जीएसटी के बोझ में दब गया रेलवे का राजस्व
नार्दर्न रेलवे के जीएम विश्वेष चौबे के दौरे के दौरान लुधियाना उपेक्षित रह गया। हालांकि जीएम लुधियाना रात 1.30 बजे आएंगे और रात को ही यहां से अमृतसर रवाना हो जाएंगे। इस तरह लुधियाना की समस्या से जीएम अवगत नहीं हो पाएंगे जिससे लुधियाना रेलवे स्टेशन पर होने वाले करोड़ों के नुकसान को रोकने के लिए सुधार होना मुश्किल लग रहा है।
जासं, लुधियाना : नार्दर्न रेलवे के जीएम विश्वेष चौबे के दौरे के दौरान लुधियाना उपेक्षित रह गया। हालांकि जीएम लुधियाना रात 1.30 बजे आएंगे और रात को ही यहां से अमृतसर रवाना हो जाएंगे। इस तरह लुधियाना की समस्या से जीएम अवगत नहीं हो पाएंगे जिससे लुधियाना रेलवे स्टेशन पर होने वाले करोड़ों के नुकसान को रोकने के लिए सुधार होना मुश्किल लग रहा है। दरअसल रेल माल बुकिंग ठप होने से रेलवे को हर वर्ष करोड़ों का नुकसान हो रहा है और शीर्ष अधिकारी इस मुद्दे पर मौन हैं। आलम यह है कि जिस लुधियाना रेलवे स्टेशन पर माल बुकिंग का उदाहरण दिया जा रहा था कि नार्दर्न रेलवे का सर्वाधिक आय वाला स्टेशन लुधियाना है, उस स्टेशन की हालत इतनी दयनीय हो गई है कि यहां के बुकिंग कर्मचारियों और व्यवस्था का खर्चा पूरा नहीं हो रहा है। दो वर्ष से रेलवे को इतना बड़ा नुकसान हो रहा है। रेल अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। ऐसे में रेलवे माल बुकिंग का किस तरह सुधार होगा और तीन वर्ष पहले हो रहे मुनाफे के दौर में रेलवे कब लौट पाएगी यह अहम सवाल है। 10 प्रतिशत रह गया बुकिंग
रेलवे से माल भेजने का काम ठप होकर रह गया है। इन दिनों रेल से महज 10 प्रतिशत माल बुकिंग हो रहा है। बुकिंग का 90 प्रतिशत राजस्व कम हो चुका है जिससे अब तक रेलवे को करीब 10 करोड़ से ज्यादा नुकसान हो चुका है। अधिकारी बताते हैं कि रेलवे परिसर में माल आने से पहले सेल टैक्स, इनकम टैक्स का चेकिंग हार्ड था फिर भी रेल से ही व्यापारी माल दूसरे प्रदेशों में भेजते थे। इस समय हालत यह है कि रेलवे परिसर से सेल टैक्स, इनकम टैक्स का चेकिंग हटने के बाद भी व्यापारी माल बुक करवाने नहीं ला रहे। अब रेल की बजाय व्यापारी ट्रांसपोर्ट से माल भेज रहे हैं। 2015-16 में मालगोदाम में नहीं थी पैर रखने की जगह, आज सुनसान
मालगोदाम पर वर्ष 2015-16 सितंबर-अक्टूबर में माल इतना जमा था कि यहां पैर रखना मुश्किल था। वर्ष 2017-18 की हालत यह है कि सितंबर में यहां गोदाम परिसर सुनसान है। पिछले सालों में सितंबर से रोजना 100 से दिसंबर तक 200 वीपी (माल बोगी) की खपत होती थी, जबकि इस वर्ष हालात जटिल हो गए हैं। रेल का खर्च निकलना मुश्किल हो गया है। ट्रेनों में लगने वाली माल बोगी खाली जा रही है। माल बुकिंग करने वाले कर्मचारी बेरोजगार बैठे हैं और गोदाम सुनसान पड़ा है। व्यापारी हुए ट्रांसपोर्ट पर निर्भर
व्यापारी अवतार सिंह बेदी व अन्यों का कहना है कि ट्रांसपोर्ट की सुविधा व्यापारियों को उनकी फैक्ट्री तक मिल रही है। इससे होजरी फैक्ट्री का माल हाथों-हाथ दूसरे प्रदेशों को भेजा जा रहा है। वहीं रेल सुविधा लेने के लिए मालगोदाम पर जाना पड़ता है। फिर भी गारंटी नहीं होती कि माल कब पहुंचेगा। वहीं माल जाने पर रास्ते में सेल टैक्स-इनकम टैक्स की इतनी चेकिंग है कि माल रेलवे तक पहुंचने से पूर्व ही परेशान करने के लिए जब्त कर लिया जा रहा है। सुधार के प्रयास जारी : डीटीएम
फिरोजपुर रेल मंडल के डीटीएम अशोक सिंह सलारिया से जीएम का दौरा और माल बुकिंग के बारे में बात करने पर उन्होंने कहा कि जीएम का लुधियाना में प्रोगाम नहीं है। उन्होंने कहा कि माल बुकिंग में सुधार के लिए प्रयास जारी है।