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धरती पर पुन: धर्म की स्थापना के लिए प्रभु लेते हैं अवतार : स्वामी दिनकरानंद

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से काराबारा रोड पर तीन दिवसीय धार्मिक समारोह मंगलवार को आरंभ हुआ।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 04:40 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 04:40 AM (IST)
धरती पर पुन: धर्म की स्थापना के लिए प्रभु लेते हैं अवतार : स्वामी दिनकरानंद
धरती पर पुन: धर्म की स्थापना के लिए प्रभु लेते हैं अवतार : स्वामी दिनकरानंद

संस, लुधियाना : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से काराबारा रोड पर तीन दिवसीय धार्मिक समारोह मंगलवार को आरंभ हुआ। इस अवसर पर भक्तों को प्रभु महिमा का रसपान करवाते हुए स्वामी दिनकरानंद ने कहा कि समय-समय पर ईश्वर ने इस धरा पर अवतार लेकर समाज का उत्थान किया है। जब-जब समाज से मानवता का अंत होने लगता है तो मानव-मानव का दुश्मन बन बैठता है। इस अवस्था में पुन: धर्म की स्थापना हेतु ईश्वर अवतार लेते हैं।

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उन्होंने आगे कहा कि गुरु रविदास का आगमन भी तब ही संसार में हुआ। जब इंसान जातपात, अधर्म व पाखंड के पथ पर चल पड़ा था। इंसान को सन्मार्ग प्रदान करने के लिए वह संसार में आए और अपने बाल काल से लेकर संपूर्ण जीवन ही इंसान को शिक्षा व दीक्षा प्रदान की। इतना ही नहीं, उनके द्वारा लिखे अनेकों श्लोक मानव का पथ प्रदर्शित करते हैं। गुरु रविदास जी का कंथन है 'प्राणी क्या तेरा क्या मेरा, जैसे तरवर पंख वेसरा' अर्थात इंसान इस संसार में ठिकाना केवल मात्र वैसे ही है, जैसे रात के समय एक पंछी वृक्ष पर रुकने के लिए आता है।

उन्होंने आगे कहा कि जो लोग इस बात को समझ जाते हैं, वह जीवन को सफल कर लेते हैं, लेकिन जो भूले रहते हैं, वह जीवन को गंवा लेते हैं। हमारे सभी ग्रंथ व संत कहते हैं कि यह संसार एक सराएं की तरह है, जहां पर हमारा स्थाई ठिकाना नहीं, हमें इसे छोड़कर जाना है। इसीलिए अपने लक्ष्य को प्रापत करना ही मानव जीवन का उद्देश्य है।


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