गुरुदेव के जीवन को शब्दों की परिसीमा में बांधना बड़ा कठिन: मुनि मोक्षानंद
महाराष्ट्र के जालना में गुरु इंद्र की निश्रा में श्रीसंघ ने आपको शांतिदूत दक्षिण भारत में तीर्थंकार तीर्थ की प्रतिष्ठा पर शासन दिवाकर अयोध्या में सेठ आनंद जी कल्याण पेढ़ी के प्रमुख श्री श्रेणिक भाई द्वारा कल्याणक तीर्थोंद्वारक श्रीगंगानगर में ज्ञान गंगा भागीरथ शिक्षा संत राजधानी दिल्ली में मुस्लिम धर्माचार्यो द्वारा अपने मसीहा आचार्य डा. शिवमुनि म. द्वारा संयम सुमेरु हस्तिनापुर में समन्वय सारथी आदि जैसे विशेषणों तथा अलंकरणों से विभूषित किए गए।
लुधियाना : महाराष्ट्र के जालना में गुरु इंद्र की निश्रा में श्रीसंघ ने आपको शांतिदूत, दक्षिण भारत में तीर्थंकार तीर्थ की प्रतिष्ठा पर शासन दिवाकर, अयोध्या में सेठ आनंद जी कल्याण पेढ़ी के प्रमुख श्री श्रेणिक भाई द्वारा कल्याणक तीर्थोंद्वारक, श्रीगंगानगर में ज्ञान गंगा भागीरथ, शिक्षा संत राजधानी दिल्ली में मुस्लिम धर्माचार्यो द्वारा अपने मसीहा, आचार्य डा. शिवमुनि म. द्वारा संयम सुमेरु हस्तिनापुर में समन्वय सारथी आदि जैसे विशेषणों तथा अलंकरणों से विभूषित किए गए। गुरुदेव ने लगभग 40 पुस्तकों का लेखन तथा अनेक ग्रंथों का संपादन किया है। आचार्य पदारुढ़ होकर गुरु इंद्र द्वारा प्रदत्त सूरि मंत्राधिराज की पांचों पीठिकाओं की तप, जप, मान एएवं एकांत साधना करने वाले समुदाय में आप एक मात्र आचार्य है। हजारों जैनेतरों लोगों ने आपके प्रवचन तथा सत्संग से प्रभावित होकर शराब, मांसाहार आदि दुर्व्यसनों का त्याग किया है। आपकी प्रेरणा से अनेक स्कूल, कालेज, अस्पताल, गौशाला आदि की स्थापना हुई। जरूरतमंद साधार्मिक परिवारों के उत्कर्ष हेतु कई शहरों में योजनाएं शुरू करवाई तो साथ ही उनके लिए घर एवं रोजगार भी उपलब्ध करवाएं है। देश पर जब जब कोई आपदा आई, तब तब समाज को देश की रक्षा में आगे आने के लिए प्रेरित किया। बडे़-2 भूकंप सुनामी, कारगिल युद्ध आदि में करोड़ों रुपए की धनराशि देश सेवा हेतु समर्पित करवाई।
संवत 2072 में पालीताना में तपगच्छ श्रमण महासम्मेलन में आचार्य श्री विजय वल्लभ सूरि समुदाय के गच्छाधिपति के रूप में आपने भाग लिया। एवं 18 समुदायों के सम्मेलन के निर्णयों में अपनी सहभागिता दर्ज कराई। गत वर्ष गुरु वल्लभ के 151वें पावन जन्मदिवस पर विजय वल्लभ साधना केंद्र में अष्टधातु से निर्मित 151 ईंच ऊंची गुरु वल्लभ की भव्य प्रतिमा स्टेच्यू आफ पीस का लोकार्पण आपकी निश्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आनलाइन किया। गुरुदेव श्री आत्माराम जी के स्वर्णरोहण के 125वें वर्ष की स्मृति में उनकी जन्म भूमि लहरा जीरा में 125 ईंच की भव्य प्रतिमा का लोकार्पण लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से करवाया। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने राष्ट्रपति भवन में आपका उदबोधन श्रवण किया तथा रत्ननिर्मित भगवान महावीर की प्रतिमा भेंट स्वरुप प्राप्त की। गुरुदेव के जीवन को शब्दों की परि सीमा में बांधना बड़ा कठिन है। उनके 64वें पावन जन्मोत्सव पर परमात्मा से यहीं प्रार्थना है कि वह सदा स्वस्थ रहे। चिरायु हो तथा प्राणीमात्र के कल्याण के लिए उनका आशीर्वाद सदा बरसता रहे।
- गच्छाधिपति गुरुदेव के शिष्य मुनि मोक्षानंद प्रस्तुति