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कण-कण का कल्याण करते हैं तीर्थकर

तीर्थकरों के जीवन के पांच मुख्य प्रसंगों को कल्याणक शब्द के साथ संबोधित किया जाता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Aug 2018 08:04 PM (IST)Updated: Thu, 16 Aug 2018 08:04 PM (IST)
कण-कण का कल्याण करते हैं तीर्थकर
कण-कण का कल्याण करते हैं तीर्थकर

कृष्ण गोपाल, लुधियाना

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तीर्थकरों के जीवन के पांच मुख्य प्रसंगों को कल्याणक शब्द के साथ संबोधित किया जाता है। च्यवन, जन्म, दीक्षा केवल ज्ञान और निर्वाण। ये सभी महान कल्याणकारी प्रसंग होते हैं। तीर्थकर भगवंतों का जन्म और संपूर्ण जीवन सृष्टि के कण-कण का कल्याण करता है।

जैन धर्म के 22वें तीर्थकर श्री नेमिनाथ भगवान के जन्म कल्याणक दिवस पर श्री आत्म वल्लभ आराधना स्थल, दरेसी में आयोजित महोत्सव के दौरान गच्छाधिपति जैनाचार्य श्रीमद विजय नित्यानंद सूरीश्वर म. ने धर्म सभा प्रवचन सभा के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि तीर्थकरों के कल्याणक प्रसंगों पर सारे ब्रह्माण्ड के सभी जीवों को यहां तक कि नरक के जीवों को भी सुख-शांति की अनुभूति होती है। स्थल पर भगवान के जन्म कल्याणक और भारतीय स्वतंत्रता दिवस दोनों को एक साथ मनाया गया। पूरे परिसर तथा विशाल सभा में राष्ट्रीय ध्वज और जैन ध्वज को मंच पर फहराया गया। आचार्य श्री ने कहा कि जैसे देश को स्वतंत्र करवाने के लिए अंग्रेजों के साथ संघर्ष करना पड़ा, अनेक देश भक्तों को शहीद होना पड़ा, उसी तरह आत्मा को भी कर्मो के कारागृह से आजाद करने हेतु संघर्ष करना होगा। इस दौरान भगवान नेमिनाथ के जन्म कल्याण उत्सव में संगीत व नाट्य के साथ प्रस्तुति दी। भगवान के माता-पिता का संवाद, इन्द्र देव की भूमिका, 14 स्वप्न दर्शन, प्रियंवदा सखी द्वारा जन्म बधाई आदि दृश्य को आए श्रावक श्राविकाओं ने सराहा। मातृ-पितृ दिवस पर सभी की आंखें हुई नम

वर्तमान दौर में परिवारों में बुजुर्ग माता-पिता की स्थिति बड़ी ही दयनीय हो रही है। परिवार रूपी उपवन में संस्कारों की सुवास भरने के लिए गच्छाधिपति जैनाचार्य श्री विजय नित्यानंद सूरीश्वर म. के सानिध्य में बुधवार को मां बांप को मत भूलना विषय पर समारोह आयोजित किया गया। पंडित कल्पेक्ष भाई ने माता-पिता के उपकारों को याद दिलाते हुए गीतों के माध्यम से भाव विभोर कर दिया। समारोह का लाभार्थी परिवार पूर्ण चंद श्री पाल जैन बरड़ संघवी परिवार मंच पर बुलाकर उनके पूरे परिवार द्वारा उनका सम्मान करवाया गया। चरणों का प्रक्षालन किया गया। इस मार्मिक चित्र पर सभी की आंखें नम हो गई। उसके पश्चात माता-पिता का सम्मान किया गया, जिन्होंने अपने बेटे-बेटी को जैन धर्म में दीक्षित करवाकर साधु साध्वी बनाकर महान उपकार किया। लुधियाना जैन संघ के 70 वर्ष से ऊपर सभी बुजुर्गो को भी तिलक, माला तथा चांदी का सिक्का देकर सम्मानित किया गया। महानगर में प्रथम बार इस प्रकार बुजुर्गो के सम्मान समारोह में लगभग 150 बुजुर्गो को सम्मानित किया गया। जैनाचार्य ने अपने प्रवचन में कहा कि बुजुर्ग तो घर बैठे भगवान हैं। उनकी छत्रछाया में परिवार को रहना चाहिए। बुजुर्गो की देखभाल और सेवा करना पहला फर्ज है। श्री नेमिनाथ भगवान का दीक्षा महोत्सव मनाया

प्राणी मात्र के कल्याण के लिए तीर्थकर दीक्षा स्वीकार करते हैं। भगवान नेमिनाथ जब बारात के साथ शादी करवाने के लिए गए, तब उन्होंने बाडे़ में बंधे हुए पशुओं को देखा। जब मालूम हुआ कि शादी में आने वाले मेहमानों को इन पशुओं का मांस खिलाया जाएगा तब नेमि कुमार ने सारथी को बोला कि इन पशुओं को आजाद कर दो। मेरे सुख के लिए इतने पशुओं को मौत के घाट उतारा जाएगा यह मुझे मंजूर नहीं। इस प्रकार जीव दया की उत्कृष्ट भावना वाले नेमि कुमार ने शादी का त्याग कर दिया और गिरधर पर्वत पर जाकर दीक्षा ले ली। यह विचार वीरवार की सभा में श्री नेमिनाथ परमात्मा के दीक्षा कल्याणक प्रसंग पर जैनाचार्य श्रीमद नित्यानंद सूरी. म. ने धर्म सभा में प्रवचन दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि दीक्षा स्वीकार किए बिना सर्व कर्म से मुक्ति नहीं हो सकती। इस दौरान श्री नेमिनाथ भगवान का दीक्षा महोत्सव मनाया गया। लाभार्थी परिवार चिंरजी लाल कपूरचंद, नरेंद्र जैन परिवार ने भगवान की अष्ट प्रकारी पूजा की। साधु जीवन के मुख्य उपकरण रजोहरणका दर्शन वंदन समारोह हुआ। सबसे अधिक वर्ष भर में सामायिक, आयंबिल, माला करने वाले, जीव दया में राशि देने वाले परिवारों को गुरु भगवंत ने रजोहरण प्रदान किया। इस रजोहरण को घर में पूजा स्थान में रखकर संयम की भावना भाने के लिए प्रेरित किया।


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