जन्म मरण चक्र सदा चलता ही रहता है। यह कर्म नाना भांति रूपों में जीवात्मा के साथ संलग्न रहते हैं, जिनमें ज्ञान, दर्शन वेदना, मोह, आयु, नाम गौत्र, अन्तराय रुपी आठ प्रकार के व्यवधान जीवन में आते जाते रहते हैं। साधक मुक्ति पाने का सतत प्रयासरत रहता है। जिस क्षण सर्वथा इनसे मुक्त हो जाता है। उसी क्षण संसारी आत्मा संसार से मुक्त होकर सिद्धत्व को परमात्मा दशा को प्राप्त कर लेता है। इसी हेतु सतत पुरुषार्थ आवश्यक है। जैसा पुरुषार्थ हमारा दुनिया के कार्य व्यापार बढ़ाने में रहता है, वैसा ही संसार घटाने में लग जाए तो शीघ्र स्वरूपमय है, पर उनमें कर्मो के आवरण होने से वह अशुद्ध अवस्था को प्राप्त कर लेता है। आवश्यकता है इस मानव जीवन में अपने शुद्ध रूप को प्राप्त करें। इस दौरान सुरेंद्र मुनि ने मंगल मौन भावना व प्रधान बलविंदर जैन का आभार व्यक्त किया गया। नरेश जैन ने कहा कि गुरुदेव 16 जनवरी को जैन स्थानक में प्रवचन करेंगे।