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मनुष्य जन्म में अच्छे कर्म नहीं करोगे पशु ही बनोगे

अब सौंप दिए इस जीवन को गुरुदेव तुम्हारे हाथों में, मैं शरणागत हूं, गुरु तेरा, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में, श्रावक जीवन के लिए 21 गुणों का दर्शान धर्म रत्न प्रकरण ग्रंथ में किया गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 05:00 AM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 05:00 AM (IST)
मनुष्य जन्म में अच्छे कर्म नहीं करोगे पशु ही बनोगे
मनुष्य जन्म में अच्छे कर्म नहीं करोगे पशु ही बनोगे

संस, लुधियाना : अब सौंप दिए इस जीवन को गुरुदेव तुम्हारे हाथों में, मैं शरणागत हूं, गुरु तेरा, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में, श्रावक जीवन के लिए 21 गुणों का दर्शान धर्म रत्न प्रकरण ग्रंथ में किया गया है। ज्ञानी भगवंत कहते हैं कि आज हमारे जीवन में यह 21 गुण नहीं है तो हम सच्चे श्रावक, सच्चे मानव भी नहीं कहला सकते। ये विचार आत्म धर्म कमल हाल में गच्छाधिपति नित्यानंद सूरीश्वर महाराज के सानिध्य में चल रही चातुर्मास की विशेष सभा में मुनि मोक्षानंद ने व्यक्त किए।

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उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में व्यवहार में हम देखें तो हम में मानवता के गुण कम और पशुता के गुण अधिक हैं। जबकि हम में मानवता के अधिक गुण दिखाई देने चाहिए। जैन धर्म में जन्म लेने से ही हम सच्चे श्रावक नहीं कहला सकते। अगर निम्न जाति में जन्म लेने से हमारे आचार-विचार उच्च हों तो हम सच्चे मानव कहला सकते हैं। संसार में मनुष्य कम हैं और पशु अधिक, क्योंकि मनुष्य जन्म में भी हम अच्छे कार्य नहीं करते तो वापस पशु जीवन में ही जाते हैं। ज्ञानी भगवंत आपको सही रास्ता बता सकते हैं लेकिन हमें अपनी कमियों को स्वयं ही ठीक करना होगा। हम अपने जीवन की बजाए, दूसरे की कमियां ही देखते हैं। बुरा जो देखने में चला, बुरा न मिलया कोय, जो घर देखा अपना मुझसे बुरा न कोय। पर आजकल अच्छा जो देखने में चला, अच्छा न मिलाया कोय, जो घर देखा अपना मुझसे अच्छा न कोय। हमें स्वयं में तो बहुत गुण दिखते हैं, लेकिन दूसरों के गुण दिखाई नहीं देते। व्यक्ति खुद को सर्वगुण संपन्न समझता है। पाप का घड़ा जब फूटता है, तो बीच चौक में फूटता है। इसलिए पाप से बचना चाहिए। हाथ में पांच अंगुलिया है, लेकिन यह सभी एक समान नहीं। एक उंगली अलग से कुछ नहीं कर सकती। परंतु उनको मिलाकर एकजुट होकर आप कुछ भी कर सकते हो। 25 अट्ठाई के तपस्वियों का सामूहिक पच्चक्खान कार्यक्रम

सर्वमंगल चातुर्मास में तपस्या का ठाठ लगा हुआ है। मंगलवार को सुबह 8.15 से शाही दवाखाने के पास से सामूहिक अट्ठाई तप करने वाले लगभग 25 तपस्वियों का वरघोड़ा प्रारंभ होगा। वहां से गाजते बाजते सभी धर्म कमल हाल में पहुंचेंगे और गच्छाधिपति जी के आठवें उपवास का पच्चक्खान ग्रहण करेंगे। बुधवार को सभी तपस्वियों का पारणा सुबह 7.30 बजे कराया जाएगा। अनेक श्रावक श्राविकाएं 15 और तीस उपवास की तपस्या में आगे बढ़ रहे है।


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